अन्तराष्ट्रीय

US Tariffs: 48 बिलियन डॉलर का सवाल है… अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए भारत के पास क्या हैं…

भारत अमेरिका के साथ अपने 48.2 बिलियन डॉलर के बिजनेस पर लगे हेवी टैरिफ के नुकसान से बचने के लिए बहुआयामी रणनीति पर काम कर रहा है. एक्सपोर्ट प्रोमोशन मिशन और स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) संशोधन जैसे प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है. लेबर इंटेंसिव सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका है क्योंकि टेक्सटाइल, झींगा, लैदर, और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्र ट्रंप के फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.

निर्यातकों ने बताया कि तिरुप्पुर, नोएडा और सूरत के टेक्सटाइल और परिधान उत्पादकों ने उत्पादन रोक दिया है क्योंकि उनका कहना है कि वे वियतनाम और बांग्लादेश के कम लागत वाले उत्पादकों से पिछड़ रहे हैं. इसी तरह सीफूड मार्केट खासतौर पर झींगा के भंडार पर भी ट्रंप के टैरिफ का तगड़ा असर देखने को मिल सकता है. नए टैरिफ की वजह से सीफूड की सप्लाई चेन में बाधा और किसानों की परेशानी का खतरा बढ़ सकता है. भारत का 40 प्रतिशत सीफूड अमेरिकी बाजारों में जाता है. निर्यातक चाहते हैं कि एक साल के ऋण के लिए मूलधन और ब्याज के भुगतान पर रोक लगनी चाहिए.

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई है कि वित्त वर्ष 2026 में अमेरिका को भारत के निर्यात में भारी कमी देखी जा सकती है. फाइनेंशियल ईयर 2025 में भारत ने अमेरिका को 86.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था, जो अगले साल गिरकर 49.9 बिलियन डॉलर तक आ सकता है. 

अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से बचने के लिए भारत के पास क्या हैं विकल्प
सरकार की उच्च स्तर पर बैठकें हो रही हैं. एक अधिकारी ने कहा कि सरकार एक्सपोर्ट प्रोमोशन मिशन और स्पेशल इकोनॉमिक जोन संशोधन जैसे प्रस्तावों पर विचार कर रही है. ऐसे हालातों में भारत के लिए यूरोपियन यूनियन, यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन, यूनाइटेड किंगडम, खाड़ी देशों और ईस्ट एशिया पर फोकस बढ़ा देना चाहिए. हम पहले से इन बाजारों में मौजूद हैं, लेकिन अब इसका विस्तार करने पर विचार करना चाहिए.

ऐसे समय में भारत रूस के साथ अच्छे रिश्तों का भी लाभ ले सकता है. रूस ने कहा है कि भारतीय सामानों के लिए उसका बाजार खुला है तो भारत को इस पर आगे बढ़ना चाहिए ताकि वैकल्पिक व्यापार व्यवस्थाएं बन सकें. एक विकल्प ये भी है कि भारत घरेलू उद्योगों पर सब्सिडी देकर अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित टेक्सटाइल, आईटी समेत अन्य घरेलू उद्योगों को बढ़ावा दे सकता है.

अमेरिका को क्या-क्या बेचता है भारत?
भारत अमेरिका को दवाइयां और फार्मा उत्पाद, रत्न-आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल, वस्त्र और परिधान, पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग, बासमती चावल, हस्तशिल्प, होम डेकोर, चमड़ा, फुटवियर और सीफूड का निर्यात करता है. अमेरिका ने जो टैरिफ भारतीय सामानों पर लगाया है, उसका सबसे ज्यादा असर 70 प्रतिशत एक्पोर्ट पर पड़ेगा, जिसमें टेक्सटाइल, झींगा, लैदर, और रत्न-आभूषण जैसे सामान आते हैं, जबकि इलेक्ट्रॉनिक, दवाइयों और फार्मास्युटिकल्स जैसे 30 प्रतिशत उत्पाद ड्यूटी फ्री हैं.

अमेरिका ने भारत पर जो 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है, उसमें से 25 प्रतिशत भारत की ओर से लगाए जाने वाल टैरिफ के बदले में है और 25 प्रतिशत रूस से तेल खरीदने के लिए पेनल्टी लगाई गई है. 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ 7 अगस्त को लगाया गया था और पेनल्टी के रूप में लगाया गया बाकी का 25 प्रतिशत टैरिफ 27 अगस्त को लागू किया गया है.

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