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Rajasthan PRP and botox injection treatments without medical degree DB Exposed | राजस्थान में…

‘हाथ में खून से निकाले गए प्लाज्मा का इंजेक्शन थामे हुए युवती, सामने बैठी महिला की स्किन में चुभो रही है…अपनी इंस्टाग्राम रील में बोलती है- ‘मैं PRP ट्रीटमेंट करती हूं, 18 साल की उम्र से कर रही हूं।’

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राजस्थान में बिना किसी मेडिकल डिग्री के इंजेक्शनों से खूबसूरती बढ़ाने का खतरनाक खेल खेला जा रहा है। खुद को कॉस्मेटोलॉजिस्ट बताने वाली ऐसी कई ब्यूटीशियन PRP (Platelet-Rich Plasma) और बोटॉक्स के इंजेक्शन लगा रही हैं। ये ट्रीटमेंट केवल एक प्रोफेशनल डॉक्टर ही कर सकता है। जरा सी गलती जान ले सकती है। डॉक्टरों के पास ऐसी कई महिलाएं पहुंची हैं, जिनके चेहरे तक बिगड़ गए। बावजूद इसके जगह-जगह खुले ब्यूटी सैलून की आड़ में यह सब खुलेआम चल रहा है।

भास्कर रिपोर्टर ने जयपुर के एक ऐसे ही ब्यूटी क्लिनिक में जाकर इन्वेस्टिगेशन किया तो हिडन कैमरे में इनकी पूरी हकीकत सामने आई।

संडे बिग स्टोरी में पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर अपलोड वीडियो में युवती पीआरपी ट्रीटमेंट देती हुई नजर आ रही है।

क्लिनिक में हिडन कैमरे में बताई पूरी हकीकत

जयपुर के जवाहर नगर का ‘स्किनोवेशन’ क्लिनिक। ईशा चावला नाम की एक युवती यहां कई तरह के ब्यूटी ट्रीटमेंट का दावा करती है। अपनी इंंस्टाग्राम रील्स में ईशा खुद को ‘मेडिकल कॉस्मेटोलॉजिस्ट’ बताती है। महिलाओं का खून निकालती है। प्लेटलेट्स अलग कर इंजेक्शन के जरिए चेहरे में लगाकर PRP ट्रीटमेंट करती है।

भास्कर रिपोर्टर कस्टमर बनकर क्लिनिक पहुंची और चेहरे की झुर्रियां हटाने के लिए ट्रीटमेंट की सलाह मांगी। इस पर खुद को ‘कॉस्मेटोलॉजिस्ट’ बताने वाली महिला ने कहा- पीआरपी करवाना पड़ेगा। भास्कर ने उससे बातचीत को हिडन कैमरे में इसलिए रिकॉर्ड किया ताकि सच सामने आ सके। पढ़िए कैमरे में कैद बातचीत के कुछ अंश….

रिपोर्टर: आपको इंडस्ट्री में कितना समय हो गया है? युवती : 8 साल हो गए। मैं 18 साल की उम्र से यह कर रही हूं। अब तो अपनी एकेडमी भी खोल रही हूं, जहां ट्रेनिंग दूंगी।

ईशा चावला ने दावा किया कि वो इस ट्रीटमेंट के लिए अधिकृत हैं और पूरी पढ़ाई कर रखी है।

रिपोर्टर: इसमें क्या पढ़ाई करनी पड़ती है? कॉस्मेटोलॉजिस्ट: मैंने पूरा मेडिकल कॉस्मेटोलॉजी और एटॉमिक फिजियोलॉजी पढ़ा है। पूरी बॉडी, कितनी हड्डियां होती हैं सब। बस डॉक्टर नहीं होते हम। लेकिन मेरे पास डॉक्टर की टीम है। मेरी मौसी का हॉस्पिटल है, तो ऐसा नहीं है कि मैं बिना डॉक्टर के काम करती हूं।

रिपोर्टर: आपने PRP का जिक्र किया था, यह क्या होता है? कॉस्मेटोलॉजिस्ट : इसमें हम आपके खून का सैंपल लेते हैं। फिर उसका प्लाज्मा बनाते हैं। तब तक आपकी स्किन पर नम्बिंग क्रीम (एनेस्थीसिया क्रीम) लगाते हैं। करीब 20 मिनट क्रीम लगती है। 30 मिनट तक उसका असर रहता है। फिर 10-15 मिनट में इंजेक्शन के जरिए माइक्रो-निडलिंग करती हूं। थोड़ा दर्द होता है, लेकिन स्किन का टेक्स्चर बदल जाता है।

PRP ट्रीटमेंट के लिए ब्लड निकालकर उसके प्लाज्मा को स्किन में डाला जाता है। फोटो-AI

रिपोर्टर: कितनी बार यह सब करना पड़ता है? कॉस्मेटोलॉजिस्ट: शुरुआत में 6 महीने रेगुलर लेना होता है। फिर तीन-तीन महीने का गैप। बीच-बीच में बूस्टर शॉट भी होता है। बाद में 6 महीने में एक बार करवा सकते हैं।

रिपोर्टर : इसका चार्ज कितना है? कॉस्मेटोलॉजिस्ट : एक सेशन का लगभग ₹5000, टोटल पैकेज 35,000 तक पड़ता है।

रिपोर्टर : क्या इसके लिए कोई खास सावधानी है, जैसे खाली पेट आना पड़े? कॉस्मेटोलॉजिस्ट : नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है।

(कॉस्मेटोलॉजिस्ट रिपोर्टर को PRP करते हुए अपना वीडियो दिखाती है)

रिपोर्टर: यह PRP कौन करेगा, आप खुद? कॉस्मेटोलॉजिस्ट: हां, मैं ही करती हूं।

रिपोर्टर: बोटॉक्स क्या होता है? कॉस्मेटोलॉजिस्ट: आंखों के नीचे और माथे की लाइनें हटाने के लिए किया जाता है।

रिपोर्टर: बोटॉक्स भी आप करती हैं? कॉस्मेटोलॉजिस्ट: नहीं, बोटॉक्स के लिए मेरा डॉक्टर आता है… डॉ. पुनीत चौधरी। बाकी सारे ट्रीटमेंट मैं खुद करती हूं।

रिपोर्टर : लेकिन इंजेक्शन लगाना हर किसी के बस की बात नहीं। कॉस्मेटोलॉजिस्ट : इसके लिए मैं सर्टिफाइड हूं। मैंने बहुत पढ़ाई की है।

रिपोर्टर: आपके सर्टिफिकेट देख सकती हूं? कॉस्मेटोलॉजिस्ट: हां, यह फ्रांस का सर्टिफिकेट है।

रिपोर्टर: आपने फ्रांस से किया? कॉस्मेटोलॉजिस्ट: नहीं, दुबई से किया है, डिस्टेंस लर्निंग से।

भास्कर पड़ताल : ऑनलाइन निकला डिप्लोमा, राजस्थान में नहीं कर सकते PRP और बोटोक्स ट्रीटमेंट कॉस्मेटोलॉजिस्ट ने रिपोर्टर को जो सर्टिफिकेट दिखाया, वह दरअसल ‘CIDESCO डिप्लोमा’ था। CIDESCO (Comité International d’Esthétique et de Cosmétologie) एक इंटरनेशनल डिप्लोमा है, जिसे ब्यूटी थेरेपी और स्किन केयर के क्षेत्र में प्रोफेशनल ट्रेनिंग के तौर पर माना जाता है। हालांकि यह किसी भी तरह की मेडिकल क्वालिफिकेशन या डिग्री नहीं है।

CIDESCO की आधिकारिक वेबसाइट पर दी जानकारी के अनुसार, उनके डिप्लोमा से ब्यूटी और स्किनकेयर की एडवांस्ड तकनीक सीख सकता है। स्पा या ब्यूटी क्लिनिक में काम कर सकता है। लेकिन PRP, Botox, Fillers जैसे इंजेक्शन-आधारित ट्रीटमेंट करना मेडिकल प्रक्रियाओं की श्रेणी में आता है। इस ट्रीटमेंट के लिए मान्य मेडिकल डिग्री और रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है। हमारी पड़ताल में सामने आया केवल CIDESCO डिप्लोमा लेकर कोई भी खुद को मेडिकल कॉस्मेटोलॉजिस्ट बताकर ऐसे ट्रीटमेंट नहीं कर सकता।

CIDESCO की आधिकारिक वेबसाइट पर कहीं भी अपने कोर्स में PRP ट्रीटमेंट या बोटोक्स ट्रीटमेंट की जानकारी नहीं दे रखी।

डर्मेटोलॉजिस्ट ऑर्गेनाइजेशन के सेक्रेटरी डॉ. रविंद्र ने बताया कि पीआरपी और बोटॉक्स जैसे ट्रीटमेंट केवल क्वालिफाइड डॉक्टर ही कर सकते हैं। हमारे पास कई मरीज ऐसे आते हैं जिनका इलाज झोलाछाप या खुद को ‘कॉस्मेटोलॉजिस्ट’ बताने वाले लोगों से खराब हो चुका होता है। वास्तव में ‘कॉस्मेटोलॉजिस्ट’ जैसी कोई आधिकारिक पोस्ट या मान्यता प्राप्त टर्म मौजूद नहीं है।

अब उन मरीजों की कहानी पढ़िए- जिन्हें अंजाम भुगतना पड़ा

केस-1 : कॉर्पोरेट महिला का चेहरा सूजा, निकला फर्जी बोटॉक्स जयपुर की 34 वर्षीय निधि (बदला नाम) हर महीने 8-12 हजार रुपए बोटॉक्स पर खर्च करती थीं। कुछ महीने सब ठीक चला, लेकिन एक दिन उनके चेहरे पर सूजन और जलन होने लगी। डॉक्टरों ने बताया – “उन्हें पार्लर में फर्जी बोटॉक्स इंजेक्शन लगाया गया था।”

बोटोक्स हो या पीआरपी ट्रीटमेंट, राजस्थान मेडिकल काउंसिल के मुताबिक केवल मेडिकल प्रशिक्षित डॉक्टर ही इस तरह के ट्रीटमेंट कर सकता है। (AI जेनरेटेड फोटो)

केस-2: आंख के नीचे गांठ, स्किन डिप्रेशन

28 वर्षीय प्रियंका (बदला नाम) को ऐसे ही एक क्लिनिक की ब्यूटीशियन ने बताया कि PRP से डार्क सर्कल खत्म होंगे। लेकिन ट्रीटमेंट के दो दिन बाद आंख के नीचे गांठ और स्किन डिप्रेशन हो गया। जांच में सामने आया कि जो इंजेक्शन लगाया गया वह स्टैंडर्ड क्वालिटी का नहीं था।

(गोपनियता को ध्यान में रखते हुए दोनों ही मामलों में मरीजों की असली पहचान छिपाई गई है।)

एक्सपर्ट बोले- गलती मरीज की जान भी ले सकती है

सीनियर डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. लोकेश अनुपाणी ने बताया कि ‘पीआरपी (Platelet Rich Plasma) एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें मरीज का खून निकालकर उसे प्रोसेस किया जाता है और फिर सही तरीके से इंजेक्ट किया जाता है। अगर इसे स्टेराइल तरीके से न किया जाए या इंजेक्शन तकनीक में गलती हो जाए, तो मरीज की जान तक खतरे में पड़ सकती है। गलत प्रक्रिया से गंभीर ब्लड इंफेक्शन होने का भी खतरा रहता है।

इससे पहले मरीज की खून संबंधी जांच (ब्लड टेस्ट) करना जरूरी है। खासकर अगर मरीज किसी ऐसी संक्रामक बीमारी से पीड़ित है, जो खून के जरिए फैलती है, जैसे हेपेटाइटिस या एचआईवी है तो यह प्रक्रिया डॉक्टर और दूसरे मरीजों दोनों के लिए जोखिम भरी हो सकती है।

PRP और botox क्या है, इसमें जरा सी गलती के क्या गंभीर परिणाम हो सकते हैं, आइए जानते हैं…

जयपुर के एक बड़े अस्पताल के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ. आयुष जैन का कहना है कि “सैलून में काम करने वाले लोग न तो प्रशिक्षित होते हैं, न अधिकृत। लेकिन इंस्टाग्राम पर रील्स बनाकर ये खुद को एक्सपर्ट दिखाते हैं। लोग इनके झांसे में आ जाते हैं। हर महीने कई बिगड़े हुए केस आते हैं। कुछ सेंटर्स में तो स्टाफ या ब्यूटीशियन भी इंजेक्शन लगाने का काम कर रहे हैं, जो पूरी तरह से गैरकानूनी है।

डॉ. आयुष जैन ने बताया उनके पास ऐसे कई बिगड़े हुए केस आते हैं, जो ब्यूटीशियन के झांसे में आकर उनसे ट्रीटमेंट करवा बैठते हैं।

प्रदेशभर में खुलेआम चल रहे ऐसे क्लिनिक

मान्यता नहीं होने के बावजूद जयपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर, भरतपुर, जोधपुर जैसे शहरों में इंस्टाग्राम-रील्स और फेसबुक वीडियो देखकर महिलाएं ब्यूटी ट्रीटमेंट बुक कर रही हैं। क्लीनिकों में व्हाइट कोट पहने लोग इंजेक्शन लगाते हुए दिखते हैं, लेकिन पीछे की सच्चाई यह है कि इनमें से कई जगहों पर असली डॉक्टर मौजूद नहीं होते।

  • महिलाएं बिना लाइसेंस और क्वालिफिकेशन चेक किए सिर्फ ‘यंग और ग्लोइंग स्किन’ के लालच में बैठ जाती हैं।
  • कई क्लीनिकों में न तो मेडिकल इमरजेंसी का इंतजाम है, न ही स्टरलाइज्ड मशीनें।
  • एक गलती से ब्लड इन्फेक्शन, फंगल इंफेक्शन या चेहरे की स्थायी डिफॉर्मिटी (अंगों की विकृति) तक हो सकती है।

ट्रीटमेंट के लिए योग्यता होना जरूरी : हेल्थ डायरेक्टर

प्रदेश के स्वास्थ्य निदेशक रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि किसी भी चिकित्सा पद्धति के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता होना अनिवार्य है। कोई व्यक्ति स्किन से संबंधित उपचार करता है, तो उसके पास पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होना आवश्यक है। इसके साथ ही, उस व्यक्ति का क्लीनिकल एक्ट में पंजीकरण भी अनिवार्य है।

जयपुर सीएमएचओ रवि शेखावत ने बताया कि यह बेहद हानिकारक है, क्योंकि जो लोग प्रशिक्षित नहीं हैं और पीआरपी (PRP) प्रक्रिया में खून निकालकर उसे वापस शरीर में इंजेक्ट करते हैं, वहां जरा-सी भी कंटामिनेशन होने पर यह शरीर के लिए गंभीर रूप से हानिकारक साबित हो सकता है। बिना लाइसेंस अगर कोई भी व्यक्ति चिकित्सा पद्धति अपनाता है तो वह झोलाछाप की श्रेणी में आता है और ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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