अन्तराष्ट्रीय

‘महान देश हमेशा अल्टीमेटम नहीं देते…’, भारत पर ट्रंप ने थोपा टैरिफ तो अमेरिका के पूर्व विदेश…

अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री जॉन केरी ने शुक्रवार (22 अगस्त 2025) को ईटी वर्ल्ड लीडर्स फोरम में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर कड़ी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि महान राष्ट्र कभी भी केवल अल्टीमेटम देकर महानता नहीं दिखाते, बल्कि सहयोग और सम्मान के साथ बातचीत कर समाधान निकालते हैं. केरी का कहना था कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हालिया टकराव बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

बराक ओबामा सरकार के दौरान विदेश मंत्री रह चुके केरी ने कहा कि उस समय बातचीत में सम्मान और सहयोग झलकता था, लेकिन अब का दौर आदेश, दबाव और एकतरफ़ा फैसलों से भरा हुआ है. हाल के दिनों में ट्रंप के फैसलों की वजह से भारत-अमेरिका संबंध कई वजहों से तनावपूर्ण हुए हैं. ट्रंप प्रशासन ने रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर जुर्माना लगाया है. पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान भारत की भूमिका को मान्यता न देना भी विवाद का कारण बना.

केरी ने क्या जताई उम्मीद?

केरी ने हालांकि यह उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका अपने व्यापार विवाद सुलझा लेंगे. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को मित्र बताते हुए कहा कि भारत की ओर से दी गई पेशकश में अमेरिकी आयातों पर शून्य टैरिफ एक बड़ा बदलाव है.

ट्रंप को अमेरिका के एक्सपर्ट्स ने ही दी चेतावनी

केरी अकेले नहीं हैं, उनसे पहले भी कई पूर्व अमेरिकी अधिकारी और एक्सपर्ट्स ट्रंप की भारत नीति पर चिंता जता चुके हैं. ट्रंप के पूर्व सहयोगी जॉन बोल्टन ने कहा कि ट्रंप की नीति दशकों पुराने अमेरिकी प्रयासों को खतरे में डाल रही है, जिनका मकसद भारत को रूस और चीन से दूर रखना था. पूर्व अमेरिकी व्यापार अधिकारी क्रिस्टोफर पैडिला ने चेतावनी दी कि ये शुल्क भारत-अमेरिका संबंधों को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकते हैं और सवाल खड़ा करेंगे कि क्या अमेरिका एक विश्वसनीय साझेदार है. अमेरिकी अर्थशास्त्री जैफ़्रे डी सैच्स ने ट्रंप के शुल्कों को अमेरिकी विदेश नीति का सबसे मूर्खतापूर्ण रणनीतिक कदम बताया. उनके अनुसार, भारत पर दंडात्मक शुल्क लगाकर अमेरिका ने रातों-रात ब्रिक्स देशों को और अधिक करीब ला दिया.

ये भी पढ़ें: ‘ये दलीलें चीन पर लागू क्यों नहीं होतीं?’, रूसी तेल पर ट्रंप ने भारत पर लगाया 50% टैरिफ तो जयशंकर ने सुनाईं खरी-खोटी

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