India-China trade will be done in Rupee-Yuan through Lipulekh pass | भारत-चीन के बीच लिपुलेख…

देहरादून3 मिनट पहलेलेखक: मनमीत
- कॉपी लिंक
तस्वीर 18-19 अगस्त की है। भारत दौरे के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की थी
भारत और चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से फिर व्यापार शुरू करने पर सहमति जताई थी। यह फैसला 18-19 अगस्त को चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के दौरान हुआ था। लिपुलेख के साथ शिपकी ला और नाथु ला दर्रों से भी कारोबार बहाल करने का फैसला लिया गया था।
हिमालय के तीन दर्रों से शुरू होने जा रहा भारत-चीन व्यापार पहली बार पूरी तरह सड़क के जरिए होगा। सबसे अहम यह है कि व्यापार अब भारतीय रुपए और चीनी युआन में होगा। अब तक यह ‘वस्तु विनिमय’ आधारित था।
तिब्बत से व्यापारी नमक, बोराक्स, पशु उत्पाद, जड़ी-बूटियां और स्थानीय सामान बेचने आते हैं, जबकि भारतीय व्यापारी बकरी, भेड़, अनाज, मसाले, गुड़, मिश्री, गेहूं वहां ले जाते हैं।
हालांकि, नेपाल ने इस समझौते पर आपत्ति जताई। उसका कहना है कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी उसके क्षेत्र का हिस्सा हैं। उसने भारत और चीन से इस इलाके में कोई एक्टिविटी न करने की अपील की है।
लिपुलेख दर्रा औपचारिक व्यापारिक मार्ग
ब्रिटिश काल में भी लिपुलेख दर्रा व्यापार और तीर्थयात्रा का प्रमुख केंद्र था। 1991 में भारत और चीन ने इसे औपचारिक व्यापारिक मार्ग बनाया गया था।
भारत-चीन के बीच साल 2005 में 12 करोड़ रु. आयात और 39 लाख रु. का निर्यात हुआ था। साल 2018 में 5.59 करोड़ रु. का आयात और 96.5 लाख निर्यात हुआ था।
भारत-तिब्बत व्यापार समिति के महासचिव दौलत रायपा ने बताया
सदियों से तिब्बत के साथ हमारा व्यापार वस्तु विनिमय पर होता आया है। हम लंबे समय से स्थानीय मुद्रा में व्यापार की मांग कर रहे थे। इसके लिए गूंजी में एसबीआई ब्रांच में चीनी मुद्रा एक्सचेंज की सुविधा देनी होगी।
5,334 मीटर ऊंचाई पर सदियों से व्यापार धारचूला भारत-नेपाल सीमा पर बसा है और आदि कैलाश व मानसरोवर का पारंपरिक मार्ग भी यही है। यह मार्ग लिपुलेख दर्रे से तिब्बत को जोड़ता है। ब्यांस, दारमा और चौंदास घाटी के व्यापारी 10वीं सदी से इस दर्रे के जरिए कारोबार करते आ रहे हैं।
5,334 मीटर ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रा सिर्फ व्यापार का नहीं, बल्कि सदियों पुरानी सांस्कृतिक और आर्थिक साझेदारी का प्रतीक भी है।
ऑल वेदर रोड से पहली बार गाड़ियों में माल ले जा सकेंगे भारत–तिब्बत सीमा व्यापार फिर शुरू होने जा रहा है। कोविड-19 और गलवान झड़प के बाद बंद हुआ व्यापार अब ऑल वेदर रोड से गाड़ियों में होगा। पहले व्यापारी 1100 साल तक पैदल व खच्चरों से माल ढोते थे।
धारचूला–लिपुलेख सड़क और गूंजी गांव में मंडी से व्यापार को नई गति मिलेगी। नियमों को केंद्र अंतिम रूप दे रही है।
………………….
भारत-चीन से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
भारत-चीन में तनाव के बाद अब रिश्ते सुधर रहे: लगातार हाई लेवल मीटिंग से आर्थिक संबंध मजबूत हुए, पूर्व डीजीपी भास्कर ज्योति महंता का कॉलम
भारत-चीन के बीच लंबे समय से बढ़ते तनाव और हिमालयी क्षेत्रों में सैन्य गतिरोध के बाद अब दोनों देशों के रिश्तों में चौकस और व्यावहारिक बदलाव दिखाई दे रहा है। अक्टूबर 2024 में हुए बॉर्डर पेट्रोलिंग समझौते ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम रखा। इसके तहत सैनिकों की पीछे हटने की प्रक्रिया और बफर जोन बनाकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिरता लौटाई गई। पूरी खबर पढ़ें…