जिस रूसी तेल को खरीदने के लिए लगे हैं भारत पर हैवी टैरिफ, उससे मुनाफा इतना कम, रिपोर्ट में हुआ…

रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत को भारी भरकम टैरिफ का बोझ उठाना पड़ रहा है, जो अमेरिका ने पेनल्टी के तौर पर लगाया है. इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस से सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीदने से भारत को सिर्फ ढाई अरब डॉलर का वार्षिक लाभ हो रहा है. रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया कि मीडिया में जो बड़े मुनाफे की बातें की जा रही हैं, वैसा नहीं है बल्कि मीडिया में बढ़ा-चढ़ाकर चीजें बताई जा रही हैं.
ब्रोकरेज कंपनी सीएलएसए ने गुरुवार (28 अगस्त, 2025) को रिपोर्ट जारी कर कहा कि पहले जो अनुमान जताया गया था कि रूस से तेल खरीदने पर भारत को 10 से 25 अरब डॉलर का वार्षिक लाभ होगा, वास्तविकता उससे बहुत अलग है, सिर्फ ढाई अरब डॉलर का मुनाफा होगा. रिपोर्ट के अनुसार, ‘रूसी कच्चे तेल के आयात से भारत को होने वाला लाभ मीडिया में बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है. हमारे अनुमान के मुताबिक, यह लाभ भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का सिर्फ 0.06 प्रतिशत यानी करीब 2.5 अरब डॉलर है.’
सीएलएसए ने कहा कि रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा दिखने में बड़ी रियायत नजर आती है लेकिन वास्तव में बीमा, जहाजरानी और पुनर्बीमा जैसी कई पाबंदियों के कारण भारत को यह लाभ काफी कम होता है.
रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2023-24 में रूसी तेल पर औसत छूट 8.5 डॉलर प्रति बैरल थी जो 2024-25 में घटकर तीन-पांच डॉलर और हाल के महीनों में 1.5 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई है. सीएलएसए ने आगाह किया है कि अगर भारत रूसी तेल आयात बंद करता है, तो इससे वैश्विक आपूर्ति बाधित होगी और कच्चे तेल की कीमत 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है, जिससे वैश्विक महंगाई बढ़ने की आशंका है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारतीय तेल कंपनियों को रूसी तेल के अधिक आयात के चलते बेहतर गुणवत्ता वाले और महंगे कच्चे तेल का भी मिश्रण करना पड़ता है।. इसके कारण औसत आयात मूल्य में कोई स्पष्ट लाभ नहीं दिखता है. रिपोर्ट कहती है कि रूसी तेल आयात न सिर्फ भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से जरूरी है, बल्कि यह वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर भी नियंत्रण बनाए रखने में सहायक है.
फरवरी, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस से भारत में तेल आयात होने के मामले में तेजी आई है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने कुल 54 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात में से 36 प्रतिशत यानी 18 लाख बैरल प्रतिदिन तेल को रूस से आयात किया. यूक्रेन युद्ध से पहले यह आंकड़ा एक प्रतिशत से भी कम था.
पश्चिमी देशों की ओर से तेल बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस ने तेल पर भारी छूट देना शुरू कर दिया था, जिससे भारत को सस्ते दर पर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित हुई. हालांकि, अमेरिका समेत कुछ देशों ने भारत की आलोचना करते हुए इसे मुनाफाखोरी बताया. अमेरिकी सरकार ने रूस से सस्ते तेल की खरीद जारी रखने को लेकर भारतीय उत्पादों के आयात पर शुल्क को 27 अगस्त से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है।