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Donald Trump-Vladimir Putin Meeting in Alaska: अलास्का का वो इलाका जहां 6 परमाणु बम फोड़ने वाला…

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार (15 अगस्त, 2025) को अलास्का के एंकरेज में मिलने वाले हैं. ये आगे की बातचीत का पहला स्टेप है. ट्रंप ने साफतौर पर कहा है कि उनकी प्राथमिकता तुरंत शांति समझौता करवाना है. बता दें कि इसी अलास्का का एक ऐसा किस्सा भी है, जिसे जानकर आपको भी हैरानी होगी. 

1958 में अमेरिकी एटॉमिक एनर्जी कमीशन (AEC) ने दावा किया कि अलास्का के नॉर्थ-वेस्ट कोस्ट पर एक हार्बर बनाने में बस कुछ सेकंड लगेंगे. केप थॉम्पसन और चुकोची सी के बीच जमीन में 6 न्यूक्लियर बम गाड़कर एक साथ ब्लास्ट करने का तरीका सुझाया गया था. ये विस्फोट नागासाकी और हिरोशिमा पर गिराए गए बमों से करीब 8 गुना ज्यादा ताकतवर होता. उनका मानना था कि अगर ब्लास्ट सही मौसम में और बर्फ की परत के बीच किया जाए तो रेडिएशन का असर बहुत कम होगा और लोकल हंटिंग सीजन पर सिर्फ कुछ हफ्तों का असर पड़ेगा.

क्या था प्रोजेक्ट चेयरियट?
प्रोजेक्ट चेयरियट के तहत न्यूक्लियर पावर का इस्तेमाल मॉडर्न इंजीनियरिंग और डेवलपमेंट के लिए किया जाना था. सबसे बड़ा सपना था एक नया ‘सी-लेवल कैनाल’ बनाना, जो पनामा कैनाल के मुकाबले ज्यादा तेज और सिक्योर हो. उस समय पनामा कैनाल में जहाजों को ऊपर-नीचे करने के लिए लॉक सिस्टम था, जिससे यात्रा में 12 घंटे तक लग जाते थे. किसी एक लॉक के खराब होते ही यह पूरी तरह बेकार हो सकता था.

क्यों बंद करना पड़ा ये प्रोजेक्ट?
दरअसल प्रोजेक्ट चेयरियट के लिए चुना गया इलाका इन्‍यूपियात जनजाति का घर था. AEC का मानना था कि कम आबादी होने से रिस्क कम होगा, लेकिन वहां के स्थानीय लोगों ने इसका जोरदार विरोध किया. उनका डर था कि रेडिएशन से उनके शिकार, मछलियां और पीने का पानी हमेशा के लिए दूषित हो जाएंगे.

1962 में AEC ने प्रोजेक्ट चेयरियट ड्रॉप कर दिया. करीब एक दशक बाद पूरा प्लोशेयर प्रोग्राम बंद हो गया, लेकिन न्यूक्लियर पावर को क्रिएटिव तरीके से इस्तेमाल करने का आइडिया आज भी सामने आता रहता है. एलन मस्क ने मंगल को रहने लायक बनाने के लिए थर्मोन्यूक्लियर ब्लास्ट का सुझाव दिया था. 

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