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‘नौकरियों में SC-ST कोटे को दरकिनार किया जा रहा’, सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर लगाया…

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मंगलवार  (26 अगस्त, 2025) को आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार राज्य में आदिवासी समुदाय की लगातार उपेक्षा कर रही है.

सुवेंदु अधिकारी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य में आदिवासी समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में उनके संविधान प्रदत्त आरक्षण से वंचित किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार स्थायी पदों को समाप्त कर अनुबंध आधारित नौकरियों को प्राथमिकता दे रही है.

उन्होंने खाद्य विभाग द्वारा 15,000 रुपये मासिक वेतन वाले संविदा कर्मचारियों की भर्ती किए जाने का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि इसमें किसी आरक्षण पर विचार नहीं किया जा रहा है और इस प्रकार आदिवासियों के लिए निर्धारित छह प्रतिशत और अनुसूचित जातियों के लिए निर्धारित 22 प्रतिशत कोटा को दरकिनार किया जा रहा है.

अधिकारी ने कहा, ‘केंद्र सरकार के दिशानिर्देश और आयोग की सिफारिशें स्पष्ट रूप से कहती हैं कि आरक्षण केवल स्थाई पदों तक सीमित नहीं है, बल्कि आकस्मिक, अनुबंध, अंशकालिक और पदोन्नति में भी लागू होता है. मैं राज्यपाल को पत्र लिखूंगा और अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रतिनिधियों के साथ मिलकर कानूनी कार्रवाई करूंगा.’

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले सालों में हजारों पदों पर नियुक्तियों के दौरान आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया और राज्य सरकार की ओर से बड़ी संख्या में फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं.

सुवेंदु अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि 15 अगस्त को मेदिनीपुर में एक फुटबॉल मैच के दौरान एक आदिवासी शिक्षक और फुटबॉल रेफरी को तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने कथित रूप से लात मारी. उन्होंने कहा कि विरोध के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया लेकिन वह 48 घंटे के भीतर जमानत पर रिहा हो गया.

उन्होंने बिरसा मुंडा और सिद्धू मुर्मू जैसे आदिवासी नेताओं के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को रेखांकित किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आदिवासियों के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने की नीति की सराहना की. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के चुनाव को इसका उदाहरण बताया और कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने उनके नामांकन का विरोध किया था.

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