Nahargarh Brother Disappearance; Ashish Mystery | Charan Mandir | नाहरगढ़ पहाड़ियों में लापता…

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ये दर्द है जयपुर में नाहरगढ़ की पहाड़ियों में लापता हुए राहुल (25) और आशीष (22) के पिता सुरेश चंद शर्मा (52) का। चरण मंदिर के दर्शन के लिए घर से निकले इनके दोनों बेटे नहीं लौटे। 24 घंटे बाद छोटे बेटे की लाश झाड़ियों में मिली थी। बड़े बेटे का अबतक कोई सुराग नहीं लगा है।
करीब 6 महीने तक सर्च चला। दर्जनों बार लोगों से पूछताछ हुई। लेकिन सालभर बाद भी परिवार को कई सवालों का जवाब नहीं मिला है। घटना के एक साल बाद भास्कर टीम ने जांच कर रहे पुलिस अफसरों से बात की। साथ ही पीड़ित परिवार से भी मुलाकात की। पढ़िए- पूरी रिपोर्ट…
दो भाई घर से निकले, एक की लाश मिली, पुलिस की जांच दूसरे पर अटकी 1 सितंबर 2024 को शास्त्री नगर की पर्वतीय कॉलोनी निवासी राहुल और आशीष सुबह 6.30 बजे घर से पैदल ही नाहरगढ़ स्थित चरण मंदिर के लिए निकले थे।
दोनों भाइयों के रास्ता भटकने और फिर एक भाई की लाश मिलने का यह रहस्य वक्त बीतने के साथ-साथ और गहराता जा रहा है। एक साल के दौरान पुलिस ने हर एंगल से मामले की पड़ताल की। हर बार जांच की सुई अबतक लापता बड़े भाई राहुल पर टिक जाती है।
1 सितंबर की रात को राहुल की मोबाइल लोकेशन उस जगह से 50 मीटर दूर ही थी, जहां 2 सितंबर को आशीष की लाश झाड़ियों में मिली थी। 30 किलोमीटर तक हेलिकॉप्टर, 3-डी स्लैम लेदर इंटेंसिटी मैपिंग, थर्मल इमेजिंग सहित कई एक्सपट्र्स की मदद लेने के बावजूद राहुल का कोई सुराग नहीं लगा।
लापता होने के एक दिन बाद नाहरगढ़ की पहाड़ियों में आशीष का शव मिला था।
400 से ज्यादा पुलिसकर्मियों, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल डिफेन्स और लोकल एक्पट्र्स ने भी चप्पा-चप्पा छान मारा। 6 महीने तक प्रयास जारी रहे। लेकिन राहुल का कोई सुराग नहीं मिला। राहुल से जुड़ा कोई सामन जैसे- मोबाइल, चश्मा, कपड़े, जूते या प्रसाद की पन्नी तक नहीं मिल पाई। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के सदस्य एसीपी शिवरतन गोदारा का कहना है की जांच अब भी चल रही है।
पुलिस की थ्योरी- राहुल ने धक्का दिया, फिर खुद गायब हो गया एसीपी शिवरतन गोदारा ने भास्कर से बातचीत में कहते हैं- अब तक की जांच से पुलिस एक ही संभावना पर पहुंची है। वापसी के दौरान दोनों भाइयों में किसी बात पर झगड़ा हुआ होगा। आवेश में राहुल ने आशीष को धक्का दिया, जिससे उसके सिर में गंभीर चोट लगी और उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद राहुल घरवालों का सामना करने से बचने के लिए खुद ही गायब हो गया होगा। फिलहाल यही एकमात्र संभावना नजर आती है। उन्होंने यह भी साफ किया कि पुलिस हर क्लू और हर एंगल से जांच कर रही है। गोदारा के मुताबिक, राहुल के मिलने के बाद ही केस में कोई ठोस खुलासा संभव है।
डीसीपी (नार्थ) करण शर्मा ने बताया- बीते साल भी बड़े स्तर पर राहुल को ढूंढने के प्रयास किए थे। लेकिन सफलता नहीं मिली। हाल ही में उस क्षेत्र में मिले नरमुंड और कंकाल का डीएनए भी करवाया है। मामले में हमारी जांच अब भी चल रही है।
परिजन बोले- हमारा राहुल ऐसा नहीं कर सकता पुलिस की इस थ्योरी से परिजन सिरे से इनकार करते हैं। सुरेश चंद शर्मा और उनकी पत्नी सीता देवी का कहना है की दोनों भाइयों में बहुत प्यार था। कभी किसी बात पर दोनों में मामूली कहासुनी भी नहीं हुई। हम कैसे मान लें कि राहुल ने अपने भाई की हत्या की है। दोनों के बीच घर, ऑफिस, निजी जिंदगी में ऐसी कोई भी वजह नहीं थी की एक भाई को दूसरे का खून कर दे।
दोनों भले से एक ही ऑफिस में काम करते हों, लेकिन आने और जाने का समय अलग-अलग था। दोनों ही भाई हर तरह के नशे से दूर रहते थे। मोहल्ले-पड़ोस में भी किसी के घर नहीं जाते थे। घर से ऑफिस और ऑफिस से घर यही उनका रूटीन था। इसलिए पुलिस की इस थ्योरी को हम नहीं मानते। पुलिस ईमानदारी से अपना काम कर रही है लेकिन उनकी यह वजह हमारे गले नहीं उतरती।
उस घटना को याद कर बिलखती मां ने कहा- मेरा बेटा अभी जिंदा है।
सुरेश चंद कहते हैं- जहां आशीष की लाश मिली वह ऊपर जाने वाले रास्ते से महज 300-400 मीटर ऊपर है। जबकि चरण मंदिर से उस जगह की दूरी करीब 3 किमी है। इतनी दूर वह आशीष को मारकर उसकी लाश झाड़ियों में क्यों छुपाएगा। सीता देवी कहती हैं- सुबह जब पहली बार आशीष से बात हुई थी तो उसने कहा था कि हम लोग नीचे आ रहे हैं।
दोबारा दोपहर में आशीष को कॉल किया तो उसने बताया कि राहुल कहीं खो गया है और मैं भी रास्ता भटक गया हूं। ऐसे में जब दोनों भाई साथ थे ही नहीं तो राहुल आशीष को कैसे मार सकता है? हमें लगता है कि हमारे बच्चों के साथ कोई बड़ी अनहोनी हुई है। हमें छोटे बेटे आशीष की मौत का इंसाफ और बड़े बेटे की सलामत वापसी के अलावा और कुछ नहीं चाहिए।
आशीष का शव मिलने के बाद राहुल की तलाश हेलिकॉप्टर से लेकर ड्रोन के जरिए की गई थी। लेकिन सफलता नहीं मिल पाई थी।
नर कंकाल मिला तो परिवार की सांसें थम गईं 16 अगस्त को नाहरगढ़ की पहाड़ियों में करीब 70 फीट गहरी खाई से एक नर कंकाल मिला। 70% शरीर जंगली जानवरों ने नोच लिया था। पुलिस ने तुरंत राहुल के परिवार को शिनाख्त के लिए बुलाया था। चूंकि सिर्फ ढांचा ही बचा था, इसलिए कपड़ों और हड्डियों की लंबाई से पहचान की कोशिश हुई। जांच में सामने आया कि शव किसी 50 वर्षीय व्यक्ति का था, जिसकी मौत करीब डेढ़ महीने पहले हुई थी। उसकी कद-काठी राहुल से अलग थी। डीएनए सैंपल भी सुरक्षित किए गए।
16 अगस्त 2025 को नाहरगढ़ की पहाड़ियों में नर कंकाल मिला था, उसे सुरक्षित कर जांच जारी है।
राहुल के पिता सुरेश चंद कहते हैं- 10 दिन तक हमारी सांसें अटकी रहीं कि कहीं यही राहुल न हो। जब साबित हुआ कि वह राहुल नहीं है, तो हमने राहत की सांस ली।
इसी साल नाहरगढ़ से दो भाइयों और एक युवक को गुम होने के बाद सकुशल रेस्क्यू किया गया। राहुल की मां सीता देवी हर बार ऐसी खबरें पढ़कर कहती हैं- अगर उसी दिन पुलिस ने थोड़ी और मुस्तैदी दिखाई होती तो शायद मेरे बच्चे भी आज मेरे पास होते।
माता-पिता का दर्द यही है कि पुलिस ने शुरुआत के ‘गोल्डन आवर्स’ गंवा दिए, जो उन्हें कभी नहीं भूलते।
सुरेश चंद शर्मा उस घटना को याद कर भावुक हो उठे। बोले अभी 11 सितंबर को उसका जन्मदिन आने वाला है।
ऐसे तिल-तिल कर मरने से अच्छा हमें भी मौत आ जाए सीता देवी कहती हैं – जिस दिन से मेरे दोनों बच्चे गए हैं, उस दिन को कोसती हूं, जब मैंने उन्हें मंदिर भेजा। पहली बार दोनों भाई साथ दर्शन को गए थे। सोचा भी नहीं था कि वो वापस नहीं आएंगे।
सीता देवी को दमा है। बेटों के जाने के बाद बीमारी और बढ़ गई है। दवाइयों के सहारे दिन काट रही हैं। पिता सुरेश चंद कांजी वड़ा बेचकर परिवार चलाते हैं। लेकिन बेटों के जाने के बाद बीमार हैं, बाएं पैर में सूजन और दर्द रहता है। वह बताते हैं, छह महीने तक घर से नहीं निकला। फरवरी से फिर ठेला लगाना शुरू किया, क्योंकि पेट पालना था। दिनभर हर कुछ देर में पत्नी को फोन करता हूं। डर रहता है कि कहीं बेटों की याद में खुद को कुछ न कर ले।
सुरेश चंद कहते हैं- अब सोचता हूं…किसके लिए कमाऊं? जब घर लौटता था तो आशीष ही सामान उतारकर ठेला खड़ा करता था। अब वो नहीं है…11 सितंबर को उसका जन्मदिन आता है….इतना कहते-कहते उनकी रुलाई फूट पड़ती है।
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