Anjumohan of Deeg saved the lives of 40 children by donating 3695 ml of milk in a year, a…

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मां तो आखिर मां होती है। राजकीय जनाना अस्पताल की आंचल मदर मिल्क बैंक में माताओं का वात्सल्य देखने को मिलता है। जहां नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए दूध की कमी नहीं होनी दी जाती है। यह राजस्थान की पहली आंचल मिल्क मदर बैंक है, जो 1 सितंबर 2016 को खोली गई थी। यहां पिछले 9 साल में अबतक 8943 महिलाओं ने पहुंचकर दूसरों के जरूरतमंद बच्चों के लिए 2 लाख 67 हजार 280 एमएल दुग्धदान दिया और 11 हजार 199 बच्चों की जान बचाई है।
ये वे बच्चे हैं, जिन्हें बीमार होने, मां की मौत, प्री मैच्योर जन्म या मां के स्तनपान कराने में सक्षम नहीं होने पर मां का दूध नसीब नहीं हो पाया। वहीं पिछले एक साल की बात करें तो डीग की महिला अंजुमोहन ने एक साल में ही मदर मिल्क बैंक में 16 बार पहुंचकर 3695 एमएल दूध डोनट कर 40 से अधिक बच्चों की जान बचाई, जो िक जिले का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।
असल में यहां हर साल करीब 1150 महिलाएं अपने ही नहीं दूसरों के बच्चों को भी मां का दूध उपलब्ध कराती हैं। मदर मिल्क बैंक की नर्सिंग प्रभारी (मैनेजर) अंजना शर्मा ने बताया कि मिल्क बैंक में करीब 700 यूनिट मदर मिल्क रखने क्षमता है, लेकिन यहां की मदर मिल्क बैंक में स्टॉक कभी कम नहीं रहा है। हाल ये रहा है कि क्षमता से अधिक स्टॉक होने पर 2 बार 500-500 यूनिट दूध भरतपुर से अजमेर के स्टोरेज डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर के लिए भेजा है। जहां प्रदेश का एकमात्र मदर मिल्क स्टोरेज सेंटर है। वर्तमान में 324 यूनिट भरतपुर की मदर मिल्क में स्टॉक है।
मदर मिल्क बैंक में दूध दान ही नहीं क्लिनिकल सुविधा… मदर मिल्क बैंक में दूध दान का ही काम नहीं है, बल्कि क्लिनिकल सुविधा भी है। यहां माताएं अपने बच्चे के लिए खुद का दूध निकलवाकर लेकर जाती हैं। ऐसा उस स्थिति में होता है, जब नवजात खुद अपने आप मां का दूध पीने में सक्षम नहीं होते हैं या फिर मां पिलाने में स्रोत नहीं खुलने या अन्य कारणों से सक्षम नहीं हैं। ऐसे में मशीन से दूध निकालकर नवजात को उपलब्ध कराया जाता है।
^जनाना अस्पताल में मदर मिल्क बैंक नवजातों को कुपोषण से बचाने व मां का दूध पिलाने के लिए खोली गई है, जो प्रदेश की पहली है। अस्पताल में नवजात बच्चों को पाउडर व गाय का दूध पिलाने पर पाबंदी है। जिन बच्चों को दूध की जरूरत होती है, उन्हें मदर मिल्क बैंक से नि:शुल्क दूध दिया जाता है। यहां महिलाएं दूसरों के बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए दुग्धदान करने आती हैं। उन्हें हर साल सम्मानित भी किया जाता है।
-डॉ. शेर सिंह, अति. अधीक्षक एवं प्रभारी राजकीय जनाना अस्पताल