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Delhi High Court Rape Case Judgement; Social Stigma | Girish Kathpalia | दिल्ली हाईकोर्ट बोला-…

नई दिल्ली36 मिनट पहले

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आरोपी ने दलील दी थी कि, अगर आप मेरे ऊपर चल रेह केस को रद्द कर दिया गया तो इससे पीड़ित को सामजिक कलंक और बदनामी से राहत मिलेगी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक रेप केस की सुनवाई करते हुए कहा कि, ऐसे मामलों में आरोपी की बदनामी होनी चाहिए, रेप विक्टिम की नहीं। समाज को अपनी सोच बदलनी चाहिए।

कोर्ट ने यह टिप्पणी शुक्रवार को आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए की थी। आरोपी ने दलील दी थी कि, अगर मेरे ऊपर चल रहे केस को रद्द कर दिया गया तो इससे पीड़ित को सामजिक कलंक और बदनामी से राहत मिलेगी।

हालांकि कोर्ट ने दलील को खारिज करते हुए आरोपी पर 10000 रुपए का जुर्माना लगा दिया। मामले की सुनवाई जस्टिस गिरीश काठपालिया कर रहे थे।

कोर्ट का आदेश, 2 मुख्य बातें

  • बदनामी पीड़ित की नहीं, बल्कि गुनाह करने वाले पर होनी चाहिए। समाज को सोच बदलनी चाहिए। शर्म उस लड़के या आदमी को आनी चाहिए जिसने बलात्कार किया, न कि उस लड़की को जिसे इतनी बड़ी तकलीफ झेलनी पड़ी।
  • यह दलील बिल्कुल गलत है, क्योंकि अन्याय लड़की के साथ हुआ, उसके माता-पिता के साथ नहीं। सिर्फ वही लड़की (पीड़ित) ही अपराधी को माफ कर सकती थी, वह भी कुछ खास परिस्थितियों में। जैसा ऊपर बताया गया, पीड़ित अभी भी नाबालिग है।

मामला 2024 का, ब्लैकमेल कर संबंध बनाए थे

मामला साल 2024 का है। आरोपी ने नाबालिग का वीडियो बनाया, फिर उसके जरिए ब्लैकमेल कर शारीरिक संबंध बनाए। FIR में आरोपी के खिलाफ POCSO एक्ट के सेक्शन 6 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के सेक्शन 65 (1) और 137 के तहत बलात्कार का मामला दर्ज किया गया।

रेप से जुड़े अन्य मामले, कोर्ट के कमेंट…

30 मई: सुप्रीम कोर्ट बोला- रिलेशनशिप टूटने के बाद रेप केस गलत, आरोपी की छवि खराब होती सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले की सुनवाई करते हुए कहा कि यदि दो वयस्कों में सहमति से बना रिश्ता बाद में टूट जाता है या दोनों के बीच दूरी आ जाती है, तो इसे शादी का झूठा वादा बताकर रेप का केस नहीं बनाया जा सकता।’ जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने यह टिप्पणी की थी। पूरी खबर पढ़ें…

17 जुलाई: प्रेमी शादी से मुकरा: रेप का केस लगाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने महिला को ही फटकारा प्रेमी के लिए महिला ने पति को छोड़ा फिर प्रेमी ने भी शादी से इनकार किया। एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, खुद शादीशुदा होने के बावजूद दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध रखने पर कार्रवाई हो सकती है। पूरी खबर पढ़ें…

28 अप्रैल: कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- नाबालिग के ब्रेस्ट छूना रेप की कोशिश नहीं कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि नशे में नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट छूने की कोशिश करना, प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंस (POCSO) एक्ट के तहत रेप की कोशिश नहीं है। इसे गंभीर यौन उत्पीड़न की कोशिश माना जा सकता है। हम आरोपी को जमानत दे रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…

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रेप और सुसाइड केस में हाईकोर्ट से आरोपी बरी: आरोप साबित नहीं, बलात्कार का आरोप सही नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने और बलात्कार के गंभीर आरोपों से अनुज वर्मा को बरी कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने अपराध से उन्मुक्त करने की सत्र अदालत से अर्जी खारिज करने के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। पूरी खबर पढ़ें…

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