Celebrated the 76th birthday of Acharya Vardhman Sagar Ji | आचार्य वर्धमान सागर का 76वां…

आचार्य जी ने भक्तों को आशीर्वाद दिया।
जैन नसियां में शनिवार को देशभर से आए जैन समाज के गुरु भक्तों ने आचार्य श्री वर्धमान सागर महाराज का जन्मदिन उत्साह और धार्मिक श्रद्धा भाव के साथ मनाया। दिनभर हुए कई धार्मिक कार्यक्रम हुए। देशभर से आए गुरुभक्तों ने आचार्य जी की महाआरती की। इस दौरान चरण
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इस मौके पर आचार्य जी ने कहां कि भगवान की इंद्रध्वज मंडल विधान की पूजा सामान्य बात नहीं है। बहुत पुण्यशाली को ही इसका अवसर मिलता है। आर्जव धर्म, अर्थात सरलता, हमें ऋजुता (सिद्धता) की ओर ले जाता है। सरलता जिसके जीवन में होती है, वह मोक्ष मार्ग के निकट होता है।
सर्प का उदाहरण देते हुए आचार्य जी ने कहा कि सर्प बिल के बाहर आड़ा-तिरछा चलता है, लेकिन जब वह बिल में जाता है तो सीधा हो जाता है। इसी प्रकार आपका असली घर मोक्ष है। इस कारण जीवन में सरलता लाना आवश्यक है। राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि सरल शब्दों में मायाचारी का अभाव ही सरलता होता है।
भक्तों ने आज आचार्य जी की महाआरती की।
भादो शुक्ल सप्तमी को हुआ था आचार्य जी का जन्म
मुनि श्री हितेंद्र सागर जी ने गुणानुवाद में बताया कि दशलक्षण पर्व में भादो शुक्ल सप्तमी, (18 सितंबर) सन 1950 को आचार्य श्री का जन्म हुआ। भादो शुक्ल सप्तमी तिथि के हिसाब से आज आचार्य जी का जन्मदिन मनाया गया। आचार्य जी का बाल्य अवस्था का नाम यशवंत था। उन्होंने 19 वर्ष की उम्र में आचार्य धर्म सागर जी से सन 1969 में मुनि दीक्षा प्राप्त की। नव दीक्षित मुनि के जीवन में उपसर्ग और अंतराय की बहुलता रही। जयपुर और अन्य नगरों में भी उपसर्ग हुए। जयपुर में भगवान के सामने 3 घंटे शांति भक्ति के पाठ से बिना डॉक्टरी इलाज के नेत्र ज्योति 52 घंटे बाद आ गई।
90 के दशक में बने आचार्य
सन 1990 में आचार्य बनने के बाद श्री बाहुबली भगवान के 3 महा मस्तकाभिषेक और महावीर जी का महा मस्तकाभिषेक आचार्य जी के सानिध्य में हुआ। आचार्य पद के बाद अभी तक वर्धमान सागर जी महाराज ने 117 दीक्षा दे चुके हैं आपके 76वें जन्म अवतरण दिवस को मनाने के लिए देश-विदेश से भक्त आए।