राष्ट्रीय

एक साल के बच्चे की कर दी हत्या, कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदली दोषी दंपति की मौत की सजा

कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक साल के बच्चे की हत्या के मामले में उसके माता-पिता की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है. दोषी आंध्र प्रदेश के दंपति को सुनाई गई मौत की सजा को बिना किसी छूट के कोर्ट ने कम से कम 40 साल के लिए आजीवन कारावास में बदल दिया है. दंपति को इस बात के लिए दोषी ठहराया गया है कि वह बच्चे के साथ मारपीट करते थे और एक दिन बुखार में उसको जो दवा दी उससे बच्चे की मौत हो गई.

कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता एस.के. हसीना सुल्ताना और एस.के. वन्नूर शा की ओर से पश्चिम बंगाल के हावड़ा स्थित अदालत के क्षेत्राधिकार के संबंध में उठाई गई आपत्तियां निराधार हैं. कोर्ट ने माना कि यह दुर्लभतम मामला नहीं है. बेंच ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचने की स्थिति में नहीं हैं कि मृत्युदंड के अलावा कोई भी अन्य सजा अपर्याप्त होगी.

जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बार रशीदी की बेंच ने कहा, ‘इस मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, हम अपीलकर्ताओं को दी गई मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के पक्ष में हैं.’ बेंच ने कहा कि अपीलकर्ताओं की आयु और अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, आजीवन कारावास का अर्थ होगा उनकी गिरफ्तारी की तारीख से 40 साल तक बिना किसी छूट के आजीवन कारावास.

कोर्ट को बताया गया कि अपीलकर्ताओं ने तेलंगाना के सिकंदराबाद में बच्चे की हत्या कर दी और शव को एक बैग में पैक करके जनवरी 2016 में हावड़ा जाने वाली फलकनुमा एक्सप्रेस में रख दिया. पुलिस ने 24 जनवरी 2016 को हावड़ा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से बच्चे के शव से भरा बैग बरामद किया गया, जिस पर चोट के निशान थे. इस घटना के संबंध में हत्या का मामला दर्ज किया गया.

हावड़ा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 27 फरवरी, 2024 को दपंति को दोषी ठहराया था. हाईकोर्ट ने निचली अदालत ने भी दोषसिद्धि को कायम रखा. बेंच ने कहा, ‘माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने विभिन्न निर्णयों में यह निर्धारित किया है कि मृत्युदंड का सहारा असाधारण परिस्थितियों में ही लिया जाना चाहिए, जहां सजा सुनाने वाली अदालत यह निष्कर्ष निकाल सके कि मामला अत्यंत दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में आता है और दोषी के सुधार की संभावना समाप्त हो गई है.’

कोर्ट को बताया गया कि 22 दिसंबर, 2015 को हसीना घर से लापता हो गई थी, जिसके बाद उसकी मां ने शिकायत दर्ज करवाई और आंध्र प्रदेश के तेनाली-1 टाउन पुलिस स्टेशन से हसीना और उसके बच्चे के नाम पर एक लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया. बाद में, पश्चिम बंगाल पुलिस के जांच अधिकारी ने हसीना को उसकी मां के घर से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ करने पर उसने खुलासा किया कि उसने वन्नूर शा से शादी कर ली है और हैदराबाद में किराए के मकान में उसके साथ रहती है.

अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत में बताया कि बच्चा हसीना और एक अन्य व्यक्ति के बीच विवाहेतर संबंध से पैदा हुआ था, लेकिन उस रिश्ते में खटास आने के बाद, वह अपनी मां के साथ रह रही थी. यह दावा किया गया कि हसीना ने यह भी खुलासा किया कि बच्चा रोता था, जिस पर हैदराबाद में उनके मकान मालिक विरोध करते थे.

अभियोजन पक्ष ने कहा कि इसी कारण से, दोनों अपीलकर्ता बच्चे को पीटते थे. उन्होंने बताया कि एक दिन बच्चे को बुखार था, जिसके लिए उसे मारपीट के बाद कोई दवा दी गई थी. अभियोजन पक्ष ने कहा कि इस तरह की मारपीट और दवा देने के कारण बच्चे की मौत हो गई. इसके बाद, वन्नूर शा ने शव को एक बैग में पैक किया और उसे फलकनुमा एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे में छोड़ दिया, अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत में प्रस्तुत किया.

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