Calling Stalin to Bihar, Rahul’s masterstroke or mistake | स्टालिन को बिहार बुलाना, राहुल का…

‘बिहार के लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हटाना सही नहीं है। मैं तमिलनाडु से अपने भाइयों का समर्थन करने आया हूं।’
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तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन 29 अगस्त को बिहार के मुजफ्फरपुर में थे। महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होने आए थे, तभी उन्होंने ये बात कही। स्टालिन के आने से महागठबंधन को कितना फायदा होगा, ये कहना अभी मुश्किल है, लेकिन BJP को इससे एक मुद्दा मिल गया। वजह स्टालिन और उनकी पार्टी DMK के नेताओं के पुराने बयान हैं। इस पर बिहार के अलावा तमिलनाडु के BJP नेता भी ये बयान याद दिला रहे हैं।
स्टालिन की पार्टी के सांसद दयानिधि मारन ने बिहार के लोगों को टॉयलेट साफ करने वाला बताया था। ऐसे में स्टालिन को बिहार बुलाना महागठबंधन का मास्टर स्ट्रोक है या सेल्फ गोल, इस पर दैनिक भास्कर ने यात्रा में आए आम लोगों, पार्टी नेताओं और एक्सपर्ट्स से बात की। इसके अलावा 26 और 27 अगस्त को प्रियंका गांधी भी यात्रा में शामिल हुईं, उनका क्या असर रहा, इसे भी समझा।
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा का आज 14वां दिन है। यात्रा अभी भोजपुर में है। 31 अगस्त को ब्रेक के बाद एक सितंबर को खत्म हो जाएगी। स्टालिन 11वें दिन 27 अगस्त को मुजफ्फरपुर में यात्रा में शामिल हुए।
लोग बोले- राहुल और तेजस्वी बिहार को गाली देने वालों को बुला रहे टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, तमिलनाडु में बिहार से गए करीब 4.5 लाख वर्कर्स काम करते हैं। इनमें से करीब 2 लाख राजधानी चेन्नई में हैं। इसके अलावा कोयंबटूर और तिरुपुर में भी बिहार के मजदूर काम करते हैं। ज्यादातर कंस्ट्रक्शन, होटल और छोटे कारोबार से जुड़े हैं।
स्टालिन की पार्टी DMK के नेता बिहार के लोगों पर विवादित बयान देते रहे हैं। दिसंबर, 2023 में सांसद दयानिधि मारन का अंग्रेजी की अहमियत पर एक वीडियो सामने आया था। इसमें वे कह रहे है, ‘उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले लोग, जिन्होंने सिर्फ हिंदी पढ़ी, वे तमिलनाडु में कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं, सड़कें और टॉयलेट साफ करते हैं। वहीं, अंग्रेजी जानने वाले हमारे बच्चों को आईटी सेक्टर में मोटी सैलरी मिलती है।’
दयानिधि मारन के इस बयान का तब RJD ने भी विरोध किया था। तेजस्वी यादव उस वक्त डिप्टी CM थे। उन्होंने कहा था, ‘DMK सामाजिक न्याय में यकीन रखने वाली पार्टी है, लेकिन उनके नेता के बयान की हम निंदा करते हैं। अगर बिहार, यूपी के लोग न जाएं तो दूसरे राज्यों के लोगों की जिंदगी ठप हो जाएगी।’
RJD समर्थक बोले- राहुल-तेजस्वी ऐसे लोगों को यात्रा से दूर रखें महागठबंधन के समर्थक भी यात्रा में स्टालिन के आने से असहज हैं। मुजफ्फरपुर के दयानंद शर्मा कहते हैं, ‘राहुल गांधी और तेजस्वी का वोटर यात्रा निकालना सही है, लेकिन वे ऐसे लोगों को शामिल कर रहे हैं, जो हमेशा बिहारियों को गाली देते हैं।’
वोटर अधिकार यात्रा में राहुल गांधी के साथ स्टालिन। यात्रा में उनके साथ प्रियंका गांधी भी मौजूद रहीं।
यात्रा में शामिल मोहम्मद जुबैद राहुल और तेजस्वी की तारीफ करते हैं, लेकिन स्टालिन के आने से उन्हें एतराज है। वे कहते हैं, ‘मेरे नेता राहुल गांधी और तेजस्वी जी हैं। वे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन ऐसे लोगों (स्टालिन) से दूरी बनाए रखना चाहिए। बिहार के लोग उनके यहां जाते हैं, तो वे बोलते हैं कि ये हमारे यहां टॉयलेट साफ करते हैं। ऐसे लोग सम्मान करने लायक नहीं हैं।’
RJD को वोट देने वाले चंद्रशेखर यादव कहते हैं, ‘तमिलनाडु के CM को हम नहीं जानते। जो बिहार को गाली देता है, वो बिहार के लिए कुछ है ही नहीं।’
मुजफ्फरपुर के ही मुकेश कुमार कहते हैं, ‘उन्होंने (महागठबंधन) बहुत बड़ी गलती की है। स्टालिन ने बिहारियों को गाली दी थी, उन्हें बिहार लाकर सभी बिहारियों को बेइज्जत करवा दिया।’
दरभंगा के राजेश कुमार कहते हैं, ‘तेजस्वी और राहुल वैसे व्यक्ति को शामिल कर रहे हैं, जो बिहारियों को इंसान नहीं समझते। वे कहते हैं कि बिहारी हमारे यहां साउथ में आकर टॉयलेट साफ करते हैं। हम राहुल और तेजस्वी से कहेंगे कि आप वोटर अधिकार यात्रा जरूर करें, लेकिन ऐसे लोगों से दूर रहें, जो बिहार के लोगों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाते हैं।’
एक्सपर्ट बोले- स्टालिन को लाना समझ से परे, इसकी जरूरत नहीं थी बिहार की राजनीति को समझने वाले एक्सपर्ट भी स्टालिन को बुलाने के फैसले को महागठबंधन का गलत कदम मान रहे हैं। सीनियर जर्नलिस्ट अरुण साथी कहते हैं, ‘स्टालिन को बिहार बुलाना इंडिया गठबंधन के लिए उल्टा दांव हो गया है। बिहार में धारणा बन चुकी है कि स्टालिन और उनकी पार्टी सनातन धर्म और बिहार के लोगों का विरोध करती है। इसका नेगेटिव असर दिख भी रहा है।’
वहीं अजित कुमार कहते हैं कि यात्रा में स्टालिन की एंट्री की कोई जरूरत ही नहीं थी। उन्हें बुलाना समझ से परे है।’
कांग्रेस बोली- INDIA ब्लॉक के सभी नेता आएंगे, इसलिए स्टालिन भी आए स्टालिन की मौजूदगी से BJP समेत NDA में शामिल पार्टियों को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया है। अब महागठबंधन को स्टालिन के बयानों पर सफाई देनी पड़ रही है।
कांग्रेस मीडिया सेल के इंचार्ज संजीव सिंह स्टालिन को बुलाए जाने पर कहते हैं, ‘स्टालिन की पार्टी INDIA ब्लॉक का हिस्सा है। यात्रा में INDIA ब्लॉक के लगभग सभी बड़े नेताओं को शामिल होना था। कई नेता शामिल हो चुके हैं। बाकी 1 सितंबर को पटना में होने वाली पद यात्रा में शामिल होंगे।’
‘इसी कड़ी में स्टालिन को बुलाया गया था। हमारा मकसद यह मैसेज देना भी था कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी वहां रहने वाले बिहार के लोगों के साथ खड़ी है। बिहार के लोगों के लिए तमिलों की नफरत का झूठ BJP ने फैलाया है।’
हम इस झूठ की हवा निकालना चाहते थे। इसी वजह से स्टालिन को बुलाया गया था। उन्होंने रैली में शामिल होकर साबित किया कि वे और उनका पूरा राज्य बिहार के लोगों का स्वागत करने को तैयार है।
वहीं RJD नेता शैलेन्द्र प्रताप कहते हैं कि स्टालिन महागठबंधन के नेता हैं। महागठबंधन की एकता पूरी यात्रा में दिखी है। स्टालिन आ गए तो उन लोगों (NDA) में हताशा है।’
BJP: स्टालिन को बुलाना बिहार का अपमान स्टालिन के बिहार दौरे पर बिहार और तमिलनाडु BJP के नेता हमलावर हैं। स्टालिन के बिहार पहुंचने से पहले तमिलनाडु BJP के प्रवक्ता नारायण तिरुपति ने कहा कि स्टालिन बिहार के उन लोगों से वोट मांगने जा रहे हैं, जिन्हें वे गाली देते रहे हैं। DMK के लोग बिहारियों को अनपढ़, शौचालय साफ करने वाला कहते रहे हैं।’
आपने बिहारियों का अपमान किया है और अब आप बिहार जा रहे हैं। आपकी हिम्मत कैसे हुई। पहले आप उन्हें गाली देने के लिए बिहार से माफी मांगें।
वहीं डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि एमके स्टालिन सनातन धर्म और बिहार के लोगों को गाली देते हैं। इसके बाद भी लालू परिवार उन्हें संरक्षण दे रहा है। RJD-कांग्रेस के लोग स्टालिन को अपने साथ लेकर यात्रा कर रहे हैं।
दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर इस मुद्दे पर कहते हैं कि बिहार की जनता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को माफ नहीं करेगी। वे लगातार बिहार को अपमानित करते रहे हैं। बिहार के लोगों को अपमानित करने वाले व्यक्ति को यात्रा में शामिल करना निंदनीय है।
प्रियंका के जरिए मिथिला और महिला को साधने की कोशिश मुजफ्फरपुर में राहुल और स्टालिन के साथ प्रियंका गांधी भी मौजूद रहीं। प्रियंका गांधी जिस दिन बिहार आईं, उस दिन तीज का त्योहार था। महिलाएं इसका व्रत रखती हैं। माना गया कि प्रियंका को यात्रा में शामिल करने के लिए प्लान करके ये दिन चुना गया है। ऐसी खबरें थीं कि प्रियंका तीज की पूजा में शामिल हो सकती हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
राहुल गांधी ने दरभंगा से सुबह साढ़े 8 बजे यात्रा शुरू की और प्रियंका गांधी के साथ बुलेट बाइक से चले। सुपौल, मधुबनी और दरभंगा में उन्हें देखने के लिए लोग सड़कों के दोनों ओर, घरों की छतों और खिड़कियों पर खड़े दिखे।
यात्रा दरभंगा से मुजफ्फरपुर की ओर बढ़ी तो कुछ दूर तक राहुल और प्रियंका बुलेट बाइक से चले। दूसरी बाइक पर तेजस्वी यादव सवार थे।
दरभंगा की मेहरुन्निसा कहती हैं, ‘प्रियंका गांधी मेहनत कर रही हैं। जगह-जगह जाकर रैली कर रही हैं। यह बहुत अच्छी बात है। हम उनका अपनी जमीन पर स्वागत करते हैं।’
सीनियर जर्नलिस्ट प्रियदर्शी रंजन कहते हैं, ‘प्रियंका गांधी का आना इत्तफाक नहीं था। यह सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। इसके तीन हिस्से थे- मिथिला, महिला और मंदिर।
फोटो सुपौल की है। यहां राहुल-प्रियंका को देखने के लिए लोग छतों और खिड़कियों पर खड़े नजर आए।
महागठबंधन ने प्रियंका के दौरे के लिए जानबूझकर मिथिलांचल को चुना। यह इलाका NDA, खासकर BJP और JDU का किला माना जाता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और NDA के बीच कांटे की टक्कर थी, तब मिथिलांचल की सीटों ने NDA की सरकार बचाई थी। यहां प्रियंका को उतारकर कांग्रेस ने NDA के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश की है।
इसके अलावा बिहार की राजनीति में महिला वोटर साइलेंट, लेकिन निर्णायक ताकत है। प्रियंका को मैदान में उतारकर महागठबंधन ने उन्हें मैसेज देने की कोशिश की है कि उनके पास भी एक मजबूत और भरोसेमंद महिला नेतृत्व है।
शेखपुरा के सीनियर जर्नलिस्ट अरुण साथी कहते हैं, ‘प्रियंका की यात्रा का जमीन पर बहुत असर दिखेगा, यह कहना जल्दबाजी होगी।’
हालांकि कुछ पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि यह कदम थोड़ा देर से उठाया गया। रोहतास के सीनियर जर्नलिस्ट अजित कुमार का मानना है, ‘प्रियंका गांधी की एंट्री काफी देर से हुई है। अगर वह यात्रा की शुरुआत से ही शामिल होतीं, तो इसका असर कुछ और होता।”
क्या प्रियंका को देखने के लिए उमड़ी भीड़ वोट में बदलेगी? इस सवाल पर मोतिहारी के सीनियर जर्नलिस्ट संजय कौशिक कहते हैं, ‘गांधी परिवार का एक आकर्षण है। उन्हें देखने के लिए भीड़ आ सकती है, लेकिन यह भीड़ वोट में तब्दील होगी या नहीं, यह कहना बहुत मुश्किल है। बिहार का वोटर बहुत जागरूक है, वह चेहरे और मुद्दे, दोनों को तौलता है।’
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16 दिन में 1,300 किमी चलने वाली वोटर अधिकार यात्रा 23 जिलों और 50 विधानसभाओं से गुजरेगी। आखिर ये रूट तय करने की इनसाइड स्टोरी क्या थी, रूट किसने तय किया, कांग्रेस के अलावा RJD का इसमें क्या रोल था और अब यात्रा की जिम्मेदारी कौन संभाल रहा है, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर का रिपोर्टर यात्रा के साथ रहे। पढ़िए पूरी खबर…