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Workshop on tackling climate change | जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्यशाला: किसानों को…

आईटीसी मिशन सुनहरा कल और एसआईआईआरडी के संयुक्त नेतृत्व में क्लाइमेट स्मार्ट विलेज कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

झालावाड़ में आईटीसी मिशन सुनहरा कल और एसआईआईआरडी के संयुक्त नेतृत्व में क्लाइमेट स्मार्ट विलेज कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में आयोजित इस कार्यशाला में जलवायु अनुकूल कृषि तकनीक और सीएसवी टूलकिट

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कार्यक्रम की शुरुआत कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कैलाश मीणा, मुख्य वैज्ञानिक डॉ. टीसी वर्मा समेत कई अधिकारियों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ की। आईटीसी लिमिटेड के कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य जलवायु प्रभावित क्षेत्रों में क्लाइमेट स्मार्ट कृषि तकनीकों को किसानों तक पहुंचाना है।

मुख्य वैज्ञानिक डॉ. वर्मा ने किसानों को फसल विविधिकरण और फेरोमोन ट्रैप जैसी प्राकृतिक कीट नियंत्रण तकनीकों को अपनाने की सलाह दी। संयुक्त निदेशक कैलाश मीणा ने रासायनिक खादों के बढ़ते उपयोग पर चिंता जताई। उन्होंने किसानों को पशुपालन और सोयाबीन की फसल में चौड़ी नाली पद्धति अपनाने का सुझाव दिया। डॉ. यूनुस खान ने बदलते माइक्रो क्लाइमेट के अनुसार बीज चयन की महत्ता बताई। डॉ. उमेश कुमार धाकड़ ने वर्मी कंपोस्ट के फायदे बताते हुए कहा कि यह रासायनिक खाद से बेहतर विकल्प है। उन्होंने बताया कि केंचुए से तैयार जैविक टॉनिक, रासायनिक टॉनिक से अधिक प्रभावी होता है।

उद्यान विभाग उप निदेशक रामप्रसाद मीणा ने किसानों को बागवानी और वानिकी अपनाकर अतिरिक्त आय के स्रोत विकसित करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला में 12 एफपीओ निदेशक, सदस्य, प्रगतिशील किसान और विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। सभी प्रतिभागियों ने सीएसवी प्रश्नावली भरकर कार्यक्रम की तकनीकी पहलुओं पर अपनी राय दी। कार्यशाला का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में जलवायु सहनशील तकनीकों को बढ़ावा देना, सरकारी योजनाओं की जानकारी साझा करना और किसानों की आय को टिकाऊ बनाना रहा।

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