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पूजा के बाद बची राख को फेंकें नहीं, ये उपाय बदल सकते हैं आपकी किस्मत!

Puja Samagri Niyam: सनातन धर्म में पूजा-पाठ में उपयोग हुई चीजों का खास महत्व बताया है. जैसे रोली, अक्षत, फल, फूल और नारियल के बिना पूजी अधूरी होती है. इन समाग्रियों का पूजा में खास इस्तेमाल किया जाता है. पूजा के वक्त हमारे द्वारा जो भी धूपबत्ती या दीया जलाया जाता है.

उसके बाद इसके बचे राख को हम फालतू समझ कर फेंक देते हैं. यह करना अशुभ साबित हो सकता है. अगर आप लोग भी ऐसा करते हैं तो यह करने से बचे. अब आप लोगों के मन में सवाल उठ रहा होगा की जली हुई बत्ती का क्या करना चाहिए? इसे फेंक देना चाहिए या नहीं? चलिए जानते हैं कि पूजा के बाद बची राख का क्या करें.  
 
पूजा के बाद बची राख का क्या उपाय करें?

  • पूजा करने के बाद धूपबत्ती की राख और दीपक की जली बत्ती को किसी भी पेड़ के नीचे छुपाकर रख दें. यह उपाय करने से कर्जे से मुक्ति मिल जाएगी और शुभ चीजों का आगमन होगा. 
  • शास्त्रों में पूजा से बची राख का एक उपाय यह भी बताया गया है कि अगर किसी व्यक्ति को नजर लगी हो तो राख को इकट्ठा कर उसके ऊपर से 11 बार नजर उतारे और उत्तर-पूर्व दिशा की तरफ फेंक दें. यह करने से नजर दोष समाप्त हो जाएगा और जीवन में खुशियों का प्रारंभ होगा. 

शत्रु भय दूर करने के लिए करें उपाय
आपको लगता है कि आप के ऊपर शत्रु भय है, तो पूजा के बाद बची राख और बत्ती को अपने हाथ में लेकर शत्रु का नाम लेते हुए उसे दक्षिण दिशा की तरफ फेंक दें. यह उपाय करने से जीवन में लाभ हो सकता है और शत्रु की हार होगी. 

धन के लाभ के लिए करें यह काम
अगर आप को धन से जुड़ी तकलीफें हो रही हैं तो पूजा के बाद जली हुई दीपक की बत्ती और धूपबत्ती की राख को इकट्ठा करके उसे जमीन के नीचे रख दें और शनिदेव के मंत्रों का जाप भी करें. 

कपड़े में बांधकर नदी में करें प्रवाहित 
अगर जीवन में ग्रहदोष चल रहा है तो पूजा से बची धूपबत्ती की राख और दिपक की बत्ती को कहीं पर भी न फेंके. यह करना अशुभ माना जाता है. इन दोनों को एक लाल कपड़े में रख दें और एक हफ्ते बाद इन्हें नदी में प्रवाहित कर दें.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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