Parivartini Ekadashi 2025: परिवर्तिनी एकादशी व्रत में विष्णु जी को क्यों लगता है केसर का भोग ?

Parivartini Ekadashi 2025: केसर न सिर्फ रसोई में काम आने वाली सामग्री है बल्कि पूजा पाठ में भी इसका विशेष महत्व है. खासकर विष्णु जी की पूजा में केसर खासतौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
3 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी है, इस दिन श्रीहरि की उपासना में केसर का भोग के अलावा, अभिषेक और उपाय भी किए जाते हैं. आखिर क्यों एकादशी के दिन विष्णु जी की पूजा में केसर को महत्व दिया गया है. क्या हैं इसके लाभ आइए जानें.
विष्णु जी की पूजा में केसर का महत्व
केसर को पवित्रता, सत्यता, आंतरिक ज्ञान और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने वाला माना जाता है. ये गुरु ग्रह की शुभता बढ़ाता है. भगवान विष्णु को केसर विशेष रूप से शुभ और प्रिय माना जाता है क्योंकि यह धन और समृद्धि का प्रतीक है और गुरु ग्रह से संबंधित है.
शास्त्रों के अनुसार बृहस्पति ग्रह धन, वैवाहिक जीवन, संतान, वैभर के प्रतीक है. श्रीहरि विष्णु जी की पूजा से गुरु ग्रह को नियंत्रण में रखा जा सकता है. क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि देव गुरु बृहस्पति भगवान विष्णु का अंशावतार हैं.
परिवर्तिनी एकादशी पर केसर का उपयोग
केसर से अभिषेक – धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी या गुरुवार के दिन केसर से अभिषेक करने से विष्णुजी प्रसन्न होते हैं, कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होता है और जीवन में सकारात्मकता, धन-समृद्धि आती है. पारिवारिक कलह को समाप्त होती है.
केसर से स्नान – केसर चूंकि बृहस्पति से जुड़ा है और बृहस्पति का संबंध विष्णु जी से हैं ऐसे में एकादशी के दिन पानी में केसर मिलाकर स्नान करने करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है.
केसर का भोग – परिवर्तिनी एकादशी या किसी भी एकादशी के दिन केसर का हलवा या खीर में केसर डालकर भोग लगाने पर विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और परिवार में सौभाग्य आता है, क्लेश मिटते हैं. ऐसी मान्यता है.
केसर का तिलक – सफलता, धन प्राप्ति के लिए एकादशी के दिन माथे पर केसर का तिलक लगाकर घर से निकलता चाहिए. मान्यता है इससे काम पूर्ण होते हैं, धन आता है.
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