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Indigenous airworthiness rules implemented in India | अब देश के रूल से उड़ सकेंगे एयर…

नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहलेलेखक: एम. रियाज हाशमी

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भारत की नागरिक उड्‌डयन प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने स्वदेशी उड़ान योग्यता नियम लागू किए हैं।

अब भारत में हवाई यात्रियों की सुरक्षा यूरोप या अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित नहीं, बल्कि भारतीय परिस्थितियों, तकनीकी जरूरतों के हिसाब से तय की गई है। इस बदलाब से भारत एक नियम निर्माता राष्ट्र के रूप में भी स्थापित होगा।

स्वदेशी उड़ान योग्यता नियम (Airworthiness Code) के मुताबिक, अब तक हमें विमान और उसके पुर्जों के डिजाइन के लिए यूरोपियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (EASA) या जॉइंट एविएशन रिक्वायरमेंट्स (JAR-21) से मंजूरी लेनी होती थी, लेकिन अब इंजन और पुर्जों के मानक भारत ही तय करेगा। देश में इनके निर्माण के लिए फैक्ट्रियां भी लगेंगी।

सर्टिफिकेशन के लिए 300 घंटे की फ्लाई टेस्टिंग जरूरी

किसी भी नए इंजन या प्रोपेलर को सर्टिफिकेशन से पहले कम से कम 300 घंटे की फ्लाई टेस्टिंग से गुजरना होगा। पहले EASA और JAR-21 फ्रेमवर्क में टेस्टिंग के घंटे विमान के प्रकार, कॉन्फिगरेशन और रिस्क कैटेगरी के अनुसार बदल सकते थे। लेकिन भारत ने इसे न्यूनतम 300 घंटे फिक्स कर दिया है।

किसी भी विमान या उसके हिस्से में खराबी या असुरक्षित स्थिति मिलने पर कंपनी को 72 घंटे के भीतर डीजीसीए को रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा। किसी भी विमान कंपनी का डीजीसीए का दिया टाइप सर्टिफिकेट तब तक जारी रहेगा, जब तक वो भारतीय नियमों का पालन करेगी।

ऐसे हैं नियम: हर विमान का प्रोटोटाइप बनाना होगा

  • भारतीय नियमों के मुताबिक हर नए विमान का प्रोटोटाइप (नमूना) बनाना होगा। नया विमान, इंजन या प्रोपेलर होने पर कंपनी को डीजीसीए को एक सर्टिफिकेशन प्रोग्राम देना होगा।
  • परीक्षण उड़ानें, फैक्ट्री से ग्राहक तक डिलीवरी, निर्यात, एयर शो या मरम्मत कार्य के लिए ही विशेष उड़ान की अनुमति होगी। पहले यह स्पष्ट नहीं थी।
  • इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी या यात्री ड्रोन के लिए अलग से नियम एईएसी: 01-2024 लागू। यानी इनके टेस्टिंग के लिए भारतीय स्टार्टअप्स EASA और JAR के मानकों पर सीधे निर्भर हुए बिना भारतीय प्रमाणन के आधार पर काम कर सकेंगे।
  • इससे देश में तेजी से बढ़ रही एडवांस्ड एयर मोबिलिटी (AAM) की अवधारणा को बल मिलेगा। यानी, आने वाले सालों में दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े मेट्रो शहरों में ट्रैफिक जाम से बचने के लिए एयर टैक्सी की शुरुआत आसानी से हो सकेगी।
  • यदि किसी ड्रोन, विमान का डिजाइन नया या अनोखा है तो डीजीसीए अतिरिक्त शर्तें लगा सकता है।

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