Guava worth 38 crores destroyed due to flood | राजस्थान में 4 करोड़ कीमत के वर्ल्ड फेमस अमरूद…

राजस्थान का सवाई माधोपुर दुनियाभर में रणथंभौर टाइगर रिजर्व के साथ अपने लाल अमरूद के लिए भी फेमस है। यहां से हर साल बड़ी मात्रा में अमरूद देश के अन्य राज्यों के साथ विदेशों तक जाता है।
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इस साल भी अमरूद की बंपर पैदावार हुई थी, लेकिन यहां आई बाढ़ ने हजारों किसानों को बर्बाद कर दिया। करीब 22 गांवों में 14 हजार से हेक्टेयर से ज्यादा के बगीचे पानी में डूब गए हैं।
किसानों का दावा है कि 20 दिन की बारिश में करीब 4 करोड़ के अमरूद बह गए हैं। इसलिए एक्सपर्ट का दावा है कि इस बार अमरूद खुले बाजार में रिकॉर्ड महंगे बिक सकते हैं। वहीं, फसल के भरोसे बैठे किसानों का कहना है कि हम बर्बाद हो गए हैं।
अब न बेटी की शादी होगी न बच्चों की फीस देने के पैसे बचे हैं। हालांकि, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट ने नुकसान का कोई आंकलन नहीं किया है। कैसे हैं सवाई माधोपुर के अमरूदों के किसानों के हालात, पढ़िए- पूरी रिपोर्ट…
सबसे पहले देखिए – एक उजड़े हुए बाग की तस्वीर
सवाई माधोपुर के लगभग हर अमरूदों के बगीचों में मायूस किसान नजर आ रहा है। सालभर की मेहनत के बाद भी उसे इस बार कोई कमाई नहीं होगी।
इसके चलते इस बार 40 फीसदी कम उत्पादन होने का अनुमान है। भास्कर टीम इस तबाही के बाद ग्राउंड रिपोर्ट करने पहुंची तो किसानों ने अपनी पीड़ा बताई। उनका कहना है- हमारी रोजी-रोटी इसी से चलती है। सोचा था- इस बार बारिश अच्छी है, अमरूदों की पैदावार भरपूर होगी। बेटी की शादी करवा देंगे। लेकिन, अब तो बच्चों की स्कूल फीस भरने के लाले पड़ गए हैं।
क्षेत्र में 14 हजार 500 हेक्टेयर में अमरूद होते हैं। लेकिन इस बार बाढ़ के हालातों से लगभग 5000 हेक्टेयर के बगीचे जलमग्न हो चुके हैं। पेड़ों पर लदे अमरूद टूटकर पानी में बर्बाद हो रहे हैं। किसान घूम-घूम कर देख रहे हैं कि अगर कोई पेड़ बचा हो तो इस बार उसे बेच कर किसी तरीके से लागत वसूल हो जाए।
22 गांवों में सैकड़ों किसानों की फसल बर्बाद
करमोदा, बौन्दरी, सूरवाल मैनपुरा, अजनोटी, दुब्बी बिदरखां, पूसोदा, गोगोर, सैलू, पढ़ाना, जड़ावता, लोरवाड़ा, जटवाड़ा, सुनारी, बन्या, दोवड़ा कला, सैबड़ा खुर्द, जीनापुर, गम्भीरा, आडूण कला, पीपल्या, गोठड़ा मखौली, कानसीर आदि गावों में नुकसान हुआ है।
अब पढ़िए किसान क्या कह रहे-
बेटी की शादी कैसे करवाऊं
सवाई माधोपुर की रावल ग्राम पंचायत में 3 बीघा में अमरूद की खेती करने वाले कमल मीणा कहते हैं- सब बर्बाद हो गया। बाग पूरा नष्ट हो गया। 20 दिन पहले भी भयंकर बारिश आई और रही सही कसर 4 दिन की बारिश ने पूरी कर दी। सब कुछ तबाह हो गया। सोचा था इस साल अमरूद बेचकर जो पैसा आएगा उससे 22 साल की बेटी की शादी करवा दूंगा। अब 3 लाख बचे हैं, क्या भात भरूंगा और क्या शादी करवाऊंगा। अब लगता है कर्ज लेकर शादी करवानी पड़ेगी।
अब कुछ नहीं बचा
ग्राम पंचायत रावल के ही ढाई बीघा जमीन पर अमरूद का बाग लगाने वाले राजेंद्र कहते हैं- इतनी बारिश हुई कि सब फल और फूल नीचे गिर गए हैं। कुछ नहीं बचा है, खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है। घर में शादी है, बच्चों को पढ़ाना भी है। अब सरकार से ये ही गुजारिश है कि हमें मुआवजा दिया जाए। इससे कम से कम हम अपना खर्चा तो चला सके। उम्मीद थी कि अच्छी खेती हुई तो साल का ढाई लाख का मुनाफा हो जाएगा। लेकिन, अब कुछ नहीं बचा।
कमाई का मुख्य जरिया था, ये भी गया
रावल के ही किसान कालूराम मीणा कहते हैं- बगीचों में पानी भरा है, फल बारिश से गिरकर बहकर चले गए। तारबंदी भी टूट गई। मेरे परिवार का आर्थिक स्त्रोत यही बगीचा था। अब यह खत्म हो चुका है। बच्चों की फीस भरने का संकट खड़ा हो गया है। सरकार हमें मुआवजा दे तो थोड़ा संबल मिलेगा।
अब तस्वीरों में देखिए कैसे उजड़ गए बाग
तस्वीर, रावल ग्राम पंचायत की है। यहां किसान कमल मीणा का पूरा बाग बर्बाद हो गया है। घुटनों तक पानी भरा है और पके हुए अमरूद और फूल पानी के साथ बह गए हैं।
पूरे बाग में पानी भरा है और पेड़ों पर अमरूद नहीं हैं।
सवाई माधोपुर में आई बारिश ने पूरे बाग बर्बाद कर दिए हैं। किसान अब मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
पढ़िए- क्या कह रहे अधिकारी…
उद्यानिकी एवं बागवानी विभाग सहायक निदेशक बृजेश कुमार मीणा- सवाई माधोपुर जिले में करीब 14,300 हेक्टेयर में अमरूदों के बगीचे लगाए हुए हैं। इस साल करीब 5000 हेक्टेयर में नए बगीचे लगाए थे। जो कि बारिश से खराब हो गए। नए बगीचों में 150 हेक्टेयर के बाग बर्बाद हुए हैं।
मीणा कहते हैं- जड़ावता गांव में 1000 अमरूदों के पौधे खराब हुए हैं। यहां एक बीघा में करीब 278 पौधों लगाए जाते हैं। ऐसे में जड़ावता गांव में करीब 1 से सवा हेक्टेयर अमरूदों के बगीचे गड्ढे में समा गए हैं या पानी में डूबे हैं।
सहायक निदेशक मीणा ने बताया- तेज बरसात से फ्लॉवरिंग (फूलों) को नुकसान हुआ है। जिसका असर उपज पर भी दिखेगा। यहां सर्दियों में 40 फीसदी कम उपज होगी। पिछले साल 210 हेक्टेयर क्षेत्रफल बगीचे लगे थे। अमरूद के बगीचे की पौध लगने के 4 साल बाद उत्पादन देना शुरू करते हैं।
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