The first Garh Ganesh temple was built where Bikaji lived | जहां रहते थे बीकाजी, वहीं बना पहला…

बीकानेर की स्थापना के लिए आए राव बीका ने वर्तमान लक्ष्मीनाथ मंदिर के आसपास ही सबसे पहले डेरा डाला था। यहीं पर राव बीका ने अपना गढ़ बनाया, जिसमें वो रहते थे। अब गढ़ है तो उसमें मंदिर भी बना। बाद में राव बीका का परिवार तो जूनागढ़ में शिफ्ट हो गया लेकिन ये
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लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर में बने गढ़ गणेश मंदिर के पुजारी गणेश सेवग ने बताया कि ये मंदिर परिसर पहले बीकानेर का गढ़ था। राव बीकाजी यहीं पर रहते थे। इस गणेश मंदिर की स्थापना राज परिवार ने की थी। बाद में राज परिवार जूनागढ़ में शिफ्ट हो गया लेकिन ये मंदिर आज भी गढ़ गणेश मंदिर कहलाता है। गणेश चतुर्थी पर पिछले करीब 530 सालों से इस मंदिर में विशेष पूजन का सिलसिला चल रहा है। इस बार भी मंदिर को विशेष तौर पर सजाया गया है।
गढ़ जैसा ही है द्वार
लक्ष्मीनाथ मंदिर के ठीक सामने स्थित इस मंदिर के मुख्य द्वार को देखेंगे तो अहसास होता है कि ये पुराना किला यानी गढ़ है। करीब बीस फीट ऊंचे मंदिर के गेट को लकड़ी से बनाया गया है और बीच में लोहे की पत्तियों की मजबूती दी गई है। चंद्राकार गेट के ऊपर बने हिस्से में पत्थर पर नक्काशी का काम हुआ है। मंदिर के अंदर घुसते ही लगता है कि ये राजशाही के समय की जगह है।
जब भी राजा आते, दर्शन करते
बीकानेर राजपरिवार आमतौर पर नगर सेठ कहलाने वाले लक्ष्मीनाथ मंदिर में दर्शन करने आते थे। कोई त्यौहार हो या फिर युद्ध, कहीं बाहर जा रहे हो या फिर लोकतंत्र में हो रहे चुनाव। राजपरिवार के सदस्य जब-जब लक्ष्मीनाथ मंदिर में आते, तब-तब वो इस गढ़ गणेश मंदिर का आशीर्वाद लेना नहीं भूले।
आज बारह बजे विशेष पूजन
मंदिर के पुजारी गणेश सेवग बताते हैं कि आज दोपहर बारह बजे विशेष पूजन होगा। इससे पहले निज मंदिर में विशेष शृंगार किया गया है। गणेश प्रतिमा के साथ ही मंदिर में सभी भगवान की प्रतिमाओं की खास पूजा गणेश चतुर्थी पर होती है।
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