लाइफस्टाइल

मिल गया कैंसर का इलाज! ट्यूमर को सीधे खत्म करेगी ये थेरेपी, नहीं होगी इम्यून सिस्टम की जरूरत

कैंसर के इलाज की दुनिया में जापानी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है जो आने वाले वर्षों में मेडिकल साइंस की दिशा बदल सकती है. ‌जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक बैक्टीरिया आधारित थेरेपी विकसित की है, जो बिना इम्यून सिस्टम की मदद लिए सीधे कैंसर ट्यूमर को नष्ट कर सकती है. इसे एयूएन बैक्टीरिया कैंसर ट्रीटमेंट के नाम दिया गया है. 

150 साल पुराने प्रयोग से नई खोज तक 

कैंसर पर शोध करते हुए डॉक्टर ने सालों से इम्यून सिस्टम को हथियार बनाने की कोशिश करते आए हैं. ‌19वीं सदी के अंत में डॉक्टर विलियम कोली ने सबसे पहले यह प्रयोग किया, जिसे आधुनिक इम्यूनोथैरेपी का आधार माना जाता है. इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह रही कि कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीज इस थेरेपी से फायदा नहीं उठा पाते. इसी कमी को दूर करते हुए जेएआईएसटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक तैयार की है जो इम्यून सिस्टम पर निर्भर नहीं है और अपने आप कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है. 

कैसे काम करती है एयूएन थेरेपी 

यह थेरेपी दो अलग-अलग बैक्टीरिया के मेल से तैयार की गई है. 

  • A-gyo- यह ट्यूमर तक पहुंचकर सीधा कैंसर कोशिकाओं और उनकी रक्त वाहिकाओं पर हमला करता है.
  • UN-gyo-यह बैक्टीरिया A-gyo की गतिविधियों को नियंत्रित करता है ताकि संक्रमण फैलने की बजाय केवल ट्यूमर पर असर हो. 

दिलचस्प बात यह है कि इंजेक्शन के समय दोनों बैक्टीरिया का अनुपात अलग होता है, करीब 3% A-gyo और 97% UN-gyo होता है, लेकिन जैसे ही यह ट्यूमर के अंदर पहुंचता है, अनुपात बदलकर लगभग 99% A-gyo का हो जाता है. इस बदलाव की वजह से ट्यूमर तेजी से नष्ट होता है जबकि साइंस साइड इफेक्ट्स पर भी नियंत्रण बना रहता है. 

इम्यूनोथैरेपी से बड़ा फर्क 

मौजूदा इम्यूनोथैरेपी जैसे कार्ट या चेकपॉइंट इनहिब‍िटर तभी असर करती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय हो. इसके उलट एयूएन थेरेपी पूरी तरह इम्यून इंडिपेंडेंट है. प्रयोग में यह पाया गया है की कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मॉडल में भी ट्यूमर खत्म हो गया. इसके अलावा गंभीर दुष्प्रभाव जैसे साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम सामने नहीं आए. ‌वहीं बैक्टीरिया नियंत्रित तरीके से काम करते रहे. यानी यह थैरेपी उन मरीजों के लिए नई उम्मीद बन सकती है जिन्हें अब तक के इलाज से राहत नहीं मिली. रिसर्च का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर एजीरो मियाको ने बताया कि आने वाले वर्षों में इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने की तैयारी है. वैज्ञानिकों का लक्ष्य है कि अगले 6 सालों में यह तकनीक मरीजों तक पहुंच सके. इसके लिए एक स्टार्टअप बनाने की भी योजना है. 

ये भी पढ़ें-NASA तो दुनिया की सबसे ताकतवर स्पेस एजेंसी, लेकिन इसके बाद किसका आता है नंबर? जानें उसके बारे में सबकुछ

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button