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Views expressed in a one day national seminar on liver disease | टोंक में लिवर डिजीज पर वक्ता…

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ यूनानी टोंक के द्वारा मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी संस्थान (एपीआरआई) टोंक में मैनेजमेंट ऑफ लिवर डिजीज इन युनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन पर सेमिनार का आयोजन किया गया।

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इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य बढ़ते हुए लिवर रोगों की समस्याओं पर चर्चा करना और यूनानी चिकित्सा पद्धति के माध्यम से इनके प्रभावी उपचार और प्रबंधन की संभावनाओं को उजागर करना था।

सेमिनार का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रोफेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति माननीय कुलगुरु डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर की अध्यक्षता में हुआ। इसके बाद मुफ्ती आदिल ने कलामे पाक की तिलावत की।

आधुनिक शोध से जोड़ने की आवश्यकता

विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने कहा- लिवर रोग आज दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक हैं। बदलती जीवनशैली, असंतुलित खान-पान और तनाव के कारण हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, सिरोसिस जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। यूनानी चिकित्सा पद्धति में आहार, दवा और जीवनशैली सुधार के माध्यम से लिवर रोगों के प्रबंधन की संभावनाएं मौजूद हैं। जिन्हें आधुनिक शोध के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा शिक्षक को एवं चिकित्सकों को एक अच्छा इंसान बनकर लगन एवं ईमानदारी से काम करके राष्ट्र के विकास में सहयोग देना चाहिए।

यूनानी और आयुर्वेद में अपार संभावनाएं

सेमिनार में उपस्थित विशिष्ट अतिथि अखिलेश कुमार पीपल कुलसचिव डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धति यूनानी एवं आयुर्वेद में लीवर डिजीज के उपचार के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं। यदि पारंपरिक और आधुनिक पद्धतियों का सम्मिलित उपयोग किया जाए, तो लिवर रोगियों को बेहतर और सुरक्षित उपचार मिल सकता है।

सेमिनार में मौजूद यूनानी डॉक्टर व अन्य ।

इलाज के बारे में जागरूकता बढ़ाएं

यूनानी कॉलेज की नोडल अधिकारी डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि दुनिया भर में लाखों लोग लीवर की बीमारी से जुड़े हैं उन्होंने कहा कि भारत में लिवर से जुड़ी बीमारी में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है जो खराब खान-पान के सेवन के कारण होती है लिवर रोगों एवं उनके लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस तरीके के सेमिनार बहुत ही उपयोगी है।

रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत किए

कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सरफराज अहमद ने बताया कि सेमिनार में मुख्य वक्ता युनानी मेडिकल कॉलेज भोपाल से आए डॉक्टर मोहम्मद आरिफ रहे उन्होंने अपने व्याख्यान में यूनानी चिकित्सा के सिद्धांतों की चर्चा की।लिवर को शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग मानते हुए प्राचीन यूनानी चिकित्सकों ने इसके लिए विशेष दवाओं और उपचार पद्धतियों का उल्लेख किया है।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और दवाओं से लिवर की कार्यक्षमता को सुदृढ़ किया जा सकता है, जिससे हेपेटिक बीमारियों की रोकथाम और इलाज दोनों संभव हैं। उन्होंने हेपेटाइटिस बी और लिवर से जुड़ी दूसरी बीमारियों से संबंधित शोध पत्र भी प्रस्तुत किया और बताएं कि किस तरह यूनानी उपचार से हेपेटाइटिस बी और लीवर की दूसरी गंभीर बीमारियां भी ठीक हो गई।

सेमिनार में मौजूद देश भर से आए विद्वान व अन्य

ये रहे मौजूद

सेमिनार में अन्य वक्ताओं में डॉक्टर अमजद सैफी, डॉक्टर जावेद आलम, डॉक्टर दानिश ने भी लिवर रोगों पर अपने शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किए। सेमिनार में चिकित्सालय अधीक्षक एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर फिरोज खान, उप प्राचार्य डॉक्टर नाजिया शमशाद, एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर मोहम्मद अकमल, एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सरफराज अहमद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सेमिनार का संचालन डॉक्टर सैयद अब्दुल मुजीब ने किया। कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर मोहम्मद इरशाद खान डॉक्टर नाजीया शमशाद ने सेमीनार में आने के लिए सभी अतिथि, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया।

सेमिनार में डॉ संजय गंजू, डॉक्टर हिना जफर, डॉक्टर खतीब अहमद,डॉक्टर आसिफ अली खान, डॉक्टर अनिसुर रहमान, डॉक्टर शादमा इशरत, डॉक्टर मरगूब अहमद, डॉक्टर मुश्ताक, डॉक्टर अमजद सैफी, डॉक्टर सएमा, डॉक्टर जीशान अली, डॉक्टर अब्दुल मन्नान, डॉक्टर अब्दुल रब,डॉ. जावेद आलम, डॉ. इमरान खान, डॉ. मो. शादाब, डॉ. जोहरा जबीन, डॉ. कमर-उल- इस्लाम उस्मानी, डॉ. दानिश, डॉ. एस. वली मोअज्जम, डॉ. मंजर अली, डॉ. मो. अलीम, डॉ. आयशा परवेज, डॉ. युसरा कुरैशी, डॉ. सदफ अम्बरीन, डॉ. मो. मुनाजिर इत्यादि सभी छात्र एवं स्टाफ मौजूद रहा।

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