Trusting Google Maps, the whole family was swept away in Chittorgarh | वैन बहने लगी…हाथ छूटते…

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ये शब्द हैं 16 साल के हितेश के। वह मंगलवार की देर रात करीब एक बजे चित्तौड़गढ़ के कपासन में हुए हादसे में चश्मदीद भी है और पीड़ित भी। हादसे में एक ही परिवार के 3 सदस्यों की मौत हो गई, जबकि एक बच्ची की तलाश जारी है।
दरअसल, वैन में मदन गाडरी (25), उनकी पत्नी ममता (25), बेटी खुशी (4), बेटा काव्यांश (9 महीना), बहनें लीला (18) और चंदा (21), भांजी रूत्वी (6), कजिन भाई हितेश (16) और भांजा (9 महीना) सभी एक साथ थे। वे भीलवाड़ा में देव दर्शन कर लौट रहे थे, लेकिन बीच रास्ते भटक गए। मंजिल तक पहुंचने के लिए गूगल मैप पर भरोसा किया… जो आखिरी भरोसा बन गया।
हादसे में ममता, खुशी, चंदा की मौत हो गई। जबकि रूत्वी की तलाश जारी है। हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन शाम सात बजे बंद कर दिया गया, जिसे गुरुवार की सुबह फिर से शुरू किया जाएगा।
हादसे के बाद मदन बेसुध है। हितेश ने घटना की आंखों देखी को बताया।
बहन की मौत पर गुजरात से आए थे चित्तौड़गढ़ हितेश ने बताया- 20 दिन पहले बड़े पापा माधव गाडरी की बेटी संतोष की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई थी। इसी कारण मैं(हितेश), मदन सहित परिवार के अन्य लोग गुजरात से चित्तौड़गढ़ के भूपालसागर थाना क्षेत्र में पैतृक गांव कानाखेड़ा आए थे। इस बीच परिवार के 9 सदस्यों के साथ मदन गाडरी घर से देव दर्शन के लिए वैन में निकले थे। सभी ने भीलवाड़ा के आसींद में सवाई भोज (देवनारायण) मंदिर में दर्शन किए, फोटो खिंचवाए। इसके बाद रिश्तेदारों से मिले और रात का भोजन करने के बाद घर लौटने के लिए रवाना हुए।
गूगल मैप पर किया था भरोसा हितेश ने बताया- लौटते समय परिवार को सांखली पुलिया पार करनी थी, लेकिन मातृकुंडिया के गेट खोले जाने के कारण पुलिया पर पानी का बहाव बहुत तेज था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने जेसीबी लगाकर मार्ग बंद कर दिया। परिवार को वैकल्पिक रास्ता सुझाया। पुलिस ने उन्हें सोमी गांव होते हुए आरणी और फिर मातृकुंडिया की तरफ से जाने का रास्ता बताया।
हादसे में खुशी(पिंक टॉप) की मौत हो गई। जबकि रूत्वी की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। फाइल फोटो।
मदन ने गाड़ी सोमी गांव तक तो पहुंचा दी, लेकिन वहां पहुंचकर वे भटक गए। स्थानीय ग्रामीणों ने सोमी- उपरेड़ा पुलिया से न जाने की सख्त हिदायत दी, लेकिन जब गूगल मैप ने वहीं रास्ता दिखाया, और दूसरे रास्ते को गलत बताया, ऐसे में मदन ने गूगल मैप्स पर भरोसा कर आगे बढ़ने का भरोसा लिया।
300 मीटर बहती गई वैन, फिर अटक गई जैसे ही वैन ने सोमी-उपरेड़ा की टूटी हुई पुलिया को पार करना चाहा, तेज बहाव के साथ गाड़ी बहने लगी। करीब 300 मीटर दूर एक पत्थर से टकराकर वैन रुकी। दरवाजे बंद हो चुके थे, पानी हर तरफ था। मदन और हितेश ने कांच तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश की, और एक-एक करके बाकी लोगों को भी बाहर निकाला। सब गाड़ी की छत पर आ गए। एक पल को लगा जैसे जान बच गई हो।
हादसे में नाव चालक अब्दुल जब्बार पुत्र शरीफ ने हाथों से तेज बहाव के खिलाफ नाव चलाई। जिससे हादसे में 5 लोगों को बचाया जा सका। कलेक्टर आलोक रंजन से उनसे जानकारी ली।
हाथ छूटते ही… जिंदगियां बह गईं हितेश के बताया- गाड़ी बहाव में हिल रही थी। सभी ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ रखा था। पर तेज पानी के दबाव से गाड़ी का बैलेंस बिगड़ा। देखते ही देखते ममता, खुशी, चंदा और रूत्वी का हाथ छूट गया और वे बहाव में बह गईं। हम चाहकर भी उन्हें नहीं पकड़ सके।
मछुआरे ने बहाव के खिलाफ नाव चलाकर बचाई जान हितेश ने बताया- घटना के समय उसका मोबाइल काम कर रहा था। तुरंत एक रिश्तेदार को लाइव लोकेशन शेयर की, कॉल किया। पुलिस ने एक मछुआरे अब्दुल जब्बार को नाव के साथ भेजा। तेज बहाव के खिलाफ हाथ से नाव चलाकर अब्दुल उन तक तक पहुंचा। पुलिसकर्मी भी नाव में था, जिससे दोनों ओर से संपर्क बना रहा।
पत्नी-बेटी की मौत मदन बेसुध, बहन की मौत पर गुजरात से आया था हादसे के बाद मदन की हालत ऐसी नहीं थी कि वह किसी से बात कर सके। उसे पास के गांव ऊपरेड़ा में रहने वाले जमना लाल माली के घर ले जाया गया, जहां वह बेसुध हो गया। सभी मृतकों का पैतृक गांव में ही अंतिम संस्कार किया गया। जहां ममता के पिता चीख चीखकर रोने लगे। वहीं ममता के पति मदन को भी रिश्तेदार वहां लाए, जहां उसकी नम आंखें फूट पड़ी।
मृतकों का अंतिम संस्कार पैतृक गांव कानाखेड़ा में किया गया। जहां ममता के पिता और उसके पति मदन फूट- फूटकर रोने लगे।
बच्चों के साथ राजसमंद से आई थी चंदा और लीला परिवार के सदस्यों ने बताया कि मदन और उसका परिवार 20 दिन पहले ही चित्तौड़गढ़ स्थित उनके गावं आया था। मदन के बड़े पापा माधव गाडरी की बेटी संतोष की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई थी। इसी कारण मदन और उसके परिजन गुजरात से गांव लौटे थे। वे गुजरात में आइसक्रीम और पावभाजी की रेहड़ी लगाते हैं।
मदन अपने पिता देवीलाल, अंकल सोहन गाडरी और कजिन भाई हितेश के साथ गुजरात ही रहता है। वहीं, चंदा और लीला भी राजसमंद जिले से अपने बच्चों के साथ आई हुई थी।
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