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मोहन भागवत ने की ‘हम दो, हमारे तीन’ की वकालत, बोले- धर्मांतरण और घुसपैठ से बिगड़ रहा जनसंख्या…

Mohan Bhagwat on Three Children Policy: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी. 

उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और भविष्य में परिवार व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हर परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए. उन्होंने अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण पर भी चिंता जताई. 

‘तीन बच्चे जरूरी, तभी रहेगा संतुलन’

मोहन भागवत ने कहा, ‘भारत की जनसंख्या नीति कहती है कि 2.1 बच्चे होने चाहिए, जिसका अर्थ है कि हर परिवार में तीन बच्चे हों. हर नागरिक को यह देखना चाहिए कि उसके परिवार में तीन बच्चे जरूर हों.’ उन्होंने कहा कि यह कदम देश की सुरक्षा और जनसंख्या संतुलन के लिए जरूरी है.

अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण पर जताई चिंता

संघ प्रमुख ने अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण को जनसंख्या असंतुलन का कारण बताया. उन्होंने कहा कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का विषय है, लेकिन इसमें किसी प्रकार का प्रलोभन या दबाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि अवैध घुसपैठ रोकने के लिए सरकार प्रयास कर रही है, लेकिन समाज को भी इसमें अपनी भूमिका निभानी होगी.

‘हम सब हिंदू हैं, यही हमारी पहचान’

भागवत ने कहा कि आरएसएस अखंड भारत का समर्थक है और संघ ने हमेशा विभाजन का विरोध किया है. उन्होंने कहा, ‘हम सभी की एक पहचान है और वह हिंदू है. एकता की बात वहां करनी चाहिए, जहां कोई अंतर हो.’

आरक्षण पर दिया बड़ा बयान

आरक्षण को लेकर पूछे गए सवाल पर भागवत ने कहा, ‘अगर किसी वर्ग के साथ अन्याय हुआ है और उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिला है तो उन्हें सहारा मिलना चाहिए. जब तक लाभार्थियों को लगे कि अब हम अपने बलबूते खड़े हो सकते हैं, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए.’ उन्होंने आगे कहा कि समाज में जातिगत भेदभाव और खाई को खत्म करना ही संघ का उद्देश्य है. ‘जब कोई गड्ढे में गिरा हो तो उसे हाथ देकर ऊपर खींचना जरूरी है, तभी समाज में एकता और सद्भाव आएगा.’

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