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Dr. Urjit Patel becomes the Executive Director of IMF | डॉ. उर्जित पटेल IMF के एग्जीक्यूटिव…

39 मिनट पहले

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RBI के पूर्व गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल को इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी IMF का एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बनाया गया। भारत सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। उनका कार्यकाल 3 साल का होगा।कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग यानी DoPT ने गुरुवार, 28 अगस्त को ऑफिशियल ऑर्डर जारी कर इस फैसले की पुष्टि की।

उर्जित का जन्म केन्या में हुआ था। हालांकि, उनके दादाजी गुजरात के खेड़ा जिले के महुधा गांव से केन्या गए थे। उनके पिता नैरोबी में रेक्सो प्रोडक्ट्स लिमिटेड नाम की एक केमिकल फैक्ट्री चलाया करते थे।

IMF से करियर की शुरुआत की

अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में Ph.D. करने के बाद उर्जित ने इकोनॉमिस्ट के रूप में IMF से अपने करियर की शुरुआत की। वे 1990 से 1995 तक इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी IMF में कार्यरत रहे। इस दौरान उन्होंने अमेरिका, भारत और म्यांमार जैसे देशों के लिए इंडिया डेस्क पर काम किया। कई IMF के मिशनों में शामिल हुए और कई आर्थिक नीतियों पर रिसर्च किया।

वो 1996 में भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस में डिप्टी सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त हुए। इस दौरान फाइनेंशियल सेक्टर्स के सुधारों और नीतियों पर काम किया।

फिर उर्जित 1998 में RBI में शामिल हुए। उन्होंने 2001 तक के डिप्टी गवर्नर के साथ मिलकर काम किया। कई RBI कमेटियों (जैसे बैंकिंग सेक्टर रिफॉर्म्स, पेंशन, वित्तीय स्थिरता, आदि) में योगदान दिया।

इसके बाद साल 2001 से 2013 तक वो कई निजी संस्थानों और रिसर्च संस्थानों से जुड़े। इस दौरान उन्होंने रिलायंस और IDFC जैसे ऑर्गनाइजेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) में बिजनेस डेवलपमेंट एंड स्ट्रैटजी के अध्यक्ष भी रहे।

इस दौर में उन्होंने कई पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट्स और थिंक टैंक्स के साथ काम किया।

उर्जित पटेल को जनवरी, 2013 में RBI का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 3 सालों (2016 तक) का रहा। इस दौरान मॉनिटरी पॉलिसी, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और इकोनॉमी में सुधार के लिए काम किया। साथ ही, उन्होंने मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) बनाने में अहम भूमिका निभाई।

RBI के 24वें गवर्नर बने

सितंबर 2016 में रघुराम राजन का बतौर RBI गवर्नर कार्यकाल खत्म हुआ। 4 सितंबर, 2016 को उर्जित पटेल ने रघुराम राजन की जगह ली। वे RBI के 24वें गवर्नर बने। उनका कार्यकाल लंबा नहीं रहा। उन्होंने 2 साल में ही 10 दिसंबर, 2018 को निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था। यह 1992 के बाद RBI के किसी भी गवर्नर का सबसे छोटा कार्यकाल रहा।

RBI गवर्नर रहते हुए उर्जित ने इन्फ्लेशन टार्गेटिंग फ्रेमवर्क यानी मुद्रास्फीति नियंत्रण लागू किया।

उनके कार्यकाल के दौरान सरकार और उनके बीच मतभेद भी सामने आए थे। इस्तीफे से पहले उर्जित ने RBI की स्वतंत्रता, रिजर्व ट्रांसफर और बैंकों के विनियमन को लेकर सरकार से नाराजगी जाहिर की थी।

साल 2020 में उर्जित ने ‘Overdraft: Saving the Indian Saver’ नामक किताब लिखी, जिसमें भारतीय बैंकिंग सेक्टर और वित्तीय संकट पर अपनी बात लिखी थी।

AIIB के वाइस प्रेसिडेंट रह चुके हैं

जनवरी 2022 में एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) के वाइस प्रेसिडेंट बने। ये एक मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक है। इसकी स्थापना 2016 में चीन के नेतृत्व में हुई थी और इसका मुख्यालय बीजिंग में है। इसका मुख्य उद्देश्य सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट प्रोवाइड करना। ताकि एशिया के सोशल और इकोनॉमिक डेवलपमेंट को बढ़ावा देना है। ये बैंक 19 देशों का प्रतिनिधित्व करता है।

RBI के पूर्व गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल को इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी IMF का एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बनाया गया। ‘मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) ने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ED) के पद पर नियुक्त किए जाने को मंजूरी दी है।

30 साल बाद IMF में उर्जित वापसी हुई है, उन्होंने यहीं से अपने करियर की शुरुआत की थी।

इससे पहले भारत सरकार IMF के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम को हटा दिया गया था। उनका कार्यकाल 6 महीने पहले ही खत्म कर दिया गया था। सरकार ने इस पद के लिए 30 अप्रैल को आदेश जारी किया था। अब इस पद पर भारत सरकार ने उर्जित पटेल के नाम को मंजूरी दी है।

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