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Malegaon Blast Case; Sameer Kulkarni | Digvijay Singh Sonia Gandhi | ‘कर्नल की कनपटी पर बंदूक…

‘मालेगांव ब्लास्ट मामले में हमें झूठे नाम से गैरकानूनी तरीके से अरेस्ट किया है। इसे तत्कालीन एटीएस के अधिकारियों ने भी दोहराया कि उन पर प्रेशर बनाया था, केस में कुछ हिंदुओं को गलत तरीके से फंसाया जाए। एविडेंस फेब्रिकेट किए गए। गवाहों और ऑन ड्यूटी कर्

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यह कहना है समीर कुलकर्णी का। मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने 31 जुलाई को 1036 पन्नों का जजमेंट देते हुए समीर और भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए बम धमाके के केस में ये फैसला 17 साल बाद आया।

समीर कुलकर्णी ने केस लड़ने के लिए वकील नहीं किया। उन्होंने खुद अपना केस लड़ा। 9 साल बाद जेल से छूटे, फिर ट्रायल की हर तारीख पर कोर्ट पहुंचे। कुलकर्णी RSS से जुड़े हैं। सिर्फ भगवा कपड़े ही पहनते हैं। उन्होंने शादी नहीं की है। परिवार में सिर्फ मां हैं।

समीर कुलकर्णी से दैनिक भास्कर ने बातचीत की। उनका कहना है कि भोपाल के पुलिस अफसर ने उन्हें झूठे नाम से अरेस्ट कराया। उसे सजा दिलाने के लिए आखिरी सांस तक संघर्ष करूंगा। पढ़िए…

आगे बढ़ने से पहले यह जानिए…

भास्कर: आप पर लगे आरोपों पर क्या कहेंगे? कुलकर्णी: मुकदमे में 16 लोगों को चार्जशीट किया था। 14 को गिरफ्तार किया गया। 31 जुलाई 2025 को एक जजमेंट पारित हुआ। उसमें सभी आरोपियों ने कहा कि हमें झूठे नाम से गैरकानूनी तरीके से अरेस्ट किया है। इसे तत्कालीन एटीएस के अधिकारियों ने भी दोहराया कि उन पर प्रेशर बनाया था कि केस में कुछ हिंदुओं को गलत तरीके से फंसाया जाए। एविडेंस फेब्रिकेट किए गए। गवाहों और ऑन ड्यूटी कर्नल ने कहा कि कनपटी पर बंदूक रखकर उनसे स्टेटमेंट लिखवाए गए।

जो कांग्रेस का षड्यंत्र था, वो उजागर हो चुका है। 31 जुलाई को 1036 पन्नों का जजमेंट पारित हुआ। उसमें लिखा है कि विस्फोट कहां पर हुआ, पुलिस ये साबित नहीं कर पाई।

व्हीकल के ऊपर विस्फोट हुआ, ये भी साबित नहीं कर पाई। साध्वी प्रज्ञा सिंह की वह गाड़ी थी ये भी साबित नहीं हो पाया। एक झूठी कॉन्सिपरेसी गढ़ी गई।

25 अक्टूबर 2008 को मध्य प्रदेश पुलिस का एक अधिकारी धर्मवीर सिंह यादव और मुंबई पुलिस के अधिकारियों ने मुझे यहां रेलवे स्टेशन से गैरकानूनी तरीके से अरेस्ट किया। जबकि कोई न्यायालय का आदेश नहीं था। संग्राम सिंह के झूठे नाम से मुझे यहां से उठा ले गए।

इस खबर को यहां के तत्कालीन एक पत्रकार ने ब्रेक कर दिया, इसलिए मैं जिंदा हूं। नहीं तो, मेरा भी दिलीप पाटीदार, रामजी कलसांगरा, संदीप डांगी जैसा हश्र कर देते। आज तक उनकी डेड बॉडी भी नहीं मिली है।

17 साल के बाद स्पेशल एनआइए कोर्ट से मैं निर्दोष साबित हुआ। अब उस समय के निष्पक्ष पत्रकारों का आभार व्यक्त करने भोपाल आया हूं। उनकी वजह से मुझे पुनर्जन्म मिला है। मैं खुशी बांटने के लिए आया हूं।

कुलकर्णी: साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और मैं ब्रह्मचारी थे। मेरी बुजुर्ग मां को सुनाई नहीं देता। उनको 9 साल तक घर में नहीं रहने दिया। दूसरे आरोपियों के परिवार वालों को भी हैवी टॉर्चर किया गया। उनके छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा। हम आपको बता नहीं सकते कि हमने कितनी विपरीत परिस्थितियों में अपना जीवन जिया।

कारागृह के अंदर हमारे पास 50 पैसे नहीं थे। दो कपड़ों में रहे। मैं विश्व का एकमात्र व्यक्ति हूं जिसे झूठे मुकदमे में लटकाया। मेरे ऊपर फांसी का आरोप था।

हम 45 दिन तक तक सूरज नहीं देखते थे। हवा नहीं लगती थी। 365 दिन एक ही टेस्ट का खाना खाते थे। तब भी मैंने 27 बार ब्लड डोनेशन किया।

मैंने पहले दिन से कोई वकील नहीं किया। नार्को, पॉलीग्राफ, ब्रेन मैपिंग टेस्ट सभी आरोपियों ने दिया क्योंकि हम सभी लोग निर्दोष थे।

कांग्रेस ने इतनी घटिया राजनीति की है कि किसी भी राष्ट्रभक्त और धर्मनिष्ठ व्यक्ति को उसे वोट नहीं देना चाहिए। क्योंकि उनका मुस्लिम तुष्टिकरण, देश विरोधी, राष्ट्रद्रोही आचरण फिर से नहीं चल सके।

शरद पवार, दिग्विजय सिंह, सुशील शिंदे, शकील अहमद, अहमद पटेल, चिदंबरम, शिवराज पाटिल, सोनिया गांधी, राहुल गांधी ने बहुसंख्यक हिंदू समाज के वोट से सत्ता का लाभ लिया, लेकिन उन्होंने उन्हीं हिंदू समाज के साथ विश्वासघात किया। अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के साथ भी धोखा किया।

मैं इसीलिए कहता हूं कि जब-जब राष्ट्रभक्त, धर्मनिष्ठ राजकीय नेतृत्व होगा तब-तब भारतीय नागरिक के जीवन में कभी ऐसे दिन नहीं आएंगे। जैसा मेरे परिवार के नसीब में आए हैं।

कुलकर्णी: मैं मानता हूं कि 7 नवंबर 2006 का मालेगांव विस्फोट रोकने में महाराष्ट्र पुलिस नाकाम रही। मालेगांव 2008 का भी बम विस्फोट रोकने में नाकामयाब रहे। यह सही है कि लोगों की जान तो गई थी। 1036 पन्नों के जजमेंट में लिखा है कि बम विस्फोट हुआ है। लेकिन, कहां हुआ अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर पाया।

व्हीकल में विस्फोट हुआ, यह भी साबित नहीं हो पाया। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की गाड़ी थी ये भी साबित नहीं हुआ।

मालेगांव के भीखू चौक पर शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के पास यह धमाका हुआ था, वहां सिमी का दफ्तर था।

धमाके के बाद 15 हजार अल्पसंख्यकों ने पुलिस पर हमला कर दिया। एक पुलिसवाले का कान काट लिया। पुलिस के हथियार छीन लिए। एक पुलिस वाले को मरा समझकर गटर में डाल दिया। उस भीड़ को कंट्रोल करने के लिए 58 राउंड फायर किए गए। ये सब एविडेंस में आया।

दूसरे दिन जब तत्कालीन गृह मंत्री आरआर पाटिल और छगन भुजबल स्पॉट पर गए तो वहां का मुस्लिम लीडर कहता है कि पुलिस फायरिंग में 4 जान चली गई। विस्फोट के बाद किसी के पैर के अंदर गोली मिली थी, तो गोली से बम विस्फोट तो नहीं हुआ? ये हमने नहीं वहां के तत्कालीन मुस्लिम लीडर्स ने कहा था।

आज इसकी ऑरिजिनल FIR, 161 के स्टेटमेंट, एफिडेविट्स गायब हैं। बहुत सारा रिकॉर्ड गायब है। ये सवाल शरद पवार, शिवराज पाटिल, दिग्विजय सिंह, राहुल गांधी, सोनिया गांधी से पूछना चाहिए।

मध्यप्रदेश के दिलीप पाटीदार, संदीप डांगी, रामजी कलसांगरा कहां चले गए। क्यों कसाब को हिंदू आई कार्ड लाने की जरूरत पड़ी?

क्यों कसाब ने हाथ में कलावा बांधा। अगर कसाब जिंदा होता तो हम सोच नहीं सकते थे कि हिंदू समाज किस घटिया राजनीति के शिकार बनते।

कुलकर्णी: स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने अपने जीवन में ही अभिनव भारत संगठन को समाप्त कर दिया था। अब इस नाम के कई संस्था और संगठन प्रतिष्ठान हैं। मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि विश्व पटल पर किसी भी देश ने किसी भी हिंदू संगठन को बैन नहीं किया है।

अभिनव भारत ट्रस्ट नाम का पूना में एक रजिस्टर्ड संगठन है। उसके अधिकांश ट्रस्टी गवाह बने। उन्होंने भगवान की कसम खाकर विशेष एनआईए अदालत में अपने साक्ष्य रिकॉर्ड कराए। उन्होंने कहा हम किसी भी आरोपी को नहीं जानते हैं। इनमें हमारा कोई सदस्य नहीं है। अभिनव भारत ट्रस्ट से कोई जुड़ा हुआ था यह भी अभियोजन पक्ष कुछ साबित नहीं कर पाया।

कुलकर्णी: हजार के ज्यादा लोगों को उठाकर ले गए थे। परम वीर सिंह (जांचकर्ता अधिकारी) ने पैसे वालों को छोड़ दिया। जो डर गए उनको गवाह बनाया। हम केवल कांग्रेस का विरोध करते थे, धर्मपरायण हिंदू कर्तव्य निभाते थे इसलिए चुन-चुनकर उठाया गया।

हमसे तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक जीवन जीने वाले नेतृत्व का नाम लेने का कहा गया। कहा कि बाद में कोर्ट में मुकर जाना और अपने परिवार के साथ जिंदगी जीना। लेकिन, वो हमारे लिए जिंदा भगवान थे, ऋषि तुल्य अनुकरणीय जीवन जीने वाले व्यक्ति थे। मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ प्रवीण तोगड़िया, श्रीश्री रविशंकर के नाम हमने कतई नहीं लिए। हमने कहा कि नाम लेना होगा तो तुम्हारे बाप का लेंगे। लेकिन, ऐसे निस्वार्थ देशभक्त लोगों के नाम कतई नहीं लेंगे। इसलिए हमको आरोपी बनाया है।

कुलकर्णी: मुझे पूरा विश्वास था कि देश में न्यायपालिका स्वायत्त है। मैंने पहले दिन से वकील नहीं किया। मैं निर्दोष था। अपना देश है अपनी जांच एजेंसी हैं इसलिए पहले ही दिन से सहयोग किया। पहले ही दिन नार्को, ब्रेन मैपिंग, पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए नो ऑब्जेक्शन दिया। टेस्ट में सभी आरोपियों ने सहयोग किया।

आरोपियों को पकड़ने के बाद उनके नाम से झूठी कहानी गढ़ी गई। भोपाल महानगर के श्री राम मंदिर में गर्भग्रह के ऊपर पहली मंजिल ही नहीं हैं, सीधा कलश है। लेकिन, झूठा केस बनाया गया।

भोपाल के जो लोग किसी न किसी कार्यक्रम में मिले थे उन्हें भी प्रताड़ित किया था। यहां के प्रचार-प्रसार माध्यमों की वजह से कोई केस में नहीं गवाह बना। इसका श्रेय मैं यहां की मीडिया को देता हूं।

कुलकर्णी: हम सामाजिक जीवन जीते थे। यहां अनशन करते थे तो उनसे परिचित था। उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए था। यह मुंबई पुलिस का ये ज्युडिक्शन नहीं था। यहां के मजिस्ट्रेट से मेरा ट्रांजिट रिमांड लेना चाहिए था। उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे साधारण पुलिसकर्मी और आम सिपाही नहीं थे, बडे़ अधिकारी थे।

कोई ऑफिशियल डॉक्यूमेंट्स मुंबई पुलिस के पास नहीं थे। यहां के प्रचार-प्रसार माध्यम, ईमानदार पुलिस वाले, मीडिया के संपर्क की वजह से मेरा जीवन बचा।

जिसने मध्य प्रदेश पुलिस की वर्दी का नाम बदनाम किया उनके खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट में मेरी याचिका लंबित है। मैं आखिरी सांसों तक संघर्ष करूंगा। मेरे जीवन के 17 साल बर्बाद किए। इनको सजा दिलाने के लिए आखिरी सांस तक प्रयास रहेगा।

कुलकर्णी: साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक संन्यासी थीं। मैं ऐसा मानता हूं कि वह राजनीतिक नहीं थीं। भाजपा ने दिग्विजय सिंह और कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए और हिंदू कभी भी आतंकवादी नहीं होता है ये दुनिया को मैसेज देने के लिए उनको टिकट दिया था।

उस चुनाव में भोपाल के लोगों ने राष्ट्रभक्तों धर्मनिष्ठों ने सवा तीन लाख वोटों से दिग्विजय सिंह को सबक सिखाया।

मैंने भी सुशील कुमार शिंदे के खिलाफ 2019 में चुनाव में प्रचार किया था। वहां के हिंदुओं से आह्वान किया कि आने वाली हिंदुओं की पीढ़ियां बर्बाद न हो तो आप इन जैसे धर्मद्रोहियों को वोट न दें। हमने सुशील कुमार शिंदे को हराया।

कुलकर्णी: हमने देखा है कि उनको कितना हैवी टॉर्चर किया गया। आज भी वो अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पातीं हैं। एक उदाहरण गलत है लेकिन यह वास्तविकता है कि हमारे इंडियन एयर फोर्स के अभिनंदन ने पाकिस्तान का एयर क्राफ्ट गिराया था। हमारे शत्रु देश में उन्हें पाकिस्तान आर्मी ने पकड़ा था उनको भी टॉर्चर किया था लेकिन, हम सबने देखा वो अपने पैरों के ऊपर चलकर आए थे।

लेकिन, आज भी हमारी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर अपने पैरों पर चल नहीं पातीं हैं। यह कानून के रखवाली करने का कौन सा तरीका था। पुलिस वाले अपनी भारतीय नागरिक के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं। आज वो फिजिकल अनफिट हैं। वो राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं।

इस मुकदमे से जुडे़ सभी आरोपी निस्वार्थ भाव से सामाजिक जीवन जीने वाले हैं। उनकी कोई राजकीय अभिलाषा नहीं हैं। बचे हुए जीवन में कोई भी राजकीय नेतृत्व नहीं करेगा। लेकिन, आखिरी सांस तक जहां-जहां कांग्रेस की सरकारें हैं उनको गिराने के लिए और कांग्रेस को हिंदू समाज वोट न दे, उसके लिए हम अपना जीवन का हर पल बिताएंगे।

कुलकर्णी: 17 वर्षों में बहुत सारी दुनिया बदल गई है। इस मुकदमे के पीड़ितों को तो सरकार ने मुआवजा दिया है। अभी किसी ने 17 साल बाद मुझे यह कपड़ा (अपना कुर्ता दिखाते हुए) दिया है। लेकिन, मेरी 53 की उम्र है। दोनों घुटने चले गए। किसी ने इलाज के लिए व्यवस्था की है। मुझे इस समाज पर भरोसा है। मेरा बचा हुआ जीवन स्वाभिमान के साथ जीऊंगा।

भास्कर: आप भावुक हो रहे हैं? कुलकर्णी: जाकिर नाइक के लिए 50 देश हैं, लेकिन हम हिंदू कहां जाएंगे? ये समाज की सहृदयता है। मैं किसी को नहीं जानता। मेरी कोई उपयोगिता नहीं हैं। लोगों में राष्ट्र भक्ति का जो भाव है उसी के आधार पर भोपाल के लोगों ने मेरा स्वागत किया है इसीलिए मैं भावुक हो गया। मैं इसी बात के लिए चिंतित था कि जब हम छूटेंगे तो समाज हमारे साथ कैसा व्यवहार करेगा। लेकिन, भोपाल वासियों ने बड़ी सहृदयता का परिचय दिया है।

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मालेगांव ब्लास्ट- पूर्व सांसद, लेफ्टिनेंट कर्नल समेत सातों आरोपी बरी

मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद फैसला आया। ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत हुई थी।

महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA स्पेशल कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा समेत सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी शामिल थे। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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