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High court canceled the orders of UDA-UDH and DIG stamp | हाईकोर्ट ने यूडीए-यूडीएच और डीआईजी…

जोधपुर हाईकोर्ट ने उदयपुर की रूपनगर, भुवाणा, नलफला, वाडा, ढीकली प्लान पर पटटे रद्द के मामले में दायर रिट याचिका पर स्वीकार करते हुए उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) की और से ​दिए गए आदेशों को निरस्त कर दिया है।

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हाईकोर्ट के जज ने रिट याचिका स्वीकार करने के साथ ही दिए फैसले में उदयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा 24 फरवरी 2025, 27 फरवरी 2025 के कार्यालय आदेश और नगरीय विकास विभाग की और से 19 मार्च 2025 को जारी पत्र, उप महानिरीक्षक, पंजीयन एवं मुद्रांक, जिला उदयपुर द्वारा 28 फरवरी 2025 को जारी पत्र और उदयपुर विकास प्राधिकरण का 27 मार्च 2025 को किया गया निर्णय निरस्त कर दिया।

अनुमोदित प्लानों को नियम विरुद्ध बताकर आवंटन (पट्‌टे) रद्द कर करीब 530 करोड़ की रिकवरी निकालने के मामले में इस आदेश के बाद यूडीए को बड़ा झटका लगा है। साथ ही अब हजारों लोगों के मकान बनाने की राह खुलेगी।

जोधपुर उच्च न्यायालय ने पारित किए आदेश स्थानीय अंकक्षेण विभाग की और से निकाले गए आडिट आक्षेप पर भी सवाल उठे है। उदयपुर के रूपनगर, भुवाणा, नलफला, वाडा, ढीकली के अलग-अलग प्लान का था। उदयपुर के धाउजी की बावड़ी निवासी जगदीश चंद्र टेलर की ओर से लगाई याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला दिया है।

हाईकोर्ट के आदेश की खास बातें…

  • यूडीए के अधिकारियों ने जानबूझकर लागू कानूनों और नीतियों की अनदेखी कर याचिकाकर्ताओं के वैधानिक अधिकारों का हनन किया। यूडीए ने आदेश पारित करने से पहले न तो कोई कारण बताओ नोटिस जारी किया और न किसी प्रकार की सुनवाई की।
  • आदेश में यूडीए द्वारा लगाए गए 530 करोड़ की राजस्व हानि के आरोपों, याचिकाकर्ताओं के अनुमोदित प्लानों और पट्टों के आवंटन को यूडीए के तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत के आरोपों को निराधार माना।
  • पूर्व में अनुमोदित प्लान्स को प्रचलित नियमों में माना एव वर्तमान अधिकारियों द्वारा उक्त प्लान्स का प्री निरस्तीकरण, पट्टा एव लीज डीड निरस्तीकरण के समस्त आदेशों को निरस्त किया
  • हाईकोर्ट ने स्थानीय निधी अंकेक्षण विभाग द्वारा उक्त प्लान्स में 530 करोड़ की राशि की अनियमितता को भी खारिज किया। साथ ही कहा की UDA अधिकारियों ने आकड़ों को सिर्फ बढ़ा-चढ़ा के पेश करने का काम किया है।
  • हाईकोर्ट ने कहा कि यूडीए में कानूनों की अवहेलना करते हुए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है एव दुर्भावना से प्रेरित लगा। इशारा वर्तमान अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर था।

समझिए पूरे मामले को

यूआईटी जो अब यूडीए में 530 करोड़ के घोटाले आरोप पर तत्कालीन यूआईटी सचिव नितेंद्र पाल सिंह, राजेश जोशी सहित सहित अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित किया गया था। इन पर प्लान पास करते समय 60:40 अनुपात के नियमों की पालना नहीं करने के आरोप लगाए गए। ऑडिट विभाग ने 530.40 करोड़ की राजस्व हानि के तथ्य रखे थे।

अब आगे क्या होगा जानकार बताते है कि इस आदेश के बाद इन प्लान में निर्माण हो सकेगा और घर बनाने का सपना देख रहे हजारों लोगों के सपने पूरे होंगे। इससे उस क्षेत्र में भवन अनुमति को लेकर भी राज्य सरकार की तिजोरी में धन आएगा। इन क्षेत्रों में विकास की नई राह खुलेगी जिससे रोजगार के भी कई अवसर उपलब्ध होंगे।

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