Hearing against Gaming Bill in High Court on August 30 | गेमिंग बिल के खिलाफ 30 अगस्त को…

बेंगलुरु9 मिनट पहले
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22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।
ऑनलाइन गेमिंग कंपनी A23 की याचिका पर कर्नाटक हाई कोर्ट 30 अगस्त को सुनवाई करेगा। इस याचिका में भारत में ऑनलाइन मनी गेमिंग पर पूरी तरह बैन लगाने वाले नए कानून को चुनौती दी गई है। इस याचिका को तुरंत सुनवाई के लिए बुधवार को सीनियर वकील सी. आर्यमा सुंदरम और धन्य चिनप्पा ने कोर्ट के सामने पेश किया।
22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। अब ये कानून बन गया है। 21 अगस्त को राज्यसभा ने और उससे एक दिन पहले लोकसभा ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को मंजूरी दी थी। इस बिल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेश किया था।
A23 बोला- नया कानून मौलिक अधिकार का हनन
A23 की पैरेंट कंपनी हेड डिजिटल वर्क्स का कहना है कि ये कानून उन गेम्स को भी बैन करता है, जो स्किल-बेस्ड हैं, जैसे रमी और पोकर। भारत में पिछले 70 सालों से सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्ट्स ने स्किल-बेस्ड गेम्स को गैंबलिंग से अलग माना है। A23 का तर्क है कि:
- ये कानून व्यापार करने के मौलिक अधिकार का हनन करता है।
- कानून स्किल-बेस्ड और चांस-बेस्ड गेम्स में कोई अंतर नहीं करता।
- इस बैन से गेमिंग इंडस्ट्री को भारी नुकसान होगा। लाखों नौकरियां खतरे में हैं।
- बैन से लोग अवैध ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की ओर जाएंगे, जहां कोई रेगुलेशन नहीं होता।
इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ेगा?
इस कानून के आने के बाद ड्रीम11, गेम्स24×7, विंजो, गेम्सक्राफ्ट, और माय11सर्कल जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स ने अपने मनी-बेस्ड गेम्स बंद कर दिए हैं। उदाहरण के लिए:
- ड्रीम11 ने 22 अगस्त को अपने कैश-बेस्ड गेम्स बंद करने की घोषणा की।
- गेम्सक्राफ्ट ने अपनी रमी एप्स, जैसे रमीकल्चर और गेमप्ले सर्विसेज रोक दी हैं।
- पोकरबाजी ने भी अपने ऑपरेशंस बंद कर दिए हैं।
ऑनलाइन गेमिंग कानून में 4 सख्त नियम
इस कानून में कहा गया है कि चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड दोनों पर रोक है।
- रियल-मनी गेम्स पर रोक: कोई भी मनी बेस्ड गेम ऑफर करना, चलाना, प्रचार करना गैरकानूनी है। ऑनलाइन गेम खेलने वालों को कोई सजा नहीं होगी।
- सजा और जुर्माना: अगर कोई रियल-मनी गेम ऑफर करता है या उसका प्रचार करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। विज्ञापन चलाने वालों को 2 साल की जेल और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
- रेगुलेटरी अथॉरिटी: एक खास अथॉरिटी बनाई जाएगी, जो गेमिंग इंडस्ट्री को रेगुलेट करेगी, गेम्स को रजिस्टर करेगी और ये तय करेगी कि कौन सा गेम रियल-मनी गेम है।
- ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: पबजी और फ्री फायर जैसे ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को सपोर्ट किया जाएगा। ये गेम्स बिना पैसे वाले होते हैं इसलिए इन्हें बढ़ावा मिलेगा।
मनी बेस्ड गेमिंग से आर्थिक नुकसान हो रहा
सरकार का कहना है कि मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग की वजह से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है। कुछ लोग गेमिंग की लत में इतना डूब गए कि अपनी जिंदगी की बचत तक हार गए और कुछ मामलों में तो आत्महत्या की खबरें भी सामने आईं।
इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और नेशनल सिक्योरिटी को लेकर भी चिंताएं हैं। सरकार इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाना चाहती है।
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा, “ऑनलाइन मनी गेम्स से समाज में एक बड़ी समस्या पैदा हो रही है। इनसे नशा बढ़ रहा है, परिवारों की बचत खत्म हो रही है।
अनुमान है कि करीब 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं और मिडिल-क्लास परिवारों के 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।” उन्होंने यह भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में मान्यता दी है।
ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से थी
भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता था। 2029 तक इसके करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन अब इन्होंने रियल मनी गेम्स बंद कर दिए हैं।
इंडस्ट्री के लोग कह रहे हैं कि सरकार के इस कदम से 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार को हर साल करीब 20 हजार रुपए के टैक्स का नुकसान भी हो सकता है।