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eSIM का पूरा सच! क्या है ये नई टेक्नोलॉजी और कैसे बदल देगी आपकी SIM कार्ड की दुनिया? भारतीय…

eSIM Technology: स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है और अब पारंपरिक SIM कार्ड की जगह eSIM (Embedded SIM) धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है. यह एक डिजिटल सिम है जो सीधे आपके फोन के हार्डवेयर में मौजूद रहती है. यानी आपको इसे लगाने या निकालने की जरूरत नहीं होती. भारत में फिलहाल Jio, Airtel और Vi जैसी बड़ी टेलीकॉम कंपनियां चुनिंदा डिवाइस पर eSIM सपोर्ट देती हैं. हालांकि, अभी भी कई यूज़र्स के मन में सवाल है कि यह तकनीक क्या है और भारत जैसे बड़े बाजार में इसके फायदे और सीमाएं क्या हो सकती हैं.

नॉर्मल SIM कार्ड क्या होता है?

SIM का पूरा नाम है Subscriber Identity Module. यह एक छोटी प्लास्टिक चिप होती है जिसे फोन में डालना पड़ता है. इसमें आपकी मोबाइल नेटवर्क डिटेल्स, नंबर और कुछ बेसिक कॉन्टैक्ट्स स्टोर होते हैं. भारत में फिलहाल nano-SIM सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रही है.

eSIM क्या है?

eSIM (Embedded SIM) असल में SIM का डिजिटल वर्ज़न है जो आपके फोन के मदरबोर्ड में ही इनबिल्ट रहती है. इसे एक्टिव करने के लिए आपको अलग से कार्ड डालने की जरूरत नहीं होती. टेलीकॉम ऑपरेटर QR कोड या सेटिंग्स के जरिए इसे एक्टिवेट कर देते हैं. भारत में iPhone, Google Pixel और कुछ Samsung Galaxy मॉडल्स पहले से ही eSIM सपोर्ट करते हैं.

eSIM और नॉर्मल SIM में अंतर

  • नॉर्मल SIM एक अलग कार्ड है जबकि eSIM फोन के अंदर पहले से लगी होती है और हटाई नहीं जा सकती.
  • eSIM में आप QR कोड स्कैन करके ऑपरेटर बदल सकते हैं जबकि नॉर्मल SIM बदलने के लिए फिजिकल कार्ड स्वैप करना पड़ता है.
  • eSIM के साथ आप एक साथ डिजिटल और फिजिकल दोनों SIM चला सकते हैं.
  • eSIM चोरी या खो नहीं सकती जबकि फिजिकल SIM आसानी से गुम हो सकती है.
  • eSIM से फोन के अंदर अतिरिक्त जगह बचती है जिससे कंपनियां स्लिम डिजाइन या बड़ी बैटरी दे सकती हैं.

भारत में eSIM के फायदे

  • बिना स्टोर गए ऑपरेटर बदलना आसान.
  • SIM कार्ड के टूटने या गुम होने का कोई खतरा नहीं.
  • ट्रैवलर्स के लिए सुविधाजनक, विदेश में नया SIM खरीदे बिना इंटरनेशनल प्लान तुरंत एक्टिव कर सकते हैं.
  • डुअल SIM का फायदा, एक नंबर काम के लिए और दूसरा पर्सनल के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.

भारत में eSIM की चुनौतियां

सीमित डिवाइस सपोर्ट: फिलहाल केवल महंगे स्मार्टफोन्स (iPhone, Pixel, Samsung Galaxy) में ही eSIM मिलती है.

जटिल सेटअप: फिजिकल SIM की तरह तुरंत लगाने पर काम शुरू नहीं होता बल्कि QR कोड और सेटिंग्स के जरिए एक्टिवेट करना पड़ता है.

फोन बदलना मुश्किल: नॉर्मल SIM की तरह तुरंत दूसरे फोन में ट्रांसफर नहीं हो सकती, इसे दोबारा सेटअप करना पड़ता है.

सीमित ऑपरेटर: अभी सिर्फ Jio, Airtel और Vi ही eSIM सपोर्ट करते हैं. छोटे नेटवर्क पीछे हैं.

फोन खोने या खराब होने पर दिक्कत: डिवाइस डैमेज या लॉस्ट होने पर eSIM तुरंत ट्रांसफर नहीं हो पाती इसके लिए फिर से ऑपरेटर से रिक्वेस्ट करनी पड़ती है.

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