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former Vice President Jagdeep Dhankar Shifted Abhay Chautala farm house | पूर्व उपराष्ट्रपति…

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बीते साल दिसंबर में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन पर शोक जताने सिरसा पहुंचे थे। यहां उन्होंने INLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला को सांत्वना दिया। – फाइल फोटो

देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला के दिल्ली के छतरपुर स्थित फार्म हाउस में शिफ्ट हो गए हैं। सोमवार शाम 6 बजे उन्होंने अभय चौटाला के फार्म हाउस में एंट्री ली। धनखड़ ने अपना सरकारी आवास ख

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जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। उन्होंने 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में कहा था, ‘ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त, 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।’

धनखड़ के अभय चौटाला के फार्म हाउस में शिफ्ट होने बाद अभय ने कहा- जगदीप धनखड़ शाम करीब 6 बजे उनके आवास में शिफ्ट हुए हैं। यह घर जगदीप धनखड़ का ही घर है। वह जब तक चाहें, यहां रह सकते हैं। मैं इस समय बाहर हूं।

सिरसा में धनखड़ ने कहा था- मैं ताऊ देवीलाल का शिष्य सिरसा में 6 महीने पहले बतौर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहुंचे थे। उन्होंने यहां ओढ़ा स्थित माता हरकी देवी कॉलेज के दीक्षांत समारोह में शिरकत की थी। इस दौरान उन्होंने पूर्व उपप्रधानमंत्री दिवंगत चौधरी देवीलाल को अपना राजनीतिक गुरु बताया था और कहा था- आज मैं जो कुछ भी हूं, मेरी हैसियत चौधरी देवीलाल के साथी की नहीं हो सकती। मैं तो उनके चरणों में रहा हूं। मेरी राजनीतिक शिक्षा-दीक्षा चौधरी देवीलाल के चरणों से शुरू हुई है।

ओमप्रकाश चौटाला को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे धनखड़ पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने सिरसा के तेजाखेड़ा गांव पहुंचे थे। ओपी चौटाला का 20 दिसंबर 2024 को निधन हो गया था। अगले ही दिन 21 दिसंबर को जगदीप धनखड़ चौटाला को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे और शोक सभा में अपने विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने ओपी चौटाला की पार्थिव देह पर फूल चढ़ाए थे। इसके बाद वह अभय चौटाला को सांत्वना देते भी दिखे थे।

ताऊ देवीलाल के पौत्र हैं अभय चौटाला धनखड़ जिन अभय चौटाला के फार्म हाउस में शिफ्ट हुए हैं, वह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के बेटे हैं और पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के पौत्र हैं। ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद करीब 5 महीने पहले अभय चौटाला हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) की राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। इससे पहले वह इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव थे। अभय चौटाला ने ऐलनाबाद की सीट से 2024 में विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल से चुनाव हार गए थे।

21 दिसंबर को जगदीप धनखड़ ओमप्रकाश चौटाला को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। यहां वह अभय चौटाला को सांत्वना देते दिखे। – फाइल फोटो

धनखड़ के इस्तीफे के बाद चौटाला ने यह पोस्ट किया था जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अभय चौटाला ने 22 जुलाई को पोस्ट शेयर किया था, जिसमें लिखा था- ताऊ की राह पर। अभय चौटाला ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था, ‘चौधरी देवीलाल, जिन्हें जनता प्यार से ताऊ कहती थी, ने 1989 में प्रधानमंत्री बनने का सुनहरा अवसर ठुकरा कर देश को चौंका दिया था। उनके लिए सत्ता नहीं, जनता की सेवा और सिद्धांत ज्यादा महत्वपूर्ण थे। उन्होंने अपने जीवन भर “सेवा ही धर्म” को अपना मार्ग बनाया।’

उन्होंने आगे लिखा- आज जब जगदीप धनखड़ जैसे कर्मठ नेता ने अपने स्वास्थ्य और चिकित्सकीय सलाह को प्राथमिकता देते हुए उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दिया, तो यह स्पष्ट होता है कि वह केवल पद के भूखे नहीं, बल्कि कर्तव्यनिष्ठ और सिद्धांतवादी राजनीतिज्ञ हैं। धनखड़ का यह निर्णय न केवल उनके व्यक्तिगत चरित्र को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि वह ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत के सच्चे अनुयायी हैं।

अभय चौटाला ने सोशल मीडिया पर यह फोटो पोस्ट की थी। उन्होंने बताया था कि वह धनखड़ में ताऊ देवीलाल की छवि देखते हैं।

इस्तीफे के 15 महीने बाद खाली करना था बंगला जगदीप धनखड़ को पद से इस्तीफा देने के 15 महीने बाद सरकारी आवास छोड़ना था, लेकिन उन्होंने 41 दिन बाद ही आवास खाली कर दिया। धनखड़ पिछले साल अप्रैल में संसद भवन परिसर के पास चर्च रोड स्थित नवनिर्मित उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में शिफ्ट हुए थे।

उपराष्ट्रपति के आवास और कार्यालय वाले वीपी एन्क्लेव का निर्माण सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत किया गया था। लगभग 15 महीने तक वीपी एन्क्लेव में रहने के बाद पूर्व उपराष्ट्रपति को इसे छोड़ना था। इसके बाद धनखड़ को लुटियंस दिल्ली या किसी अन्य इलाके में टाइप VIII बंगला दिया जाना था। टाइप VIII बंगला आमतौर पर वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों या राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों को आवंटित किया जाता है।

धनखड़ देश के पहले उपराष्ट्रपति, जिनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। बाद में तकनीकी कारणों से प्रस्ताव खारिज हो गया था।

विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा था। विपक्ष का दावा था कि वह सिर्फ विपक्ष की आवाज और उनके सांसदों की ओर से उठाए गए सवालों को दबाते हैं।

धनखड़ के पिछले कार्यकाल को देखें तो कई अहम पदों पर रहे, लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा होते नहीं देख पाए। एक बार विधायक के तौर पर उनके 5 साल एकमात्र अपवाद है।

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