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1 out of every 3 school children is taking tuition Reveals NSS Survey on School Education | हर…

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24 मिनट पहले

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देश के एक-चौथाई स्‍कूली बच्‍चे यानी हर 4 में से 1 बच्‍चा स्‍कूल के अलावा प्राइवेट ट्यूशन ले रहा है। ये जानकारी सामने आई है केंद्र सरकार के कॉम्प्रिहेंसिव मॉड्यूलर सर्वे यानी CMS रिपोर्ट में।

रिपोर्ट के अनुसार शहरी इलाकों में 30.7% स्‍टूडेंट्स प्राइवेट कोचिंग ले रहे हैं जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 25.5% है। कुल 27% स्‍कूली स्‍टूडेंट्स प्राइवेट कोचिंग से पढ़ाई कर रहे हैं।

52 हजार परिवारों पर किया गया सर्वे

यह सर्वे राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण (NSS) के 80वें राउंड का हिस्सा था। इस सर्वे में कंप्यूटर-असिस्टेड पर्सनल इंटरव्यू (CAPI) तकनीक से देशभर के 52,085 घरों और 57,742 छात्रों से डेटा इकट्ठा किया गया है।

शहरी बच्‍चों की पढ़ाई पर खर्च लगभग दोगुना

खर्च के मामले में शहरी क्षेत्रों में प्रति छात्र सालाना औसतन 3,988 रुपए खर्च होते हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में यह खर्च 1,793 रुपए है। सीनियर सेकेंडरी लेवल पर यह अंतर और बढ़ जाता है। सीनियर लेवल पर शहरी छात्रों का औसत खर्च 9,950 रुपए है, जबकि ग्रामीण छात्रों का 4,548 रुपए।

केवल 1.2% स्‍टूडेंट्स छात्रवृत्ति पर कर रहे पढ़ाई

स्कूल शिक्षा पर खर्च करने वाले 95% छात्रों ने बताया कि उनकी पढ़ाई का पहला प्रमुख वित्तीय स्रोत परिवार के सदस्य हैं। यह रुझान ग्रामीण (95.3%) और शहरी (94.4%) दोनों ही क्षेत्रों में समान है। केवल 1.2% छात्रों ने बताया कि सरकार की छात्रवृत्ति उनके लिए पहला प्रमुख वित्तीय स्रोत है।

मौजूदा सर्वे में आंगनवाड़ी शिक्षा भी शामिल

पिछला बड़ा शिक्षा सर्वेक्षण NSS का 75वां राउंड जुलाई 2017 से जून 2018 में किया गया था। हालांकि, 75वें राउंड में आंगनवाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी शिक्षा के तहत नहीं गिना गया था और स्कूल शिक्षा पर खर्च में निजी कोचिंग को शामिल कर लिया गया था। वहीं, इस बार CMS सर्वे में आंगनवाड़ी को प्री-प्राइमरी श्रेणी में रखा गया और स्कूल शिक्षा व कोचिंग पर खर्च को अलग-अलग दर्ज किया गया है।

पढ़ाई में सबसे बड़ा खर्च ट्यूशन फीस पर

इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल शिक्षा और प्राइवेट कोचिंग पर परिवारों के औसत खर्च का अनुमान निकालना था। रिपोर्ट में कहा गया कि सभी प्रकार के स्कूलों में छात्रों पर सबसे ज्यादा औसत खर्च 7,111 रुपए कोर्स फीस पर हुआ। इसके बाद किताबों और स्टेशनरी पर औसतन 2,002 रुपए खर्च हुए।

शहरी परिवारों का खर्च सभी कैटेगरीज में ग्रामीणों की तुलना में काफी ज्‍यादा पाया गया। उदाहरण के लिए शहरी क्षेत्रों में कोर्स फीस पर औसतन 15,143 रुपए खर्च हुए, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह केवल 3,979 रुपए था। यही अंतर ट्रांसपोर्ट, यूनिफॉर्म और किताबों जैसे अन्य खर्चों में भी है।

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