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Avadh ojha Interview; Avadh Ojha On RPSC SI Exam | Avadh Ojha Statement On Krishna And…

UPSC के जाने-माने टीचर और दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़े अवध ओझा जयपुर में एक मोटिवेशनल सेशन में पहुंचे थे। यहां उन्होंने दैनिक भास्कर से लिव इन रिलेशनशिप, प्रेमानंद-अनिरुद्धाचार्य के बयान और पढ़ाते वक्त कट्टे-हथियारों के जिक्र

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उन्होंने भास्कर रिपोर्टर के सवालों के जवाब में लिव-इन रिलेशनशिप पर कहा- कोई भी व्यवस्था किसी कारण से उपजती है। 30 साल तक विवाह नहीं हो रहे हैं। अगर लिव इन ही विवाह में कन्वर्ट हो जाए तो अच्छा है।

ओझा ने प्रेमानंद महाराज और अनिरुद्धाचार्य के बयानों पर कहा- अगर आप इन व्यवस्थाओं से दुखी हैं तो इनसे निकलने का रास्ता बताएं।

ओझा ने अपने टीचिंग मेथड में हिंसा और कट्टे चलाने की पंच लाइन को लेकर कहा- भगवान कृष्ण की तरह शस्त्र और शास्त्र की भी शिक्षा लेनी चाहिए। भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र ही कट्टा है। कृष्ण और युधिष्ठिर में फर्क है। भरी सभा में चीर हरण हुआ क्योंकि युधिष्ठिर कट्टा नहीं निकाल पाए। ओझा ने राजनीति को लेकर कहा कि कमी राजनीति में नहीं, जनता में हैं।

दैनिक भास्कर में पढ़िए पूरा इंटरव्यू

भास्कर: राजस्थान में आप ऑफलाइन क्लासेज की शुरुआत करने जा रहे हैं क्या मोटिव लेकर आए हैं?

जवाब: मैं जयपुर अपने गुरु की आज्ञा से आया हूं। मेरे गुरु अड़गड़ानंद ओसियां (जोधपुर) के रहने वाले हैं और मैं यथार्थ गीता पढ़ाता हूं। जयपुर में भी कोचिंग क्लास की शुरुआत करने वाले यश और प्रखर मेरे स्टूडेंट रहे हैं। अब यहां इंस्टीट्यूट चला रहे हैं।

मेरा उद्देश्य राजस्थान को लेकर था कि यहां की जो सबसे बड़ी डिपेंडेंसी है वह है नौकरी। राजस्थान में ज्यादा फैक्ट्रियां नहीं है और लड़कों को अगर सही दिशा मिल जाए तो उन्हें रोजगार आसानी से प्राप्त हो सकता है। मैं गीता पढ़ता हूं तो उन्हें इसी मार्ग से बताना कि उन्हें किस तरीके से अपनी लड़ाई लड़नी है जिससे उनका मार्ग आसान हो जाए।

भास्कर: आरपीएससी विवादों में है, ASI भर्ती रद्द हो चुकी है ऐसे में आपके लिए चैलेंज क्या होगा?

जवाब: सरकारों को एक बात पर ध्यान रखना चाहिए कि हर आदमी की क्षमता नहीं है कि वह बार-बार फॉर्म भर सके बार-बार एग्जाम दे सके। यह एक परंपरा चल पड़ी है, कभी नीट एग्जाम कभी एसआई एग्जाम कैंसिल हो रहे हैं। यह कहीं ना कहीं सरकार की क्षमता पर सवाल उठाता है।

ऐसे में अगर सरकार को अपनी इंटीग्रिटी बचानी है तो ऐसी चीजों पर विशेष ध्यान रखना होगा कि ऐसी चीजें न होने पाएं। क्योंकि 70% ऐसे लड़के होते हैं जो अपनी जिंदगी अपना परिवार सब कुछ दाव पर लगाकर पढ़ रहे होते हैं। कई ऐसे स्टूडेंट है जो जिनके पास रहने की जगह नहीं होती अच्छे खाने की व्यवस्था नहीं होती।

भास्कर: सोशल मीडिया पर एक कोचिंग संस्थान से लड़की के कूदने के प्रयास का वीडियो वायरल हुआ क्या बच्चों पर तनाव अत्यधिक है?

जवाब: कोचिंग संस्थान कोई प्रेशर नहीं करता। एक्चुअली जिंदगी में ही प्रेशर में है। पांडवों की जिंदगी में कम प्रेशर थे क्या? पांडव कौनसी तैयारी कर रहे थे। कभी उन्हें जंगल में रहना पड़ रहा है कभी अर्जुन को महिला बनकर रहना पड़ रहा है।

मैं कहना चाहूंगा कि जीवन ही एक चैलेंज है। इसलिए मैं बार-बार इन बातों पर भी ध्यान देता हूं कि पढ़ाई के साथ-साथ व्यक्तित्व का विकास अनिवार्य है। अगर आप मन और शरीर से स्वस्थ होंगे तभी आप इस तरीके के चुनौतियों का सामना कर पाएंगे।

भास्कर: प्रेमानंद महाराज और अनिरुद्ध आचार्य जैसे आचार्यों पर बयानों को लेकर विवाद हुए हैं? आपकी क्या राय है।

जवाब: मैं कहना चाहूंगा कि औरतों की आजादी ने बहुत सारे पुरुषों की नपुंसकता को उजागर कर दिया है। मैं एक सीधी सी बात बताता हूं कि पार्वती शंकर जी से कितना प्यार करती हैं। कोई पार्वती जी से शंकर जी को छुड़वा कर दिखा दे। कोई सीता जी से राम जी को छुड़वा कर दिखा दे। मैं कहता हूं जहां शक्ति है वहां स्त्री का समर्पण है। वहां तो सोने की लंका थी, सीता जी तो सोने का हिरण देखकर ही खुश थी। वह रावण तो उन्हें सोने की लंका देने को तैयार था।

मैं इन महाराज जी की बातों से कोई एतराज नहीं रखता। मैं इन लोगों से कह रहा था कि आप अगर इन व्यवस्थाओं से दुखी हैं, लिव इन रिलेशनशिप से दुखी हैं। बहुत अच्छी बात है। लेकिन मेरा एतराज एक शब्द को लेकर था। बहुत सारी बहन बेटियां हैं जो लिव इन में रह रही हैं। तो इसमें अगर कोई चुनौती है तो आप उससे निकलने का रास्ता बताएं।

भास्कर: आपके लाखों फॉलोअर्स हैं, आप लिव इन रिलेशनशिप को सही मानते हैं?

जवाब: पहले बाल विवाह होता था। 15 साल 16 साल में शादियां हो जाती थी। बाल विवाह को जाने के बाद 30 साल की उम्र तक जो शरीर की आवश्यकता होती है वह खत्म हो जाती थी। अब 30 साल तक विवाह नहीं हो रहे हैं। अगर लिव इन का रास्ता नहीं निकलता तो रेप बढ़ जाते। कोई भी व्यवस्था किसी कारण से उपजती है। 30 साल तक विवाह नहीं हो रहा है।

मैं कहना चाहता हूं कि यदि लिव इन रिलेशनशिप में एक भाव पैदा हो जाए और वह विवाह में कन्वर्ट हो जाए तो वह व्यवस्था ज्यादा उचित हो जाएगी। दो लोग एक दूसरे की मदद भी कर रहे हैं साथ में रह भी रहे हैं और फिर समय पर दोनों लोगों ने आपस में विवाह करके उस व्यवस्था को एक संवैधानिक व्यवस्था में परिवर्तित कर दिया।

भास्कर: लिव इन को लेकर जिम्मेदार किसको मानते हैं, सिस्टम,सरकार, समाज या परिवार?

जवाब: इसके लिए समय जिम्मेदार है। 1980 में इतना जब को लेकर नशा नहीं था। लेबराइजेशन आया तो लड़के और लड़की दोनों जॉब ओरिएंटेड हो गए। लड़कियां कहती हैं कि पहले मेरा करियर है फिर शादी करूंगी। अब जब करियर है तो करियर 20 साल में तो बनेगा नहीं। बहुत कम लड़कों या बहुत कम लड़कियों के करियर 20 साल में बनेंगे। किसी का 25 में तो किसी का 30 में बनेगा। तो यह जो 30 साल तक लोग पहुंच जा रहे हैं यह उसी का परिणाम है।

भास्कर: आप यूपीएससी की तैयारी कराते हैं बीच में कट्टो की, हथियारों की भी बात करते हैं, ये कितना ठीक है?

जवाब: भगवान कृष्ण भी कट्टा लेकर चल रहे हैं। उनके पास जो सुदर्शन चक्र है वह कट्टा ही तो है। तभी तो कोई उनके साथ या उनके परिवार के साथ गलत नहीं कर पाया। अगर भीम-अर्जुन यह लोग कट्टा निकाल लिए होते, दुशासन को वही मारे होते तो महाभारत नहीं होता। कृष्ण और युधिष्ठिर में यही फर्क है। युधिष्ठिर के सामने चीर-हरण हुआ। क्योंकि युधिष्ठिर कट्टा नहीं निकाल पाए।

भास्कर: राजनीति में ऐसी क्या कमियां लगी जो आप टीचर से नेता बन गए?

जवाब: राजनीति में कोई कमी नहीं है। कमी है तो जनता में। इस देश की जनता को जब भी नेता चुनना है। वह ऐसा नेता चुने, जिस तरीके का टीचर चाहता है कि कोई मेरे बच्चों की तकदीर बना दे। उसी तरह वे नेता चुने की कोई नेता मेरे देश की तकदीर बना दे। जिस दिन इस देश की जनता टीचर और डॉक्टर चुनने के पैरामीटर पर नेता को चुनने लगेगी उस दिन इस देश की सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।

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