10 साल पहले पुलिस कस्टडी में हुई थी बेटे की मौत, अब केरल हाईकोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला सुनकर…

पुलिस कस्टडी में एक व्यक्ति की मौत के मामले में केरल हाईकोर्ट ने पुलिस के चार अधिकारियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि त्रुटिपूर्ण सीबीआई जांच की वजह से अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा. सत्र अदालत ने 2018 में छह पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया था, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है.
जस्टिस राजा विजयराघवन वी. और जस्टिस के. वी. जयकुमार की बेंच ने चारों की दोषसिद्धि खारिज कर दी. कोर्ट का फैसला सुनकर मृतक उदयकुमार की मां प्रभवति रो पड़ीं. 2018 में सत्र अदालत ने दो को हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी और चार को रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ का दोषी पाते हुए सजा सुनाई. छह में से एक की सत्र अदालत में सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी और मृत्युदंड पाए अधिकारी की हाईकोर्ट अपील लंबित रहने के दौरान मौत हो गई.
बेंच ने बाकी चार आरोपियों को राहत देते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान सत्र अदालत के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्य अभियुक्तों को हिरासत में मौत के अपराध का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं थे. पीठ ने कहा, ‘(सत्र अदालत के) विवादित फैसले में दर्ज निष्कर्ष अनुमानों और अटकलों पर आधारित हैं इसलिए कानून के तहत टिकने योग्य नहीं है.’
हाईकोर्ट ने सीबीआई की जांच को ‘दमनकारी’ करार दिया और कहा कि एजेंसी ने घटना से कोई वास्तविक संबंध न रखने वाले एक प्रत्यक्षदर्शी को सरकारी गवाह बनाकर ‘पूरी तरह से अवैध प्रक्रिया’ अपनाई. पीड़ित के परिवार के अनुरोध पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी.
पीठ ने यह भी कहा कि सीबीआई ने सभी गवाहों को अंधाधुंध तरीके से इकट्ठा किया और उन्हें सरकारी गवाह बनने के लिए मजबूर किया. अभियोजन पक्ष ने कहा था कि तिरुवनंतपुरम के फोर्ट पुलिस थाने से जुड़े दो पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित को 27 सितंबर, 2005 को लगभग रात 2:15 बजे हिरासत में ले लिया था जब वह अपने दोस्त सुरेश कुमार के साथ श्रीकांतेश्वरम पार्क में खड़ा था.
अदालत को यह भी बताया था कि उन्हें फोर्ट पुलिस थाने और उसके बाद पास के सर्कल इंस्पेक्टर के कार्यालय ले जाया गया, जहां उनसे हिरासत में पूछताछ की गई.बाद में, उसी दिन रात लगभग 11:40 बजे, तिरुवनंतपुरम के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उदयकुमार को मृत घोषित कर दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों जांघों पर लगीं गंभीर चोटों को मौत का कारण माना गया.
मृतक उदयकुमार की मां ने हाईकोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई और रोते हुए कहा कि सिर्फ चार रुपये के लिए आरोपी अधिकारियों ने उनके बेटे को पीट-पीट कर मार डाला. कोई भी अदालत ऐसे अधिकारियों को कैसे छोड़ सकती है, कल को वे और लोगों को मारेंगे.