ED In Action: 637 करोड़ के बैंक फ्रॉड केस में ED की बड़ी कार्रवाई, अरविंद रेमेडीज़ लिमिटेड पर…

पंजाब नेशनल बैंक समेत कई बड़े बैंकों को चूना लगाने वाले अरविंद रेमेडीज लिमिटेड के खिलाफ ED ने बड़ी कार्रवाई की है. ED ने 637 करोड़ के बैंक फ्रॉड केस में छापेमारी की है. ED की टीम लगातार चेन्नई, कांचीपुरम, कोलकाता और गोवा में सर्च ऑपरेशन कर रही है. इस सिलसिले में कंपनी के प्रमोटर अरविंद बी. शाह, डायरेक्टर और डमी डायरेक्टर के ठिकानों पर छापेमारी की गई है.
सीबीआई ने अरविंद रेमेडीज लिमिटेड के खिलाफ 31 अक्टूबर 2016 को FIR दर्ज की थी. CBI में धोखाधड़ी और साजिश के तहत मामला दर्ज किया था. CBI की FIR को आधार बनाकर ED जुलाई 2021 को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की. FIR में आरोप है कि कंपनी और इसके प्रमोटर ने फर्जी कागजात और शेल कंपनियों के जरिए बैंक से लिए गए पैसे को दूसरी जगह डायवर्ट किया.
CBI की जांच में चौंकाने वाला खुलासा
CBI की जांच में पता चला कि कंपनी के प्रमोटरों ने बैंक का पैसा शेल कंपनियों में घुमाकर निकाल लिया. इस क्रम में ED ने करीब 294 बैंक अकाउंट्स की जांच की और पूरा मनी ट्रेल तैयार किया. दरअसल PNB इस पूरे बैंकिंग कंसोर्टियम का लीडर था. इस कंसोर्टियम में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, इलाहाबाद बैंक, करूर वैश्य बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक शामिल थे. इन बैंकों ने मिलकर कंपनी को करीब 704 करोड़ रुपये की लोन सुविधा दी थी, लेकिन, 2014 से 2015 के बीच सभी खाते NPA घोषित कर दिए गए और बकाया रकम 637 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.
Enforcement Directorate का इतिहास
भारत को जब 1947 में आजादी मिली तब विदेशी मुद्रा से जुड़े मामलों को नियंत्रित करने के लिए फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट (FERA) लागू किया गया. इसे वित्त मंत्रालय का डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स देखता था. ED की स्थापना 1956 में की गई. हालांकि, शुरुआत में इसका नाम Enforcement Unit था, जो साल 1957 में डायरेक्टोरेट ऑफ एनफोर्समेंट रख दिया गया. 1960 में इसे रेवेन्यू डिपार्टमेंट के तहत कर दिया गया और तब से यह वही काम कर रही है. आज ED भारत की सबसे ताकतवर जांच एजेंसियों में गिनी जाती है.