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Rajasthan Job Fraud; Professor Disability Certificate Scam Case | Bharatpur News | फर्जी…

मूक-बधिर का फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट लगाकर एक युवक भरतपुर के बयाना में गवर्नमेंट कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर लग गया। जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (SMS) में जब युवक की दिव्यांगता की जांच की गई तो वह सिर्फ बधिर पाया गया।

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बता दें कि हाल ही राजस्थान सरकार के निर्देश पर SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने दिव्यांगता सर्टिफिकेट से नौकरी पाने वाले कर्मचारियों की जांच की थी। इसमें बयाना के गवर्नमेंट कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर सवाई सिंह गुर्जर को जांच के लिए जयपुर के SMS हॉस्पिटल बुलाया गया था।

सवाई सिंह को बताया फिट..

सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर सवाई सिंह गुर्जर फिट पाया गया।

मल्टीपल डिसेबिलिटी का सर्टिफिकेट लगाया, 3 साल से कर रहा नौकरी

असिस्टेंट प्रोफेसर सवाई सिंह ने मल्टीपल डिसेबिलिटी (मूक-बधिर) का सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी हासिल की थी। जांच में केवल हियरिंग इमपेयरमेंट (बधिर) पाया गया। हालांकि असिस्टेंट प्रोफेसर का दावा है कि उसने नौकरी हियरिंग इमपेयरमेंट (बधिर) कैटेगरी में ही हासिल की है।

बयाना के गवर्नमेंट कॉलेज में इंग्लिश सब्जेक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सवाई सिंह गुर्जर करीब 3 साल से नौकरी कर रहा है। वह हियरिंग डिसेबिलिटी मेडिकल सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी नौकरी लगा था, लेकिन अब उसके बधिर होने की जांच की गई तो वह अयोग्य घोषित किया गया है।

भरतपुर जिले के बयाना में स्थित राजकीय महाविद्यालय में सवाई सिंह गुर्जर 3 साल से असिस्टेंट प्रोफेसर है।

झूठा निकला मल्टीपल दिव्यांग सर्टिफिकेट

  • असिस्टेंट प्रोफेसर सवाई सिंह गुर्जर मूल रूप से निवासी वार्ड नंबर 58, NP हिंडौन सिटी, जिला करौली का निवासी है। दिसंबर 2022 से इंग्लिश विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है।
  • पुलिस की SOG टीम ने दिव्यांग कैटेगरी से सलेक्टेड अभ्यर्थियों की मेडिकल जांच जयपुर में 29 जुलाई को कराई।
  • एसओजी ने BERA (Brainstem Evoked Response Audiometry) जांच एसएमएस हॉस्पिटल, जयपुर में करवाई। जांच रिपोर्ट में केवल श्रवण दिव्यांग पाई गई। जबकि सर्टिफिकेट में ‘मूक-बधिर’ दिव्यांग लिखा था।
  • 6 अगस्त को SOG ने 24 फर्जी अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी की। इसमें सवाई सिंह गुर्जर का नाम भी शामिल था। हालांकि उसमें उसकी दिव्यांगता 0% नहीं दिखाकर अयोग्य बताया गया है।
  • सवाई सिंह गुर्जर को 2018 में ऑनलाइन दिव्यांग सर्टिफिकेट जारी किया गया था। इसके आधार पर उसे नौकरी मिली थी।

सवाई सिंह गुर्जर का कहना है कि नौकरी भले ही उसने बहु-दिव्यांगता कैटेगरी के प्रमाण पत्र से पाई हो, लेकिन उसका सिलेक्शन HI (hearing Impairment) कैटेगरी से ही हुआ है।

करौली से बना दिव्यांग सर्टिफिकेट

सवाई सिंह गुर्जर का कहना है-

2018 में करौली मेडिकल बोर्ड ने उनके कान की जांच (BERA रिपोर्ट) के आधार पर हियरिंग डिसेबिलिटी प्रमाण पत्र ऑफलाइन जारी किया था। लेकिन ऑनलाइन सिस्टम में लिपिकीय त्रुटि के चलते सर्टिफिकेट में ‘DEAF & MUTE’ (मूक- बधिर) दर्ज हो गया।

सवाई सिंह का दावा है कि उन्होंने नौकरी हियरिंग इमपेयरमेंट कैटेगरी से ही हासिल की और यह गलती पूरी तरह टेक्निकल है। इसे जानबूझकर नहीं किया गया है। उनका कहना है कि जब ऑडियोलॉजिस्ट कंचन ने रिपोर्ट पर उसके साइन करवाए थे, तब इसका पता चला। फिर भी SOG ने फर्जी अभ्यर्थियों की लिस्ट में मेरा नाम अयोग्य बता दिया। यह सिर्फ एक कम्प्यूटर एरर वाली मिस्टेक है, जिसमें कोई गलत नहीं है।

पिछली सरकार में हुई भर्तियों पर नजर

राजस्थान में पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान सरकारी विभागों में बड़े पैमाने पर भर्तियां हुईं। नौकरी पाने के लिए दिव्यांग सर्टिफिकेट्स का भी उपयोग किया गया। ऐसे कर्मचारियों की जांच की गई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। कई लोगों ने फर्जी सर्टिफिकेट बनवा कर नौकरी हासिल कर ली। SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) की जांच जारी है।

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