‘भारत-चीन के रिश्तों को तीसरे देश के नजरिए से मत देखें’, जिनपिंग से मुलाकात के…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (31 अगस्त, 2025) को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन के संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी की यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक ट्रेड टैरिफ नीतियों की ओर इशारा करती है.
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से रविवार (31 अगस्त, 2025) को एक बयान जारी किया गया है. बयान में मंत्रालय ने कहा, ‘दोनों नेताओं ने आतंकवाद और बहुपक्षीय प्लेटफॉर्म्स पर निष्पक्ष व्यापार जैसे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों और चुनौतियों पर भारत और चीन के साझा आधार को बढ़ाने की आवश्यकता पर चर्चा किया है.’ बयान में एशियाई पड़ोसी देशों के रणनीतिक अधिकारों पर भी जोर दिया गया.
अमेरिका का टैरिफ लागू होने के बीच पीएम मोदी पहुंचे चीन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यह मुलाकात रविवार (31 अगस्त, 2025) को चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय बैठक के दौरान हुई.
पीएम मोदी की जापान और चीन यात्रा ऐसे समय पर हुई जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत को रूस से कच्चा तेल आयात करने और कई अन्य मुद्दों पर अलग-थलग कर रहे हैं. वहीं, पीएम मोदी की इस चीन यात्रा की बात करें, जो सात सालों के बाद हुई है, तो इसमें उनकी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक उस समय हुई जब 2020 में लद्दाख के गलवानी घाटी में सीमा विवाद को लेकर हुए सैन्य टकराव के बाद दोनों देशों के तल्ख संबंधों में नरमी दिखाई दे रही है.
चीनी राष्ट्रपति से क्या बोलें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, मोदी और शी जिनपिंग ने इस बात को दोहराया कि उनके मतों में अंतर को विवादों में नहीं बदलना चाहिए. दोनों नेताओं ने इस बात पर हामी भरी कि, ‘वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में उनकी (भारत और चीन की) दोनों अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका अहम है.’ इसके अलावा, उन्होंने सीमा विवाद को लेकर निष्पक्ष, तार्किक रूप से और दोनों तरफ से स्वीकार किए गए समाधानों को तलाशने की जरूरत पर भी चर्चा की.
MEA के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग से कहा, ‘भारत और चीन दोनों अपने रणनीतिक अधिकारों का पालन करते हैं और उनके संबंधों को किसी भी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए.’
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