ट्रंप के एकतरफा त्रासदी वाले बयान पर अमेरिकी मीडिया नाराज, कहा- ‘पीएम मोदी, पुतिन और जिनपिंग को…

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-अमेरिका ट्रेड डील को एकतरफा त्रासदी बताया. उन्होंने सोमवार (1 सितंबर 2025) को दावा किया कि भारत ने अब शुल्क में कटौती कर इसे जीरो करने की पेशकश की है, लेकिन अब इसमें देरी हो चुकी है. इसे लेकर अब अमेरिकी विश्लेषकों ने ही ट्रंप को आड़े हाथों लिया है. उनका मानना है कि ट्रंप ने जिस तरह से बदले की भावना से भारत पर टैरिफ लगाया है उससे नई दिल्ली चीन और रूस के करीब जाने के लिए मजबूर हुआ.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर निशाना साधा
ट्रंप ने कहा कि भारत रूस से भारी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण खरीदता है, जबकि अमेरिका से बहुत कम खरीदता है. उन्होंने कहा, “बहुत कम लोग यह जानते हैं कि हम भारत के साथ बहुत थोड़ा व्यापार करते हैं, लेकिन वे हमारे साथ बहुत ज्यादा व्यापार करते हैं. भारत अपने सबसे बड़े ग्राहक अमेरिका को भारी मात्रा में सामान बेचता है, लेकिन हम उन्हें बहुत कम बेचते हैं. अब तक यह पूरी तरह से एकतरफा रिश्ता रहा है और यह कई दशकों से चला आ रहा है.“
‘पीएम मोदी, पुतिन और जिनपिंग को नहीं कर सकते नजरअंदाज’
ट्रंप की इस टिप्पणी को अमरिकी विश्लेषकों ने कहा कि ट्रंप का रवैया भारत को चीन के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है, जबकि रूस के साथ उसके संबंध और मजबूत हो रहे हैं. अमेरिकी मीडिया इस समय चीन के तियानजिन में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन की रिपोर्ट से भरा पड़ा है. एनबीसी न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “पीएम मोदी, व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग का एक दूसरे का हाथ पकड़ा, गले मिलना वशिंगटन में सबका ध्यान खींचने के लिए किया गया था.“ इसमें कहा गया कि तीनों नेताओं के गले मिलने के भाव और समय को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का पीएम मोदी का विरोध करना सही नहीं था, जो अमेरिका के लिए अच्छा नहीं हो सकता है. वाशिंगटन पोस्ट ने कहा, ऐसा लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन का मुकाबला करने के लिए बहुपक्षीय गठबंधन बनाने की रणनीति पर जोर न देकर जिस देश के साथ भी द्विपक्षीय संबंध है उसका लाभ उठाने पर ज्यादा ध्यान दिया.
भारत से रिश्तों को बचाने में जुटा अमेरिकी दूतावास
ये सब ऐसे समय में हो रहा है जब दिल्ली स्थिति अमेरिकी दूतावास दोनों देशों के बीच के रिश्तों को बचाने की कोशिश में लगा है. अमेरिकी दूतावास ने कहा, “अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है. इस महीने हम डेवलपमेंट और संभावनाओं पर जो देर रहे हैं, जो हमें आगे बढ़ा रहे हैं. इनोवेशन से लेकर रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों तक यही हमारे दोनों देशों की जनता के बीच स्थायी मित्रता है.“
ट्रंप के पहले कार्यकाल के एनएसए जॉन बोल्टन जैसे पूर्व अधिकारियों ने व्हाइट हाउस के अधिकारियों की जमकर आलोचना की है. ऐसा लगता है कि यह सब ऊपर से ही हो रहा है क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप खुद भारत के खिलाफ अपने बयानों से भारत के प्रति अपनी नाराजगी का संकेत दे रहे हैं.
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