new law banning online gaming will provide protection to middle class families

संसद का मानसून सत्र वैसे तो विपक्षी दलों के हंगामे की बारिश में बह गया किंतु केंद्र सरकार ने इसमें भी जनता के हितों की सुरक्षा करते हुए कई महत्वपूर्ण विधायी कार्यों को निपटाया और जनमहत्व के कई क्रांतिकारी विधेयक पारित करवाने में सफलता प्राप्त की। यदि विपक्ष इन विधेयकों को पारित करवाने में सरकार के साथ सहयोग करता और सदन में बहस होती तो यह विधेयक और भी अधिक लाभकारी बनाए जा सकते थे किंतु विपक्ष ने बहस में भाग न लेकर यह अवसर गँवा दिया।
केंद्र सरकार ने मध्यमवर्गीय परिवारों को आर्थिक नुकसान, युवाओं को ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने तथा नुकसान होने पर आत्महत्या करने व अपराध जगत में जाने से बचाने के लिए ”प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ आनलाइन गेमिंग बिल- 2025” को संसद के दोनों सदनों से पारित करवा लिया। अब इस बिल को राष्ट्रपति की भी अनुमति मिल गई है। इस बिल के पारित होने के बाद से ही अनेक कंपनियों ने ऑनलाइन मनी गेम्स एप बंद करने प्रारंभ कर दिए।
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नए कानून में आनलाइन मनी गेमिंग की सुविधाएं देने वालों पर तीन साल तक की कैद और एक करोड़ रुपए के जुर्माने तक का प्रावधान है। ऐसे प्लेटफार्म का विज्ञापन या प्रचार करने पर भी दो साल तक की सजा और 50 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। अब सरकार का फोकस रियल मनी आनलाइन गेम पर रोक लगाने की रहेगी। विधेयक के अनुसार एक नियामक प्राधिकरण बनाने पर भी काम चल रहा है जो आनलाइन गेमिंग क्षेत्र की देखरेख करेगा। कानून का असर उसके बन जाने के पूर्व से ही दिखने लगा क्योकि इसमें 25 करोड़ से अधिक यूजर्स वाली गेमिंग कंपनी जिसमे विंजी भी शामिल है ने अपना आधिकारिक बयान जारी कर अपनी सेवाओं को वापस लेने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही ड्रीम-11, रमी सर्कल जैसी प्रमुख कंपनियों ने भी अपने गेम्स को हटाना प्रारंभ कर दिया है। एमपीएल और जुपी ने भी अपना कारोबार समेट लिया है।
भारत में आनलाइन गेमिंग बड़ा कारोबार बन चुका है इसमें लगभग 400 कंपनियां काम कर रही थीं और लगभग दो लाख युवा काम कर रहे थे । कंपनियों में 25 हजार करोड़ का निवेश था जिसमें एफडीआई भी शामिल था। सरकार ने आनलाइन गेमिंग एप पर प्रतिबंध लगाकर अपनी आमदनी का भी नुकसान किया है क्योंकि यह कंपनियां जीएसटी में भी 20 हजार करोड़ का योगदान कर रही थीं। वर्तमान समय में भारत में 1800 गेमिंग स्टार्टअप्स चल रहे थे। सरकार ने अपना मुनाफा त्यागकर मध्यमवर्गीय परिवार के जो लोग हर वर्ष आनलाइन गेमिंग एप्स के चक्कर में पड़कर 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक गंवा देते थे उनका धन बचाने के लिए यह कानून पारित करवाया है। आनलाइन गेमिंग से हर साल 45 करोड़ लोगों को नुकसान होता है।
सरकार को इस बात की पूरी जानकारी थी कि आनलाइन गेमिंग एप्स पर प्रतिबंध लगाने से उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है और उद्योग समूहों ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा भी था कि अगर प्रतिबंध लागू हुए तो बड़े पैमाने पर नुकसान होगा तब भी सरकार ने आम जनता और समाज को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए यह कड़ा कदम उठाया। सरकार को यह भी पता है कि इस खेल में बहुत बड़े -बड़े लोग शामिल हैं । उद्योगपति से लेकर खेलों की दुनिया के महारथियों से लेकर शेयर बाजार की उठापटक करवाने वालों से लेकर राजनीति में उथल -पुथल करवाने वाले लोग भी इस खेल में शामिल हैं फिर भी सरकार ने इस खेल को प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार को पता है कि इसमें शामिल बहुत से लोग कोर्ट चले जाएंगे तब भी सरकार युवाओं के भविष्य को बचाने के लिए संकल्बद्ध व अडिग है। कानून को कोर्ट में चुनौती के लिए भी सरकार ने तैयारी कर ली है।
विश्व भर की आनलाइन गेमिंग कंपनियों की नजर भारत पर है क्योंकि भारत विश्व का सातवां सबसे बड़ा गेमिंग बाजार है। जैसे ही यह कानून पारित होने की खबर सामने आई वैसे ही ऑनलइान गेमिंग एप्स की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। सदन में बिल पारित होते समय केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऑनलाइन मनी गेमिंग को विकार घोषित किया है। उन्होंने कहा कि रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण आईसीडी -11 ने इसे गेमिंग विकार घोषित किया है। आनलाइन मनी गेमिंग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है ।इसके कारण लोग मनोवैज्ञानिक विकारों और जुनूनी व हिंसक व्यवहार के शिकार हो रहे हैं। यही नहीं आनलाइन गेमिंग के कारण भारत की परिवार संस्कृति पर भी गहरी चोट पहुंच रही है। घरों में बुजुर्गों से लेकर छोटे- छोटे बच्चे तक आनलाइन गेमिंग की लत के ऐसे शिकार हो गये हैं कि उनमें एक -दूसरे को पहचानना व बात करना तक बंद हो गया है, बात होती है तो केवल टास्क पर होती है कौन हारा -कौन जीता पर होती है।
आनलाइन गेमिंग एक महत्वपूर्ण विषय हे जो डिजिटल दुनिया में व्यापक पैमाने पर उभर रहा है। इसके तीन सेगमेंट हैं जिसमें पहला ई स्पोटर्स है जिसमें टीम बनाकर खेलते हैं, मंथन होता है इसमें हमारे खिलाड़ियों ने पदक भी जीते हैं। इस विधेयक में उसे प्रोत्साहित किया जाएगा। दूसरा सेगमेंट आनलाइन सोशल गेम्स हैं जैसे सोलिटेयर, सुडोकू ,शतरंज आदि उन्हें भी बढ़ावा दिया जाएगा। तीसरा है आनलाइन मनी गेम्स जो चिंता का विषय हैं । इसकी एल्गोरिदम अस्पष्ट है, कभी -कभी यह जानना भी मुश्किल होता है कि आप किसके साथ खेल रहे हैं।
आनलाइन मनी गेमिंग एप्स पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून लंबे विचार विमर्श के बाद संसद से पारित कराया गया है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों का प्रतिफल है कि यह आज कानून बन गया है। कानून बनाते समय प्रधानमंत्री मोदी उन परिवारों की भावुक अपीलों से भी प्रेरित हुए जिन्होंने आनलाइन मनी गेम्स में अपने लोगों को खोया। ई -स्पोर्ट्स का सपना देखने वाले युवाओं की कहानियों के सथ कर्ज, लत और निराशा की सत्यता भी जुड़ी थी। इसी मुद्दे पर वित्त, खेल और आईअी मंत्रालय ने मिलकर एक खाका तैयार किया और प्रधानमंत्री मोदी से चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस विषय पर काम कर रहे युवा विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा की तब जाकर यह ऐतिहासिक कानून पारित हुआ है।
बड़ी मानवीय त्रासदी – आनलाइन गेमिंग एक बड़ी मानवीय त्रासदी सिद्ध हुई है जिसमें कर्नाटक में 3 साल में ही 18 लोगों ने आत्महत्या कर ली। मैसूर में 80 लाख हारने के बाद एक परिवार ने आत्महत्या कर ली। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी आत्महत्या व हत्या के अनेक समाचार प्रकाशित हुए जिसका कारण आनलाइन गेमिंग रहा।आनलाइन गेमिंग के माध्यम से ठगों का एक बहुत बड़ा साम्राज्य भी अपना काम कर रहा था जो अब पकड़ में आ रहा है।
विधेयक पारित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ”द प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ आनलाइन गेमिंग बिल 2025 भारत को गेमिंग नवाचार और रचनात्मकता का केंद्र बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह ई-र्स्पोट्स और आनलाइन सोशल गेम्स को प्रोत्साहित करेगा।साथ ही यह हमारे समाज को आनलाइन मनी गेम्स के हानिकारक प्रभावों से भी बचाएगा।”
– मृत्युंजय दीक्षित
(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)