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5 thousand food samples were taken in Udaipur division in 6 years, 35% failed, no one was…

खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाइयों के बावजूद मिलावटखोर बेखौफ हैं। क्योंकि, सैंपल फेल होने और अनसेफ निकलने के बावजूद इन पर सख्ती कार्रवाई नहीं होती। शहर में रक्षाबंधन से पहले विभाग की ओर से कई प्रतिष्ठानों से मिठाई-नमकीन-दूध आदि के सैंपल लिए गए थे। हा

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उदयपुर संभाग में बीते 6 साल 6 माह में जांचे गए कुल 4940 सैंपल में से 1744 फेल हो चुके हैं। यानी हर तीसरा नमूना मानक पर खरा नहीं उतरा। खास बात यह है कि इनमें से 340 नमूने अनसेफ पाए गए, लेकिन अब तक किसी वेंडर को जेल नहीं हुई। सभी मामले न्यायालय में अंडर ट्रायल हैं। विभाग ने अक्टूबर 2020 से जून 2025 तक करीब 1.5 करोड़ रुपए का जुर्माना जरूर वसूला है।

फूड सैफ्टी लैब प्रभारी डॉ रवि सेठी ने बताया कि जांचे गए 4940 नमूनों में से 312 मिस ब्रांड, 966 सब स्टेंडर्ड, 340 अनसेफ, 126 कंटेंनिंग एक्स्ट्रान्यूअस सामने आए हैं। खास बात ये है कि दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे पनीर, मावा, दही और घी के नमूने सब स्टैंडर्ड निकले हैं। सेठी के अनुसार, उदयपुर संभाग के 808 व 512 नमूनों में पेस्टीसाइड मिला है, जबकि 701 मामले मेटल मिलावट के भी मिले हैं।

हर बार त्योहार बीतने के बाद आती है रिपोर्ट, सभी केस कोर्ट में

फूड सेफ्टी टीम जब कोई सैंपल लेती है तो उसे 4 हिस्सों में बांटती है। एक हिस्सा स्थानीय पब्लिक हेल्थ लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। तीन हिस्से विभाग अपने पास रखता है। यदि वेंडर चाहे तो 10 हजार रुपए शुल्क देकर एनएबीएल लैब (जयपुर, पुणे, मैसूर, कोलकाता, गाजियाबाद) में पुनर्जांच करवा सकता है।

जो नमूने चार हिस्सों में बांटे जाते है, इससे अलग एक अन्य नमूना लिया जाता है, जिसे नोन एक्ट बोला जाता है। इन पर कार्रवाई नहीं होती। 2019 से जून 2025 तक नॉन एक्ट में 4685 नमूने जांचे गए, जिनमें से 1065 फेल हुए। फेल नमूनों में 54 मिस ब्रांड, 726 सब स्टेंडर्ड, 268 अनसेफ, 17 कंटेंनिंग एक्स्ट्रान्यूअस के सामने आए हैं।

सीएमएचओ डॉ. अशोक आदित्य का कहना है कि हमारी ओर से प्रकरण तैयार कर कोर्ट में पहुंचाया जाता है, कई बार एक कोर्ट में फैसला सुनाने या सजा देने के बाद वेंडर आगे की कोई में चला जाता है।

उदयपुर में अब तक लगा अधिकतम जुर्माना उदयपुर में बीते 10 साल में मल्टीनेशनल ब्रांड की आइसक्रीम के तीन नमूनों के फेल होने पर 4-4 लाख जुर्माना लगा था। इसके अलावा एक अन्य बड़े ब्रांड की सोहन पपड़ी में मिलावट पाए जाने पर चार लाख 95 हजार रुपए अधिकतम जुर्माना हुआ है। विभाग की मानें तो ये मामले फिलहाल कोर्ट में प्रक्रियाधीन हैं।

किस श्रेणी में कैसी सजा… प्रोडक्ट अनसेफ मिला तो आजीवन कारावास और 10 लाख तक जुर्माना

  • अनसेफ- सेहत के लिए हानिकारक या जानलेवा। आजीवन कारावास और 1-10 लाख जुर्माने के प्रावधान है।
  • मिस ब्रांड- पैकिंग, बैच नंबर, एक्सपायरी, लोगो, सामग्री की जानकारी गायब होना या इससे जुड़ी गड़बड़ी मिलना। इस मामले में 3 लाख जुर्माना।
  • सब स्टैंडर्ड- तय मानकों से कम गुणवत्ता। इस पर 5 लाख जुर्माना।
  • कंटेनिंग एक्स्ट्रान्यूअस- अतिरिक्त मिलावट। इस केस में 1-2 लाख जुर्माना लगाया जा सकता है।

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