अन्तराष्ट्रीय

‘US को ही चोट पहुंचा रहे हैं ट्रंप के टैरिफ…’, अमेरिकी राष्ट्रपति पर डेमोक्रेट्स ने साधा…

अमेरिका की हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के डेमोक्रेट्स ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन की आलोचना की है. उनका कहना है कि रूस से तेल खरीदने को लेकर केवल भारत को टारगेट किया जा रहा है, जबकि चीन जैसे बड़े खरीदारों को छूट मिली हुई है.

टैरिफ से अमेरिका और रिश्तों को नुकसान
डेमोक्रेट्स का कहना है कि ट्रंप के भारतीय आयात पर 50% टैरिफ ने अमेरिकियों को नुकसान पहुँचाया है और बीते दो दशकों की द्विदलीय कोशिशों से बने भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा है. उन्होंने कहा कि “चीन या अन्य देशों पर प्रतिबंध लगाने के बजाय केवल भारत को निशाना बनाना अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर कर रहा है. यह लगभग ऐसा है जैसे मामला यूक्रेन से जुड़ा ही नहीं है.”

NYT रिपोर्ट का हवाला
पैनल ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अगर ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने वाले हर देश पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाया होता तो बात अलग थी. लेकिन केवल भारत पर फोकस करने से यह सबसे उलझनभरा नीति परिणाम बन गया है, क्योंकि चीन अभी भी छूट पाकर डिस्काउंट पर रूसी तेल खरीद रहा है.

नए टैरिफ और असर
डेमोक्रेट्स का हमला तब आया जब ट्रंप द्वारा लगाए गए अतिरिक्त 25% टैरिफ (पहले से लागू 25% के ऊपर) प्रभावी हो गए. इस तरह टैरिफ दर दोगुनी हो गई है. ट्रंप ने इसे भारत के रूसी तेल व्यापार से जोड़ा है.

भारत सरकार के मुताबिक, इन टैरिफ का असर 48.2 अरब डॉलर के निर्यात पर होगा. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि नई ड्यूटीज़ से अमेरिका को शिपमेंट कमर्शियल रूप से गैर-व्यावहारिक हो सकती हैं, जिससे रोज़गार घटेगा और आर्थिक वृद्धि धीमी हो सकती है.

मोदी सरकार का रुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि भारत दबाव में नहीं झुकेगा. हालांकि, अमेरिका ने फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक गुड्स जैसे कुछ सेक्टरों को अतिरिक्त टैरिफ से छूट दी है, जिससे भारत को आंशिक राहत मिली है.

व्यापार संबंधों की स्थिति
हाल के वर्षों में भारत-अमेरिका व्यापार संबंध मजबूत हुए हैं, लेकिन वे अभी भी मार्केट एक्सेस और घरेलू राजनीतिक दबावों पर विवादों से प्रभावित रहते हैं. भारत उन शुरुआती देशों में था जिसने ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापार वार्ता शुरू की थी, लेकिन अब तक कोई समझौता नहीं हो सका है क्योंकि अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी सेक्टर में ज्यादा पहुंच की मांग करता रहा है.

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