PM-CM को हटाने वाले बिल की बात, फिर लालू यादव और राहुल गांधी को बीच में लाए अमित शाह, कहा-…

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नैतिक रुख पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या लगातार तीन चुनाव हारने के बाद उनका नैतिक रुख बदल गया है. अमित शाह ने 2013 की उस घटना का जिक्र किया जब राहुल गांधी ने लालू प्रसाद यादव को राहत देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए अध्यादेश को ‘फाड़’ दिया था. शाह ने इसकी तुलना प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और कैबिनेट मंत्रियों को 30 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद पद से हटाए जाने के बिल पर राहुल गांधी के विरोध से की.
एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी 130वें संशोधन विधेयक का खुलकर विरोध कर रही है. जब यूपीए सरकार सत्ता में थी, तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और लालू प्रसाद यादव मंत्री थे. लालू प्रसाद को दोषी ठहराया गया था. मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी. राहुल गांधी ने उसे पूरी तरह बकवास बताते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक रूप से इस अध्यादेश को फाड़ दिया था और देश की कैबिनेट और प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए फ़ैसले पर उनके पार्टी के प्रधानमंत्री द्वारा नैतिक आधार पर लिए गए फ़ैसले का मज़ाक उड़ाया था और मनमोहन सिंह पूरी दुनिया के सामने एक शर्मनाक व्यक्ति बन गए थे. आज वही राहुल गांधी बिहार में सरकार बनाने के लिए लालू प्रसाद को गले लगा रहे हैं. क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है?’
बिल पर क्या बोले अमित शाह?
अमित शाह ने कहा, ‘आज इस देश में एनडीए के मुख्यमंत्रियों की संख्या ज्यादा है. प्रधानमंत्री भी एनडीए से हैं. इसलिए यह विधेयक सिर्फ विपक्ष के लिए ही सवाल नहीं उठाता. यह हमारे मुख्यमंत्रियों के लिए भी सवाल उठाता है. इसमें 30 दिन की जमानत का प्रावधान है. अगर यह फर्जी किस्म का मामला है, तो देश का हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आंख बंद करके नहीं बैठा है. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में जमानत देने का अधिकार है. अगर जमानत नहीं मिलती है तो आपको पद छोड़ना होगा. मैं देश की जनता और विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि क्या कोई मुख्यमंत्री, कोई प्रधानमंत्री या कोई मंत्री जेल से अपनी सरकार चला सकता है? क्या यह देश के लोकतंत्र के लिए उचित है.’
राहुल गांधी के विरोध के बाद वापस लिया गया था बिल
बता दें कि चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के दोषी ठहराए जाने के बाद मनमोहन सिंह सरकार एक बिल लाई थी, जिसमें सांसदों और विधायकों को पर पर रहने के लिए तीन महीने की मोहलत दी थी. इस बिल ने दोषी सांसदों और विधायकों की अयोग्यता संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रभावी रूप से नकार दिया था. जब राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से बिल का विरोध जताया और बिल की कॉपी फाड़ दी तो बाद में इसे वापस ले लिया गया था.