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Haryana kurukshetra markanda river overflows kathwa-village ground report 2025 | मारकंडा…

हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शाहाबाद विधानसभा क्षेत्र का लगभग 2,000 आबादी वाला कठवा गांव लगातार बाढ़ के पानी से जूझ रहा है। गांव की मुख्य सड़क का करीब 100 मीटर का हिस्सा पानी में डूबा हुआ है और खेत पूरी तरह जलमग्न हैं।

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हालात ऐसे है कि घुटने तक पानी जमा होने के कारण बाइक, कार, एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की आवाजाही ठप हो चुकी है। गांव में आने-जाने के लिए केवल ट्रैक्टर और ट्रॉली का सहारा है। गांव के बाहर पार्किंग बना दी गई है, जहां बाइक और कार जैसे वाहन खड़े करने पड़ रहे है। गांववासियों को इमरजेंसी की स्थिति में ट्रैक्टर से ही पानी से गुजरना पड़ रहा है। छात्रों और नौकरीपेशा लोगों को सबसे ज्यादा कठिनाई हो रही है।

कठवा के लोगों के ये मुसीबतें एक दो दिन से नहीं, पूरे 2 महीने झेलते हुए हो गए हैं। इन 60 दिनों में 15वीं बार मारकंडा नदी उफान पर आई है। इस वर्ष मारकंडा नदी ने खतरे के निशान को पार करते हुए 28,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे पिछले वर्षों की तुलना में इस बार सबसे गंभीर हालात पैदा हुए।

कठवा गांव में सड़क पर जमा मारकंडा नदी के पानी से गुजरते ग्रामीण।

जानिए गांव कठवा से सटे इलाकों के हालात…

  • आवाजाही प्रभावित: पानी की वजह से लोग अपने वाहन गांव के बाहर पार्क कर रहे हैं। केवल ट्रैक्टर और ट्रॉली का उपयोग करके ही लोग अन्य गांवों या शहरों तक जा पा रहे हैं। कठवा और आसपास के गांवों जैसे गुमटी, पट्टी जामड़ा, मुगल माजरा, मलकपुर, कलसाना और तंगौर में लगभग 600 एकड़ फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।
  • बच्चों की पढ़ाई प्रभावित: पशुओं का हरा चारा खत्म होने के कारण आसपास के गांवों से ट्रैक्टर-ट्रॉली में चारा लाया जा रहा है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूल बसें गांव तक नहीं पहुंच पा रही हैं। माता-पिता बच्चों को ट्रैक्टर-ट्रॉली में बैठाकर अन्य गांवों तक छोड़ने के लिए मजबूर हैं।
  • इमरजेंसी सेवाओं पर असर: कोई छोटा वाहन गांव में आ-जा नहीं सकता। अगर रात को किसी की इमरजेंसी हो, तो ट्रैक्टर के माध्यम से ही गांव से बाहर लाना पड़ता है, जिसमें काफी समय लगता है।

अभी और बिगड़ रहे हालात ग्रामीणों की माने तो ओवरफ्लो होने की वजह से मारकंडा नदी का पानी अभी भी गांव की तरफ तेजी से बह रहा है। गांव के खेत और सड़कें ओवरफ्लो होते ही नदी का पानी दूसरे गांव की तरफ रुख करेगा। पिछले सप्ताह भी मारकंडा ओवरफ्लो होने से गांव में पानी पहुंच गया था।

गांव के बाहर पार्क कर रहे वाहन गांव की मुख्य सड़क पर नदी का पानी बहने के कारण लोग अपनी बाइक और कारें गांव के बाहर पार्क कर रहे हैं। सड़क पर बहते पानी की वजह से वाहन चलाना खतरनाक हो गया है। नौकरीपेशा लोग सुबह अपने वाहन गांव के बाहर से ले जाते हैं और शाम को वापस वहीं पार्क कर देते हैं।

इमरजेंसी के लिए गांव के बाहर खड़ किए गए व्हीकल।

सबसे ज्यादा तबाही इस साल ग्रामीण कमल कुमार बताते है कि 2023 की बाढ़ से पहले भी मारकंडा नदी ने तबाही मचाई थी, लेकिन इस साल सबसे ज्यादा बार नदी उफान पर रही। जब नदी का जल स्तर 20,000 क्यूसेक से ऊपर पहुंचता है तो आसपास के गांवों में अलर्ट घोषित कर दिया जाता है।

अन्य प्रभावित गांव और क्षेत्र मारकंडा नदी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के काला अंब से निकलकर अंबाला, मुलाना, शाहाबाद, इस्माइलाबाद, पंजाब बॉर्डर और कैथल होते हुए राजस्थान तक जाती है। इस्माइलाबाद के नैसी में 2 महीने में दो बार तटबंध टूटा, कैंथला में पहली बार 150 एकड़ फसल प्रभावित हुई। मुलाना के हेमा माजरा गांव में भी 30,000 क्यूसेक से ऊपर पानी के कारण नुकसान हुआ।

खतरे के निशान से ऊपर आई मारकंडा नदी मारकंडा नदी का पानी इस सीजन में लगातार उफान पर रहा। 15,000 क्यूसेक से ऊपर होते ही पानी कठवा गांव में घुस जाता है। इस बार नदी के जलस्तर ने 20,000 क्यूसेक पार किया और दो महीने में 28,000 क्यूसेक तक पहुंच गया। इस दौरान तीन बार पानी खतरे के निशान के पास पहुंचा।

शनिवार को मारकंडा में बने हालात की तस्वीरें..

शनिवार को खतरे के निशान के पास पहुंचा मारकंडा नदी का पानी।

कठवा गांव के खेतों में भरा पानी।

पिछले सप्ताह नैसी के पास टूटा मारकंडा नदी का तटबंध।

पिछले सप्ताह कैंथला गांव में तटबंध टूटने से खेतों में जमा पानी।

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