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Education is meaningless in the absence of humility: Acharya | विनय के अभाव में शिक्षा निरर्थक…

टोंक|जैन नसिया में चल रहे चातुर्मास महोत्सव में शुक्रवार को प्रवचन करते हुए आचार्य वर्धमान सागर महाराज ने कहा कि मार्दव धर्म कोमलता का सूचक है। नर्म मिट्टी को कुंभकार मनचाहा रूप दे देता हैं। आप भी जीवन में सरलता कोमलता से जीवन को मनचाहा आकार दे सकते

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क्रोध से जीवन में विकृति आती हैं, मान ऐसी मीठी कषाय है, जिसके कारण व्यक्ति भीतर झुलसता रहता है। जो जितना झुकता है वह उतना ही ऊंचा उठता है। विनय गुण से मोक्ष का द्वार खुल जाता है। विनय के अभाव में संपूर्ण शिक्षा निरर्थक है। विनय के अभाव में सम्यक दर्शन नहीं रह सकता है।

इंद्र बनने का सौभाग्य विनीत जैन, प्रदीप कुमार, पीयूष कुमार, रमेश चंद, विमल कुमार, ज्ञानचंद बंथली, चंद्र प्रकाश, धर्मचंद ककोड़, जय कुमार, कन्हैया लाल, शंभु लाल, रमेश चंद, महेश कुमार, कैलाश चंद, धर्मचंद, मुकेश कुमार, जितेंद्र कुमार, पारसमल, गंभीरमल, सुरेश कुमार, प्रकाश सेठी, महावीर प्रसाद, धर्मचंद दाखिया, महावीर प्रसाद, धर्मचंद पासरोटिया, विकास जैन, सुगन चंद पासरोटिया, पारसचंद, अनिल, सुनील, कमल सर्राफ, कमलेश कुमार, बेनी प्रसाद कल्ली, मनीष कुमार, राहुल कुमार को मिला। श्री दिगंबर जैन नसिया अमीरगंज में शुक्रवार को इंद्र ध्वज मंडल में विराजमान श्रीजी की 458 प्रतिमाओं के समक्ष चातुर्मास पत्रिका का विमोचन किया गया।

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