Laborer got a seat in medical college | मजदूर को मिली मेडिकल कॉलेज में सीट: ओडिशा का रहने वाला…

13 मिनट पहले
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ओडिशा का 19 साल का मजदूर शुभम सबर अब डॉक्टर बनने जा रहा है। उसने जून में NEET UG क्लियर किया और अब MKCG मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एडमिशन मिल गया है।
शुभम सबर ओडिशा के खुर्दा जिले का रहने वाला है। बनपुर ब्लॉक में उसका गांव हैं जहां 5 लोगों का उसका परिवार रहता है। शुभम के पिता साहादेब सबर गांव में ही खेती-बाड़ी कर घर चलाते हैं। घर की आर्थिक स्थिति की वजह से शुभम को कुछ महीने पहले बेंगलुरु जाना पड़ा जहां एक कंस्ट्रक्शन साइट पर उसने लेबर के तौर पर काम करना शुरू किया था।
एक फोन ने बदल दी जिंदगी
बेंगलुरु जाने को लेकर शुभम ने बताया, ‘मैं 5 लोगों के एक बेहद गरीब परिवार से आता हूं। मुझे अपने सपनों के साथ-साथ परिवार को भी सपोर्ट करना था। इसलिए NEET का एग्जाम देने के बाद मैंने कुछ काम करके परिवार को सपोर्ट करने के बारे में सोचा। मैंने एक लोकल कॉन्ट्रेक्टर से संपर्क किया जिसने मुझे मजदूरी करने के लिए बेंगलुरु भेज दिया।’
बात जून 2025 की है। शुभम सबर बेंगलुरु में कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहा था। तभी उसका फोन बजा। दूसरी ओर उसके ओडिशा के टीचर बासुदेव मोहरना थे। उन्होंने शुभम को बताया, ‘मिठाई खिलाओ, तुम्हारा NEET क्लियर हो गया है। शेड्यूल्ड ट्राइब कैटेगरी में तुम्हारी रैंक 18,212 आई है।’
यह सुनकर शुभम की आंखों में आंसू आ गए। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि डॉक्टर बनने का उसका सपना पूरा होने जा रहा है। वो सीधा अपने कॉन्ट्रेक्टर के पास गया और उससे हिसाब करने को कहा। अगले ही दिन वो अपने गांव लौट आया।
बेंगलुरु में करीब 3 महीने मजदूरी के दौरान शुभम ने कुल 45,000 रुपए कमाए थे। इसके कुछ हिस्से से शुभम ने कोचिंग की फीस चुकाई और करीब 25,000 रुपए मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए बचाकर रखे हुए थे।
परिवार को सरकारी मदद की उम्मीद
शुभम के पिता साहादेब और मां रांगी उसके मेडिकल में सिलेक्शन से खुश तो हैं लेकिन पढ़ाई के खर्च के चिंता उन्हें सता रही है। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनके बेटे के पांच साल के MBBS कोर्स पूरा करने में मदद करेगी।
शुभम की मां रांगी कहती हैं, ‘बचपन से ही शुभम बहुत मेहनती और पढ़ाई में अच्छा रहा है। वो डॉक्टर बनना चाहता था और ऐसा लग रहा है कि उसकी मेहनत रंग ला रही है।’
शुभम की मां आगे कहती हैं, ‘उसने अपने माता-पिता भाई-बहनों को जीतोड़ मेहनत करते हुए देखा है। उसने वहीं से मेहनत करना और अपनी मेहनत से सफल होना सीखा है।’
पुलिस फोर्स जॉइन करना चाहता था शुभम
बचपन में शुभम पुलिस ऑफिसर बनना चाहता था। इसके लिए वो कड़ी मेहनत भी करता था। 10वीं में जब उसके 84% मार्क्स आए तो उसके माता-पिता को उसके टीचर्स ने कहा कि 11वीं-12वीं की पढ़ाई के लिए उसे भुवनेश्वर भेजना चाहिए। वहां पहले साल में शुभम ने खुद पढ़ाई करने की कोशिश लेकिन बाद में उसने केमिस्ट्री और मैथ्स के लिए ट्यूशन लेना शुरू कर दिया। इसके बाद 12वीं में उसके 64% मार्क्स आए।
इसी दौरान मेडिकल फील्ड की ओर उसका इंटरेस्ट डेवलप हुआ और उसने डॉक्टर बनने का फैसला किया। इसके बाद उसने बेरहामपुर में NEET की कोचिंग लेना शुरू किया।
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