Assistant professor got job in Bayana college with fake handicapped certificate, SOG conducted…

राजस्थान में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से सरकारी नौकरियां पाने वालों पर एसओजी की सख्ती जारी है। इसी कड़ी में बयाना गवर्नमेंट कॉलेज में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर सवाई सिंह गुर्जर का मामला सामने आया है। तीन साल से अंग्रेजी पढ़ा रहे प्रोफेसर का दिव्यांग
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एसओजी ने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में मेडिकल जांच कराई, जहां सवाई सिंह को सिर्फ श्रवण दिव्यांग (बधिर) पाया गया। जबकि उन्होंने नौकरी के लिए जो सर्टिफिकेट लगाया था, उसमें ‘मूक-बधिर’ (मल्टीपल डिसेबिलिटी) लिखा हुआ था।
एसओजी ने 24 नामों की लिस्ट जारी की थी
सरकार के आदेश पर एसओजी ने दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी पाने वाले कर्मचारियों की जांच शुरू की थी। 29 जुलाई को एसएमएस में कई अभ्यर्थियों की जांच हुई। 6 अगस्त को एसओजी ने 24 फर्जी अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी की, जिसमें सवाई सिंह का नाम भी शामिल था।
मूल रूप से करौली जिले के हिंडौन सिटी निवासी सवाई सिंह को 2018 में करौली मेडिकल बोर्ड से ऑफलाइन हियरिंग डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जारी हुआ था। लेकिन जब यह ऑनलाइन अपलोड हुआ तो उसमें ‘डैफ एंड डम्ब म्यूट’ (मूक-बधिर) दर्ज हो गया। सवाई सिंह का कहना है कि उन्होंने नौकरी हियरिंग इम्पेयरमेंट (बधिर) कैटेगरी से ही हासिल की थी।
ऑनलाइन सर्टिफिकेट में हुई मल्टीपल डिसेबिलिटी की गलती पूरी तरह टेक्निकल एरर है, जानबूझकर नहीं की गई। उनका कहना है कि जांच में नाम फर्जी अभ्यर्थियों की सूची में शामिल कर अयोग्य बताना गलत है। स्वास्थ्य विभाग की गलती का खामियाजा अब उन्हें भुगतना पड़ रहा है।