There will be no stigma from seeing the moon, because the moon of Chaturthi had risen a day…

गणेश चतुर्थी पर्व बुधवार को मनाया जाएगा। भगवान गणेशजी का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, ज्योतिषियों की मानें तो गणपति की पूजा भी मध्याह्न काल में किया जाना श्रेष्ठ रहता है। राजस्थान ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान के महासचिव डॉ. विनोद शास्त्री ने बताया
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बुधवार को वृश्चिक लग्न में सुबह 11:13 से दोपहर 1:45 बजे तक गणेश पूजन व गणेश स्थापना की जा सकेगी। खास बात यह है कि इस बार गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन निषेध नहीं रहेगा, क्योंकि चतुर्थी का चंद्रमा सूर्यास्त काल में एक दिन पहले यानी मंगलवार को ही रहेगा, जबकि बुधवार का चंद्रमा निषेध नहीं होगा, क्योंकि बुधवार को चतुर्थी तिथि अपराह्न 3:45 बजे तक ही रहेगी।
मेहंदी से महक उठी मोतीडूंगरी
भाद्रपद शुक्ल तृतीया मंगलवार को शहरभर के मंदिरों में गणेशजी महाराज का सिंजारा महोत्सव मनाया गया। प्रथम पूज्य को मेहंदी लगाकर श्रद्धालुओं को वितरित की गई। भक्त मेहंदी लेने के लिए गणेश मंदिरों में उमड़ पड़े। देर रात तक कतारों में लगकर मेहंदी प्रसाद लिया। घरों में भी सिंजारा महोत्सव मनाया गया और बच्चों के हाथों पर मेहंदी लगाई गई।
5 काउंटर, 15 लोगों ने 14 बड़े भगोनों में तैयार की मेहंदी
भक्तों को 3100 किलो मेहंदी का प्रसाद वितरण किया। सोजत से मंगाई इस मेहंदी को 15 लोगों ने 14 बड़े भगोनों में तैयार किया। इसके बाद गणेशजी महाराज को अर्पित की गई। 5 काउंटर लगाकर मेहंदी प्रसाद बांटा गया।
शीश पर सजा सोने का मुकुट मोतीडूंगरी गणेशजी को विशेष पोशाक धारण कराकर चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया। महंत कैलाश शर्मा के सान्निध्य में परिवार ने 3 माह में बनाया और उससे गणेशजी का पारंपरिक नौलखा शृंगार किया। मुकुट में माणक्य, पन्ना, हीरा और अन्य रत्न जड़े थे। सिंजारे की मेहंदी लगाई गई।
महिलाओं की अलग व्यवस्था
महिलाओं और कन्याओं के लिए डोरा और मेहंदी की अलग से व्यवस्था की गई। गाते-बजाते, जयकारे लगाते गावों से रात 8 बजे से सुबह मंगला आरती तक 1000 से ज्यादा पदयात्राएं गणेशजी के दरबार में पहुंची। एक लाख से अधिक ने सिंजारे के शृंगार दर्शन कर ध्वज अर्पित किए।
गणेशजी मंदिरों में तैयारी
नहर के गणेश, गलता गेट स्थित मंदिर श्री गीता गायत्री, चांदपोल के परकोटा गणेश मंदिर में भी मेहंदी वितरण और शृंगार किया गया। वहीं श्री ऋणहर्ता गणेशजी मंदिर में महापौर कुसुम यादव 51 किलो दूध से अभिषेक किया।