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Petition challenging rollout of E20 petrol dismissed | E20 पेट्रोल के रोलआउट को चुनौती देने…

नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने आज सरकार की इथेनॉल ब्लेंडिंग प्लान को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इस प्लान के तहत सरकार का टारगेट है कि 2025-26 तक देश में बिकने वाला पेट्रोल E20 पेट्रोल (यानी 20% इथेनॉल मिक्स) होगा।

सोमवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा, ‘अब बाहर का कोई बताएगा कि हमें कौन-सा पेट्रोल इस्तेमाल करना है। PLI में कहा गया था कि सरकार 2023 से पहले की गाड़ियों के लिए इथेनॉल फ्री पेट्रोल उपलब्ध कराए, क्योंकि गाड़ियों को नुकसान पहुंचा रहा है।

याचिका में माइलेज 6% कम होने की बात कही

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील शादान फरासत ने 2021 की नीति आयोग की एक रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसमें पुरानी गाड़ियों- खासकर 2023 से पहले बनी गाड़ियों के लिए इथेनॉल मिक्स पेट्रोल से माइलेज 6% कम होने की चिंता जताई गई थी।

उन्होंने कहा, ‘हमें ऑप्शन तो दिया जाए … हम E20 के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कम से कम सप्लायर्स को हमें बताना चाहिए कि कुछ गाड़ियां इसके साथ कम्पैटिबल नहीं हैं। सिर्फ अप्रैल 2023 के बाद बनी गाड़ियां ही E20 को झेल सकती हैं।’

PLI में E20 पर सवाल और मांगें

  • 20% इथेनॉल मिक्स पेट्रोल (E20) अप्रैल 2023 से पहले बने लाखों वाहनों के लिए ठीक नहीं है।
  • इससे इंजन में जंग, माइलेज में कमी और मेंटेनेंस का खर्च बढ़ने की समस्या हो रही है।
  • E20 पेट्रोल मेंडेटरी करना और इथेनॉल-फ्री पेट्रोल का ऑप्शन न देना कंज्यूमर्स के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
  • पेट्रोल पंपों पर E20 पेट्रोल की स्पष्ट लेबलिंग नहीं की जाती, जिससे इथेनॉल की मात्रा की जानकारी नहीं मिलती।
  • 20% इथेनॉल मिलाने के बावजूद पेट्रोल की कीमत में कम नहीं हुई, जिसका फायदा कंज्यूमर्स को नहीं मिल रहा।
  • सभी पेट्रोल पंपों पर इथेनॉल-फ्री पेट्रोल भी उपलब्ध कराया जाए।
  • पेट्रोल पंप पर इथेनॉल की मात्रा स्पष्ट रूप से लेबल की जाए।

मंत्रालय ने कहा- E20 फ्यूल से गाड़ियों को कोई नुकसान नहीं होता

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अगस्त महीने की शुरुआत में इस मुद्दे पर कहा था कि E20 फ्यूल से गाड़ियों को कोई नुकसान नहीं होता। मंत्रालय के मुताबिक, लंबे टेस्ट में 100,000 किलोमीटर तक गाड़ियों को E20 से चलाया गया और हर 10,000 किलोमीटर पर चेक किया गया। नतीजा ये निकला कि पावर, टॉर्क और माइलेज में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। हालांकि, ये माना गया कि नए वाहनों में माइलेज 1-2% और पुरानी गाड़ियों में 3-6% तक कम हो सकता है, लेकिन ये ‘ड्रास्टिक’ नहीं है और इंजन ट्यूनिंग से इसे ठीक किया जा सकता है।

पुरानी गाड़ियों का क्या?

पुरानी गाड़ियों को लेकर चिंता जताई जा रही थी कि E20 से उनके इंजन और पार्ट्स खराब हो सकते हैं, लेकिन मंत्रालय ने साफ किया कि E20 में कॉरोजन इनहिबिटर्स (जंगरोधी तत्व) डाले गए हैं और BIS और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स के तहत सेफ्टी सुनिश्चित की गई है। अगर पुरानी गाड़ियों में 20000 – 30000 किलोमीटर चलने के बाद रबर पार्ट्स या गास्केट्स बदलने पड़ें, तो ये रूटीन मेंटेनेंस का हिस्सा है और सस्ता भी है।

क्या होता है एथेनॉल?

एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जो स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से बनाया जाता है। इसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में इको-फ्रैंडली फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने के रस से होता है, लेकिन स्टार्च कॉन्टेनिंग मटेरियल्स जैसे मक्का, सड़े आलू, कसावा और सड़ी सब्जियों से भी एथेनॉल तैयार किया जा सकता है।

  • 1G एथेनॉल : फर्स्ट जनरेशन एथेनॉल गन्ने के रस, मीठे चुकंदर, सड़े आलू, मीठा ज्वार और मक्का से बनाया जाता है।
  • 2G एथेनॉल : सेकंड जनरेशन एथेनॉल सेल्युलोज और लिग्नोसेल्यूलोसिक मटेरियल जैसे – चावल की भूसी, गेहूं की भूसी, कॉर्नकॉब (भुट्टा), बांस और वुडी बायोमास से बनाया जाता है।
  • 3G बायोफ्यूल : थर्ड जनरेशन बायोफ्यूल को एलगी से बनाया जाएगा। अभी इस पर काम चल रहा है।

अप्रैल से देश में बिक रहीं E-20 पेट्रोल

पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से होने वाले एयर पॉल्यूशन को रोकने और फ्यूल के दाम कम करने के लिए दुनियाभर की सरकारें एथेनॉल ब्लेंडेड फ्यूल पर काम कर रही हैं। भारत में भी एथेनॉल को पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। इससे गाड़ियों का माइलेज भी बढ़ेगा।

देश में 5% एथेनॉल से प्रयोग शुरू हुआ था जो अब 20% तक पहुंच चुका है। सरकार अप्रैल के महीने में नेशनल बायो फ्यूल पॉलिसी लागू कर E-20 (20% एथेनॉल + 80% पेट्रोल) से E-80 (80% एथेनॉल + 20% पेट्रोल) पर जाने के लिए प्रोसेस शुरू कर चुकी है। इसके अलावा देश में अप्रैल से सिर्फ फ्लेक्स फ्यूल कंप्लाइंट गाड़ियां ही बेची जा रही हैं। साथ ही पुरानी गाड़ियां एथेनॉल कंप्लाएंट व्हीकल में चेंज की जा सकेंगी,

​​​​​​एथेनॉल मिलाने से क्या फायदा है?

पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से पेट्रोल के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। इसके इस्तेमाल से गाड़ियां 35% कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन भी एथेनॉल कम करता है। एथेनॉल में मौजूद 35% ऑक्सीजन के चलते ये फ्यूल नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करता है।

  • आम आदमी को क्या फायदा : एथेनॉल मिलावट वाले पेट्रोल से चलने वाली गाड़ी पेट्रोल के मुकाबले बहुत कम गर्म होती हैं। एथेनॉल में अल्कोहल जल्दी उड़ जाता है, जिसके चलते इंजन जल्द गर्म नहीं होता है। इसके अलावा ये कच्चे तेल के मुकाबले काफी सस्ता पड़ेगा। इससे भी महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है।
  • किसानों को फायदा : एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। क्योंकि एथेनॉल गन्ने, मक्का और कई दूसरी फसलों से बनाया जाता है। चीनी मिलों को कमाई का एक नया जरिया मिलेगा और कमाई बढ़ेगी। एथेनॉल से किसानों को 21 हजार करोड़ रुपए का फायदा हुआ है।

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