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Mining industry strike begins in Chittorgarh | चित्तौड़गढ़ में खनन उद्योग की हड़ताल शुरू: 25%…

चित्तौड़गढ़ जिले में खनन और क्रेशर उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर गुरुवार से हड़ताल शुरू कर दी है।

चित्तौड़गढ़ जिले में खनन और क्रेशर उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर गुरुवार से हड़ताल शुरू कर दी है। यह हड़ताल चित्तौड़गढ़ पत्थर उत्पादक सेवा समिति, मानपुरा के अध्यक्ष खुमान सिंह राणावत के नेतृत्व में की जा रही है। इस आं

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समिति के अध्यक्ष खुमान सिंह राणावत के नेतृत्व में खनन व क्रेशर व्यवसायियों ने मुख्यमंत्री के नाम से जिला कलेक्टर आलोक रंजन से कई अहम मांगें रखीं।

सबसे पहले, उन्होंने 25 प्रतिशत बढ़ी हुई रॉयल्टी को वापस लेने की मांग की। उनका कहना है कि पहले से ही महंगाई और लागत बढ़ी हुई है, ऐसे में रॉयल्टी दर में यह बढ़ोतरी उद्योग के लिए नुकसानदायक है। इसके साथ ही पास के जिलों में अलग-अलग रॉयल्टी दरों से व्यापारियों के बीच असमानता पैदा हो रही है, जिसे दूर किया जाना चाहिए।

व्यापारियों ने ड्रोन सर्वे से जुड़े नियमों को सरल और व्यवहारिक बनाने की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि जिस तरह से आईबीएम (भारतीय खनिज ब्यूरो) ने बड़े खनिजों के लिए एसओपी बनाई है, वही नियम छोटे खनिजों पर भी लागू किए जाएं।

साथ ही, साल 2017 में लागू किए गए आरएमएमसीआर नियमों में भी बदलाव की जरूरत बताई गई ताकि उन्हें व्यावहारिक रूप से लागू किया जा सके। उन्होंने पर्यावरण स्वीकृति (एनवायरमेंट क्लीयरेंस) से जुड़े नियमों में भी थोड़ी राहत देने की मांग की। व्यापारियों की एक और बड़ी मांग यह रही कि खनन और क्रेशर उद्योग को पूरा उद्योग दर्जा दिया जाए ताकि वे सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठा सकें।

यह हड़ताल चित्तौड़गढ़ पत्थर उत्पादक सेवा समिति, मानपुरा के अध्यक्ष खुमान सिंह राणावत के नेतृत्व में की जा रही है।

उन्होंने यह भी बताया कि खनिज विभाग की वेबसाइट को परिवहन विभाग से अलग किया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे और गलत चालानों से बचा जा सके। इसके साथ ही परिवहन एमनेस्टी स्कीम को भी समाप्त करने की मांग की गई क्योंकि इससे व्यापारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है।

व्यापारियों ने यह भी कहा कि खनन पट्टों का ट्रांसफर अधिक खर्चीला न बनाकर सस्ती प्रक्रिया बनाई जाए ताकि यह लोगों को रोजगार देने का माध्यम बन सके, ना कि सिर्फ सरकार की कमाई का जरिया। साथ ही, नॉन-वर्किंग (यानी कुछ समय तक काम नहीं होने) के आधार पर पट्टों को रद्द न किया जाए।

इस हड़ताल और ज्ञापन में अरविंद काबरा, हेमराज माली, रोशन माली, भंवर साहू, मनोज वैष्णव, महिपाल सिंह चौहान, कन्हैयालाल कुमावत, यशवंत प्रजापत, दिनेश कुमावत, गोपाल गोस्वामी, लोकेश गुर्जर, अशोक कोठारी, रतन गुर्जर, हेमंत कुमावत, प्रदीप छीपा, पंकज माली और दुर्गेश माली सहित कई अन्य खनन और क्रेशर व्यवसायी शामिल हुए।

व्यापारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी। उनका उद्देश्य सरकार को जगाना और अपने उद्योग को बचाना है।

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