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नई दिल्ली4 मिनट पहले

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भारत की डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन INS खंडेरी को DRDO 2026 तक एयर इंडिपेंटेंड प्रोपल्शन सिस्टम से लैस कर देगा।

भारत सरकार वायु सेना और नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए दो बड़ी डील करने के लिए तैयार हो गई है। पहली डील रक्षा मंत्रालय और मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड जर्मनी से 6 सबमरीन खरीदने वाली है। सरकार ने प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत भारत में बनने वाली इन पनडुब्बियों की खरीद बातचीत शुरू करने की मंजूरी दे दी है। यह डील 70 हजार करोड़ में हो सकती है।

दूसरी डील इजराइली रैम्पेज एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों की बड़ी खेप खरीदने वाली है। सूत्रों के अनुसार, यह ऑर्डर जल्द ही फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के तहत दिया जाएगा। रैम्पेज मिसाइलों का इस्तेमाल पाकिस्तान के मुरिदके और बहावलपुर स्थित आतंकवादियों मुख्यालयों पर सटीक हमलों में किया था।

मझगांव डॉकयार्ड में बनेंगी एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम वाल सबमरीन

रक्षा मंत्रालय ने जनवरी में जर्मन कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के साथ एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम वाली छह पनडुब्बियां बनाने के लिए मझगांव डॉकयार्ड को अपना साझेदार चुना था। रक्षा अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा है कि रक्षा मंत्रालय और एमडीएल के बीच इस महीने के आखिर तक यह प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।

रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना अगले छह महीने में कॉन्ट्रैक्ट पर चर्चा पूरी होने और फाइनल मंजूरी मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। रक्षा मंत्रालय का मकसद देश में पारंपरिक पनडुब्बियों के डिजाइन और मैनुफैक्चरिंग की स्वदेशी क्षमता विकसित करना है।

तीन हफ्ते तक पानी के भीतर रह सकेंगी एडवांस्ड सबमरीन

ट्रेडीशनल डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां पानी के नीचे ज्यादा देर तक नहीं रह सकतीं। उन्हें कुछ दिनों में सतह पर आकर बैटरी चार्ज करनी पड़ती है, क्योंकि बैटरी केवल लिमिटेड टाइम तक ही चलती है। सतह पर आने वे दुश्मन के रडार और सैटेलाइट की पकड़ में आसानी से आ सकती हैं। इसी समस्या को दूर करने के लिए एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम डेवलप किया गया।

AIP सिस्टम वाली सबमरीन 3 हफ्ते तक पानी के अंदर रह सकती हैं। भारत की स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बी (कलवरी क्लास) अभी डीजल-इलेक्ट्रिक हैं, लेकिन इन्हें DRDO के फ्यूल सेल बेस्ड AIP से लैस किया जाएगा।

AIP के प्रकार

  • स्टर्लिंग इंजन- स्वीडन, जापान: बंद कमरे में ऑक्सीजन और ईंधन (जैसे डीजल/ लिक्विड ऑक्सीजन) जलाकर ऊर्जा पैदा करते हैं। शांत और किफायती तकनीक है।
  • फ्यूल सेल AIP- जर्मनी और भारत: हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर बिजली पैदा करता है। काफी शांत और बिना वाइब्रेशन के, जिससे पनडुब्बी पकड़ में नहीं आती।
  • क्लोज्ड साइकल डीजल इंजन- फ्रांस : सामान्य डीजल इंजन लेकिन इसमें लिक्विड ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है।

नौसेना अगले 10 साल में 10 सबमरीन रिप्लेस कर सकती है

भारतीय नौसेना अगले दस साल में अपनी लगभग 10 पनडुब्बियों को हटा सकती है। इसी दौरान उनकी जगह नई पनडुब्बियां लाने की की जरूरत होगी, इसके लिए सारी कवायद तेजी से की जा रही है। इसलिए भारत सरकार ने परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह की कई पनडुब्बी परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

भारतीय इंडस्ट्री दो न्यूक्लियर अटैक सबमरीन बनाने पर भी काम रही हैं। इसमें सबमरीन बिल्डिंग सेंटर के साथ प्राइवेट सेक्टर की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो की भूमिका अहम होगी।

ऑपरेशन सिंदूर ने बढ़ाया इजराइली रेम्पेज मिसाइल का रुतबा

ऑपरेशन सिंदूर में मिली सफलता के बाद इजराइली रैम्पेज एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों का रुतबा बढ़ गया है। इन मिसाइलों का इस्तेमाल पाकिस्तान के मुरीदके और बहावलपुर के आतंकवादियों ठिकानों पर हमले के लिए किया गया था। इसलिए भारतीय वायुसेना सभी बेड़ों को इससे लैस करने और बाकी प्लेटफॉर्म में एकीकरण की योजना पर भी विचार कर रही है।

एक नजर रेम्पेज मिसाइल की खासियत पर

4.7 मीटर लंबी रैम्पेज मिसाइल का वजन 570 किलो है। इसे हल्का और कॉम्पैक्ट बनाया है ताकि किसी भी फाइटर पर लगाया जा सके। सुपरसोनिक मिसाइल है। मैक 2–3 की स्पीड होने से इसे इंटरसेप्ट करना कठिन है। रेम्पेज मिसाइल की रेंज 150 से 250 किमी तक है। यह दुश्मन के कमांड सेंटर, एयरबेस, हथियार डिपो और रडार स्टेशनों जैसे हाई-वैल्यू टारगेट्स को सटीकता से नष्ट कर सकती है। इसे एफ-15,एफ-16, एफ-35 और भारत के सुखोई-30MKI जैसे जेट्स से लॉन्च किया जा सकता है।

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