बिजनेस

US Tariff Impacts 20% of India’s Exports, ₹4.22 Lakh Crore at Risk | भारत के कुल निर्यात में…

नई दिल्ली1 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

भारत दुनियाभर में कुल 38 लाख करोड़ के प्रोडक्ट्स निर्यात करता है। इसमें से 20% सामान अमेरिका में बिकते हैं। केंद्र सरकार के मुताबिक भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ लगने के बाद करीब 4.22 लाख करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट प्रभावित होगा।यहां ग्राफिक्स के जरिए समझिए भारत के टॉप प्रोडक्ट्स अमेरिका पर कितने निर्भर हैं। अगर अमेरिका में ये प्रोडक्ट्स नहीं बिकते हैं तो फिर भारत के पास क्या विकल्प हैं?

मशीनरी और कलपुर्जे के बाजार में भारत के पास क्या विकल्प?

यूरोपीय संघ (EU) और EFTA के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA): भारत यूरोपीय संघ, EFTA (जिसमें स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिचेंस्टीन शामिल हैं) और यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) जैसे ब्लॉकों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत को तेज कर सकता है।

यूएई के साथ व्यापार संबंध: भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) भी कर सकता है। यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और दूसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। इन समझौतों से भारतीय मशीनरी और कलपुर्जे उत्पादों को इन बाजारों में टैरिफ मुक्त पहुंच मिलेगी, जिससे अमेरिकी खरीदारों पर निर्भरता कम होगी और मांग बढ़ेगी।

पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स मार्केट में भारत के पास क्या विकल्प

भारत अपनी तेल जरूरतों का 80% से ज्यादा इंपोर्ट करता है। ज्यादातर तेल रूस के अलावा इराक, सऊदी अरब और अमेरिका जैसे देशों से खरीदता है। अगर रूस से तेल खरीदने पर सेंक्शन लगता है या रूस इंपोर्ट बंद करना है तो उसे इन देशों से अपना इंपोर्ट बढ़ाना होगा…

इराक: रूस के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर है, जो हमारे इंपोर्ट का लगभग 21% प्रोवाइड करता है।

सऊदी अरब: तीसरा बड़ा सप्लायर, जो हमारी जरूरतों का 15% तेल (करीब 7 लाख बैरल प्रतिदिन) सप्लाई करता है।

साउथ अफ्रीकन देश: नाइजीरिया और दूसरे साउथ अफ्रीकन देश भी भारत को तेल सप्लाई करते हैं और सरकारी रिफाइनरीज इन देशों की ओर रुख कर रही हैं।

अन्य देश: अबू धाबी (UAE) से मुरबान क्रूड भारत के लिए एक बड़ा ऑप्शन है। इसके अलावा, भारत ने गयाना ब्राजील, और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों से भी तेल आयात शुरू किया है। हालांकि, इनसे तेल खरीदना आमतौर पर रूसी तेल की तुलना में महंगा है।

इलेक्ट्रॉनिक गुड्स बाजार में भारत के पास क्या विकल्प

  • भारत सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी पहल शुरू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य घरेलू और विदेशी कंपनियों को भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करना है। भारत घरेलू बाजार को मजबूत करने और नए ब्रांड्स विकसित करने पर जोर दे सकता है।
  • इसके अलावा भारत यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU), खाड़ी देशों (Gulf countries) और पूर्वी एशियाई ब्लॉक के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर भी बातचीत कर रहा है, जिससे अमेरिका पर निर्भरता कम होगी और निर्यात के नए मौके मिलेंगे।

ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स बाजार में भारत के पास क्या विकल्प

भारत के कुल फार्मा निर्यात का एक-तिहाई हिस्सा अमेरिका को जाता है। अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए यूरोप, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे नए बाजारों की तलाश कर रहा है। अभारत ने 2022 में ट्यूनीशिया और कजाकिस्तान के साथ फार्मा सहयोग बढ़ाने के लिए जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाए। वहीं मिस्र और अन्य अफ्रीकी देशों के साथ व्यापार बढ़ाने से भारत का ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स बाजार मजबूत हो सकता है।

जेम्स और ज्वेलरी बाजार में भारत के पास क्या विकल्प

भारत जेम्स और ज्वेलरी के लिए मिडिल ईस्ट, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे नए बाजारों की ओर बढ़ रहा है। मिडिल ईस्ट, खासकर सऊदी अरब और यूएई, में 10% टैरिफ के साथ भारत के डिजाइनों की मांग बढ़ रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई निर्यातक दुबई में नए मैन्युफैक्चरिंग बेस स्थापित करने पर विचार कर रहे हैं।

भारत अब अन्य बाजारों जैसे दुबई, मैक्सिको और यूरोप की ओर देख रहा है। इन देशों के साथ व्यापार समझौते से भारत को अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।

ये खबर भी पढ़ें….

भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ आज से लागू: ₹5.4 लाख करोड़ का एक्सपोर्ट प्रभावित; ज्वेलरी-कपड़ों की डिमांड 70% घट सकती है, नौकरियों पर भी संकट

भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले सामानों पर आज यानी, 27 अगस्त से 50% टैरिफ लागू हो गया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह नया टैरिफ भारत के लगभग ₹5.4 लाख करोड़ के एक्सपोर्ट को प्रभावित कर सकता है।

50% टैरिफ से अमेरिका में बिकने वाले कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर, सी फूड जैसे भारतीय प्रोडक्ट्स महंगे हो जाएंगे। इससे इनकी मांग में 70% की कमी आ सकती है। पूरी खबर पढ़ें…

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button