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तुर्की, पाकिस्तान की हां, लेकिन भारत ने कहा NO, SCO समिट में पीएम मोदी ने BRI पर क्यों लिया…

चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सौहार्दपूर्ण मुलाकात हुई. दोनों नेताओं ने रिश्तों को मजबूत करने और आगे बढ़ने पर जोर दिया. हालांकि, चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर भारत ने अपना कड़ा विरोध कायम रखा. इस समिट में तुर्की, पाकिस्तान और ईरान सहित अधिकांश देशों ने बीआरआई का समर्थन किया, लेकिन भारत अकेला देश रहा जिसने इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया.

बीजिंग में हुई एससीओ बैठक के दौरान भारत ने एक बार फिर चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना का समर्थन करने से इनकार कर दिया. भारत अब तक किसी भी एससीओ शिखर सम्मेलन या बैठक में बीआरआई के पक्ष में नहीं रहा है. इस परियोजना पर भारत का एतराज लंबे समय से कायम है और उसका रुख अब भी वही है.

इन देशों ने किया BRI का समर्थन

चीन के तियानजिन शहर में एससीओ शिखर सम्मेलन समाप्त होने के बाद जारी घोषणापत्र में कई अहम फैसलों का जिक्र किया गया. इसमें चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को भी शामिल किया गया, जिसे रूस, बेलारूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों ने समर्थन दिया. हालांकि, इसमें शामिल सभी देशों में से केवल भारत ने इस परियोजना का समर्थन नहीं किया.

BRI पर आपत्ति क्यों जताता है भारत?

भारत ने हमेशा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर आपत्ति जताई है. इसकी सबसे बड़ी वजह है चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है. भारत का स्पष्ट रुख है कि पीओके उसका अभिन्न हिस्सा है और वहां किसी तीसरे देश को निर्माण कार्य करने का कोई अधिकार नहीं है.

एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को लेकर कड़ा रुख दिखाया. शी जिनपिंग और शहबाज शरीफ की मौजूदगी में पीएम मोदी ने बिना नाम लिए कहा कि किसी भी परियोजना में दूसरे देश की संप्रभुता का सम्मान होना अनिवार्य है, अन्यथा उसका कोई महत्व नहीं रह जाता.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि संप्रभुता को दरकिनार करने वाली कनेक्टिविटी न विश्वास जगाती है और न ही उसका कोई अर्थ होता है. भारत का मानना है कि मजबूत कनेक्टिविटी केवल व्यापार ही नहीं बढ़ाती, बल्कि विकास और आपसी भरोसे के नए अवसर भी खोलती है. इसी दृष्टिकोण से भारत चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है.

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